`भारत में हवाई यात्रा चीन से चार गुना महंगी`
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`भारत में हवाई यात्रा चीन से चार गुना महंगी`

भारत की निजी क्षेत्र की एयरलाइन, जेट एयरवेज के प्रमुख नरेश गोयल ने कहा है कि करों के बोझ के चलते भारत में हवाई किराया चीन और अन्य देशों के मुकाबले करीब 300 प्रतिशत उंचा है और एयरलाइनों की प्रगति नहीं हो पा रही है।

बीजिंग : भारत की निजी क्षेत्र की एयरलाइन, जेट एयरवेज के प्रमुख नरेश गोयल ने कहा है कि करों के बोझ के चलते भारत में हवाई किराया चीन और अन्य देशों के मुकाबले करीब 300 प्रतिशत उंचा है और एयरलाइनों की प्रगति नहीं हो पा रही है।
गोयल ने कहा, कर बहुत उंचे रहे तो भारतीय विमानन उद्योग प्रगति नहीं करेगा। दरअसल भारत विश्व में इकलौता देश है जो अपनी विमानन कंपनियों पर सेवा कर लगाता है। आपको पता है कि चीनी विमानन कंपनियों का किराया भारतीय विमानन कंपनियों के मुकाबले एक तिहाई है? ऐसा क्यों है? क्योंकि यहां कोई कर नहीं है। और चीनी कंपनियों को तो छोड़िये विश्व की अन्य विमानन कंपनियों से तुलना करें तो भारतीय किराया 200 से 300 फीसद अधिक है।
उन्होंने भारतीय और चीनी विमानन सेवा कंपनियों की तुलना करते हुए कहा कि सारी चीनी कंपनियां सरकारी हैं और उन्हें सरकार से समर्थन प्राप्त है और ऐसा अभी से नहीं बल्कि लंबे समय से है। चीन की सरकार अपनी विमानन कंपनियों पर कर नहीं लगाती और उन्हें बहुत सी सरकारी सहायता मिलती है।
जेट की विस्तार योजना का विवरण देते हुए गोयल ने कहा, हम यूरोप में कुछ जगहों पर परिचालन शुरू करना चाहते हैं और उन जगहों की तलाश कर रहे हैं जहां पैसा बनाया जा सकता है मसलन पेरिस, म्यूनिख और फ्रैंकफर्ट। वैश्विक विमानन समझौते के बारे में उन्होंने कहा, हम स्टार अलायंस और स्काई टीम दोनों के साथ बात कर रहे हैं। देखते क्या बात बनती है। फिलहाल मैं आपको इतना ही बता सकता हूं।
जेट एयरवेज इससे पहले स्टार अलायंस के साथ बातचीत काफी आगे बढ़ चुकी थी। इस बातचीत की प्रक्रिया में एयर इंडिया शामिल था लेकिन कमजोर वित्तीय स्थिति के कारण उसे वैश्विक विमानन कंपनियों के समूह में से बाहर निकाल दिया गया था। जेट द्वारा 100 एयरबस विमान खरीदने के संबंध में आई खबरों के बारे में पूछने पर गोयल ने इससे इन्कार कर दिया और कहा, हम अगले वित्त वर्ष के शुरूआती दौर में चार और ए330-300 विमान खरीदेंगे।
भारत सरकार द्वारा जेट ईंधन का सीधा आयात करने को मंजूरी के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा, विमान ईंधन आयात मंजूरी किसी काम की नहीं है और हम इस पर विचार नहीं कर रहे हैं। आपके पास जब ऐसा करने के लिए बुनियादी ढांचा ही न हा तो यह विकल्प नहीं हो सकता। किंगफिशर, स्पाईसजेट और एयर इंडिया ने सीधे विमान ईंधन के आयात के लिए कदम उठाए हैं।
हालांकि उन्होंने सरकार द्वारा घरेलू विमानन कंपनियों में विदेशी कंपनियों की भागीदरी की मंजूरी देने का समर्थन नहीं किया है लेकिन गोयल ने कहा कि यदि सरकार ऐसी कोई पहल करती है तो वह ऐसी नीति का स्वागत करेंगे। (एजेंसी)

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