झुंपा लाहिड़ी को नहीं, न्यूजीलैंड की एलेनोर कैटन को मिला बुकर पुरस्कार
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झुंपा लाहिड़ी को नहीं, न्यूजीलैंड की एलेनोर कैटन को मिला बुकर पुरस्कार

भारतीय मूल की अमेरिकी उपन्यासकार झुंपा लाहिड़ी, मैन बुकर पुरस्कार की दौड़ में एलेनोर कैटन से मात खा गयी हैं।

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लंदन : भारतीय मूल की अमेरिकी उपन्यासकार झुंपा लाहिड़ी, मैन बुकर पुरस्कार की दौड़ में एलेनोर कैटन से मात खा गयी हैं। कैटन, इस प्रतिष्ठित पुरस्कार को जीतने वाली सबसे युवा लेखक हो गयी हैं। कैटन का 832 पृष्ठ वाला ‘द लुमिनेरीज’ उनका सबसे बड़ा उपन्यास है और 19 वीं सदी के गोल्डरश हत्या की गुत्थी वाली इस किताब को ‘अनूठी’ करार दिया गया है।
न्यूजीलैंड की रहने वाली 28 वर्षीय कैटन ने कल कहा, इस असाधारण पुरस्कार से मान और सम्मान दिलाने के लिए मैं मैन बुकर पुरस्कार का शुक्रिया अदा करती हूं। उन्होंने 25 साल की उम्र से ही उपन्यास लिखना शुरू कर दिया था। लंदन के गिल्डहाल में एक शानदार समारोह में डचेस ऑफ कॉर्नवाल, कैमिला पार्कर-बोवेल्स की ओर से यह पुरस्कार उन्हें प्रदान किया गया।
इस साल निर्णायक मंडल के प्रमुख, लेखक और समालोचक राबर्ट मैकफार्लेन ने स्वीकार किया कि पाठकों को इस मोटी किताब में अच्छा खासा समय देना होगा। किताब की शुरूआत धीमी है लेकिन जैसे-जैसे पाठक आगे पढ़ेंगे, उनकी दिलचस्पी बढ़ती जाएगी। निर्णायकों ने लंदन में जन्मी झुंपा लाहिड़ी की रचना ‘‘द लोलैंड’’ को भी सराहा। ‘‘द लोलैंड’’ 1960 के दशक के आखिर में कोलकाता में पले बढ़े दो भाईयों की कहानी है। (एजेंसी)

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