कोलगेट बना टेलीविजन धारावाहिक : सुषमा स्वराज

कोलगेट में मनमोहन सिंह पर प्रहार करते हुए भाजपा ने कहा कि प्रधानमंत्री सवालों का जवाब देने को अनिच्छुक हैं और कोलगेट टेलीविजन का धारावाहिक बन गया है जिसकी नित नयी परतें खुलती जा रही हैं।

नई दिल्ली : कोयला ब्लाक आवंटन मामले में मनमोहन सिंह पर प्रहार करते हुए भाजपा ने आज कहा कि प्रधानमंत्री सवालों का जवाब देने को अनिच्छुक हैं और कोलगेट टेलीविजन का धारावाहिक बन गया है जिसकी नित नयी परतें खुलती जा रही हैं।
संसद के मानसून सत्र की समाप्ति पर लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने संवाददाताओं से कहा कि कोलगेट का स्वरूप टेलीविजन के धारावाहिक की शक्ल ले चुका है और इसके नए ‘एपिसोड’ सामने आ रहे हैं।
उन्होंने कहा कि पहले कैग ने 1.86 लाख रुपये के नुकसान की बात कही, उसके बाद तत्कालीन कानून मंत्री की रिपोर्ट में फेरबदल करने एवं उनके इस्तीफे की बात सामने आई। इसके बाद 189 फाइलों के गुम होने और फिर सीबीआई के एक अधिकारी के इस मामले में प्रधानमंत्री से पूछताछ की जरूरत की बात सामने आई।
सुषमा ने कहा कि संप्रग 2 के दौरान कोलगेट, टूजी स्पेक्ट्रम, राष्ट्रमंडल खेल घोटाले की श्रृंखला बन गई है और हम इसे सड़कों पर ले जाएंगे। पार्टी इसे आंदोलन की शक्ल में लोगों के पास ले जाएगी। राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली ने कहा, ‘सरकार की विश्वसनीयता टूट गयी है, नेतृत्वहीनता, भ्रष्टाचार चरम पर है और बचाव की मुद्रा में इस सरकार के पास किसी सवाल का जवाब नहीं है। यह बिना जवाबदेही वाली सरकार है।’
जेटली ने संवाददाताओं से कहा कि मानसून सत्र के दौरान भाजपा ने मुख्य विपक्षी दल की जिम्मेदारी को बखूबी निभाने का पूरा प्रयास किया और एक अनिच्छुक प्रधानमंत्री को अर्थव्यवस्था के मुद्दे पर जवाब देने को मजबूर किया। यह पूछे जाने पर कि जिन विधेयकों को पारित कराने की बात भाजपा कर रही है, उसका पूरा श्रेय सत्तारूढ़ कांग्रेस ले रही है, लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने कहा, ‘बिना हमारे सहयोग के कांग्रेस इन विधेयकों को पारित करा रही नहीं सकती थी। भूमि अधिग्रहण विधेयक के पक्ष में भाजपा को लेकर कुल 216 मत पड़े हैं। सरकार कितने अल्पमत में है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है।`
यह पूछे जाने पर कि अगर भाजपा को सरकार की विश्वसनीयता खोखली लगती है तो वह पिछले चार वर्षों के दौरान अविश्वास प्रस्ताव क्यों नहीं लायी, सुषमा ने कहा, ‘किसी विधेयक पर संख्या नहीं होना और अविश्वास प्रस्ताव के दौरान संख्या जुटाना अलग-अलग बात है। ऐसा अनुभव रहा है कि सरकार अविश्वास प्रस्ताव के दौरान भय, दबाव एवं अन्य उपायों से संख्या जुटा लेती है।’
उन्होंने कहा, ‘एक बार अविश्वास प्रस्ताव लाकर हम चार-छह महीने के लिए उन्हें (सत्तारुढ पार्टी को) राहत नहीं देना चाहते बल्कि हर सत्र में उन्हें घेरना प्रभावी समझते हैं।’ पार्टी मुख्यालय में राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरूण जेटली के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में सुषमा ने कहा, ‘मानसून सत्र के शुरू में व्यवधान रहा लेकिन सत्र के समापन पर हम आत्मसंतोष व्यक्त करते हैं जहां हम खाद्य सुरक्षा विधेयक, भूमि अधिग्रहण विधेयक, पेंशन कोष नियामक प्राधिकार विधेयक जैसे अहम एवं उल्लेखनीय विधेयकों को पारित कराने में सफल रहे।’
उन्होंने कहा कि सत्र के दौरान उत्तराखंड त्रासदी, जर्जर आर्थिक स्थिति, रूपये की स्थिति, सीमा पार से पाकिस्तानी गतिविधि, चीनी अतिक्रमण जैसे विषयों पर चर्चा कराने के अलावा कई छोटे छोटे विधेयक भी पारित हुए। (एजेंसी)

Zee News App: पाएँ हिंदी में ताज़ा समाचार, देश-दुनिया की खबरें, फिल्म, बिज़नेस अपडेट्स, खेल की दुनिया की हलचल, देखें लाइव न्यूज़ और धर्म-कर्म से जुड़ी खबरें, आदि.अभी डाउनलोड करें ज़ी न्यूज़ ऐप.