उत्तराखंड : बचाव कार्य बहाल हुआ, यमुनोत्री से लोग निकाले गए

बाढ़ प्रभावित उत्तराखंड में खराब मौसम के बीच राहत एवं बचाव कार्य रविवार शाम दोबारा शुरू हो गया है। सेना ने जंगल छत्री एवं यमुनोत्री में फंसे सभी लोगों को सुरक्षित निकाल लिया है। हालांकि, इलाके में तलाशी अभियान अभी भी जारी है।

ज़ी मीडिया ब्यूरो/एजेंसी
नई दिल्ली/देहरादून : बाढ़ प्रभावित उत्तराखंड में खराब मौसम के बीच राहत एवं बचाव कार्य रविवार शाम दोबारा शुरू हो गया है। सेना ने जंगल छत्री एवं यमुनोत्री में फंसे सभी लोगों को सुरक्षित निकाल लिया है। हालांकि, इलाके में तलाशी अभियान अभी भी जारी है।
सेना द्वारा लमबारघा में एक पुल तैयार किए जाने के बाद बद्रीनाथ एवं जोशीमठ के बीच यातायात बहाल हो गया है।
भारत-तिब्बत सीमा पुलिस के प्रमुख अजय चड्ढा ने इसके पहले पत्रकारों को बताया, ‘केदारनाथ मंदिर के आस-पास इलाके में फंसे ज्यादातर लोगों को सुरक्षित निकाल लिया गया है। बचाव कार्य जारी है लेकिन खराब मौसम के चलते हेलीकॉप्टरों का उड़ान थोड़े समय के लिए रोका गया था।’
बादल फटने और बाढ़ की घटना के बाद चलाए जा रहे बचाव कार्य का जायजा ले रहे मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने कहा कि मृतकों की संख्या हजार का आंकड़ा पार कर सकती है।
उन्होने कहा, "त्रासदी अभी भी पसरी हुई है, और पिछले सप्ताह हुई बारिश से प्रभावित इलाकों में बचाव दल के पहुंचने के बाद ही अंतिम आंकड़ा सामने आ सकता है।"
उन्होंने बताया कि केदारनाथ के नजदीक बादल फटने और अभूतपूर्व बारिश के बाद कई मकान ढह गए हैं, जबकि कई इलाकों में स्थानीय लोग और तीर्थयात्री कीचड़ में फंसकर मर गए हैं, जिससे मृतकों की संख्या में वृद्धि की आशंका है।
मिल रही सूचना के मुताबकि, देहरादून स्थित उत्तराखंड पुलिस नियंत्रण कक्ष ने बताया कि मृतकों का आंकड़ा हजार को पार सकता है।
सेना के मध्य कमान के कमांडर इन चीफ, लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चैत ने बताया कि सेना दूरवर्ती इलाकों में भी फंसे सभी लोगों को बचाएगी।
उन्होंने यह स्वीकारा कि यह उनके जीवन में हुई अब तक की यह सबसे बड़ी त्रासदी है। उन्होंने बताया कि पर्वतीय इलाके और स्वास्थ्य विभाग के 8,500 जवान बचाव कार्य में तैनात किए गए हैं।
जनरल चैत ने कहा, "हमने गंगोत्री, यमुनोत्री, बद्रीनाथ, केदारनाथ और पिंडारी हिमनद से निकाले गए 18,000 फंसे हुए लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया है।"
उनके मुताबिक, बारिश के नए दौर और खराब मौसम की वजह से सेना के हेलीकॉप्टर एक बार में सिर्फ सात-आठ लोगों को ही निकाल पा रहे हैं। उन्होंने कहा, "बचाव कार्य के लिए छह-स्तरीय रणनीति बनाई गई है।"
इसमें हेलीकॉप्टरों की उड़ान, संसाधनों का फैलाव, राहत शिविरों को खाली कराना, लोगों को राहत शिविर से आधार शिविर ले जाना, लापता लोगों को बचाने के लिए खोजी अभियान और नष्ट हुए इलाके और आधारभूत संरचना का पुनर्निर्माण शामिल है।
एक अधिकारी ने बताया कि जंगल चट्टी इलाके में पहुंचना बेहद कठिन है, जहां 15,000 से अधिक लोग फंसे हुए हैं।
सेना के केंद्रीय कमान के एक अधिकारी ने बताया कि 25 से 27 जून के बीच भारी बारिश की सम्भावना है, और घने बादलों की वजह से उड़ानें प्रभावित होंगी।
राज्य के पिथौरागढ़, उत्तरकाशी और चमौली जिलों में भारी बारिश की सम्भावना है, जो पिछले सप्ताह बादल फटने और बारिश की वजह से पहले से आपदा झेल रहे हैं।
अधिकारियों ने बताया कि 1,000 से अधिक प्रमुख और छोटी सड़कें बारिश में बह गई हैं और इस वजह से सिर्फ हवाई यातायात ही लोगों को बचाने का माध्यम रह गया है।
भारतीय सेना, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) और राष्ट्रीय आपदा राहत बल (एनडीआरएफ) के जवान लोगों को बचाने के लिए नए रास्ते बना रहे हैं।

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