थोक मुद्रास्फीति तीन साल के निम्न स्तर पर

थोकमूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति दिसंबर में घटकर तीन साल के न्यूनतम स्तर 7.18 फीसद पर आ गई लेकिन इससे उपभोक्ताओं को राहत नहीं मिल पाई है क्योंकि सब्जियों, खाद्य तेल और दलहन के दाम बढ़ने से खुदरा मंहगाई दर दिसंबर में बढ़कर दहाई अंक 10.56 प्रतिशत पर पहुंच गई।

नई दिल्ली : थोकमूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति दिसंबर में घटकर तीन साल के न्यूनतम स्तर 7.18 फीसद पर आ गई लेकिन इससे उपभोक्ताओं को राहत नहीं मिल पाई है क्योंकि सब्जियों, खाद्य तेल और दलहन के दाम बढ़ने से खुदरा मंहगाई दर दिसंबर में बढ़कर दहाई अंक 10.56 प्रतिशत पर पहुंच गई।
थोकमूल्य सूचकांक में लगातार तीसरे महीने आई गिरावट के मद्देनजर उम्मीद की जा रही है कि रिजर्व बैंक 29 जनवरी को होने वाली मौद्रिक नीति की तिमाही समीक्षा में ब्याज दरों में कटौती कर सकता है ताकि वृद्धि दर में तेजी लाई जा सके।
यहां जारी आंकड़ों के मुताबिक मुख्य तौर पर विनिर्माण उत्पाद और ईंधन एवं बिजली की कीमत में कमी के कारण थोकमूल्य आधारित मुद्रास्फीति मंक गिरावट आई है। थोक मुद्रास्फीति दिसंबर महीने में 7.18 प्रतिशत रही है जबकि इससे पिछले महीने यह 7.24 और उससे भी पिछले महीने अक्तूबर 2012 में 7.45 प्रतिशत रही है।
हालांकि, सब्जी, खाद्य तेल, दलहन और अनाज की कीमत बढ़ने के कारण खुदरा मुद्रास्फीति दिसंबर में लगातार तीसरे महीने बढती हुई 10.56 फीसद पर पहुंच गई।
मुद्रास्फीति के आंकड़ों के संबंध में योजना आयोग के अध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने कहा,‘मैंने आंकड़े देखे। गिरावट का स्वागत है लेकिन मैं थोक मुद्रास्फीति को और नीचे देखना चाहूंगा। उम्मीद है कि इसमें और गिरावट होगी।’
रिजर्व बैंक की आगामी तिमाही समीक्षा में ब्याज दरों में कमी के बारे में पूछने पर मोंटेक ने कहा,‘मैं कभी भी आरबीआई की नीति पर टिप्पणी नहीं करता, आरबीआई की पहल के बारे में थोड़ा रहस्य बना रहने दें।’ (एजेंसी)

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