रेप के फर्जी मामले में पुनर्वास नीति जरूरी : अदालत

दिल्ली की एक फास्ट ट्रैक अदालत ने आज कहा कि सरकार को उन लोगों के पुनर्वास के लिए एक व्यापक नीति तैयार करनी चाहिए, जिन्हें बलात्कार के फर्जी आरोपों में जेल भेजा गया है।

नई दिल्ली : दिल्ली की एक फास्ट ट्रैक अदालत ने आज कहा कि सरकार को उन लोगों के पुनर्वास के लिए एक व्यापक नीति तैयार करनी चाहिए, जिन्हें बलात्कार के फर्जी आरोपों में जेल भेजा गया है।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश वीरेंद्र भट्ट ने हरियाणा के सुभाष को सातवीं क्लास की लड़की के अपहरण एवं बलात्कार के मामले में बरी करने का फैसला सुनाया और गृह एवं कानून मंत्रालय के सचिवों के साथ देश के विधि आयोग के प्रमुख को इस सुझाव पर विचार करने को कहा।
उन्होंने कहा, ‘अदालत को ऐसा लगता है कि इस तरह के लोगों के लिये एक पुनर्वास नीति की सख्त जरूरत है, जिन्हें बलात्कार के फर्जी आरोपों में जेल में कैद और अदालत में मुकदमा झेलना पड़ा।’ अदालत ने कहा कि सरकार को ऐसी नीति बनानी चाहिए ताकि बलात्कार के फर्जी आरोप में कैद झेल चुके व्यक्ति के भविष्य को सुरक्षित किया जा सके और उसे सही तरीके से जीवन जीने में दिक्कत नहीं हो।
साथ ही अदालत ने कहा, ‘इन लोगों को उचित मुआवजा देना सरकार का कर्तव्य है ताकि आपराधिक गतिविधियों की तरफ इनके रुझान को रोका जा सके।’ न्यायाधीश ने मार्च 2007 के एक मामले में सुनवायी के दौरान यह सुझाव दिया। इस मामले में सुभाष नाम के व्यक्ति पर लड़की का स्कूल के बाहर से अपहरण कर कई बार बलात्कार करने का आरोप लगाया गया था। (एजेंसी)

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