ज़ी मीडिया ब्यूरो
नई दिल्ली: उत्तराखंड त्रासदी में मारे गए लोगों के अंतिम संस्कार में देरी की वजह कुछ उभरते मतभेदों को बताया जा रहा है। खराब मौसम की वजह से सामूहिक अंतिम संस्कार मंगलवार को भी नहीं हो पाया था और बुधवार को भी मौसम अनुकूल नहीं होने की वजह से इस प्रक्रिया में देरी हुई। वहीं, खबरों के मुताबिक राज्य सरकार चाहती है कि सेना अंतिम संस्कार के कामकाज में भी मदद करे जबकि सेना का कहना है कि उनका काम सिर्फ राहत और बचाव कार्य तक ही है और शवों का अंतिम संस्कार उनके कामकाज के दायरे में नहीं आता है।
खबरों के मुताबिक सरकार ने इंडो भारतीय तिब्बत सीमा पुलिस और नेशनल डिजास्टर रिस्पांस टीम से शवों का सामूहिक रुप से अंतिम संस्कार करने में योगदान देने को कहा है। लेकिन सुरक्षा बलों ने सरकार को इस अनुरोध को खारिज कर दिया है। सेना का कहना है कि अंतिम संस्कार का काम उनके कामकाज के दायरे में नहीं है।
इस बीच आसमानी आफत के बाद उत्तराखंड पर महामारी का खतरा मंडरा रहा है। डॉक्टरों की मानें तो अगर सही कदम न उठाया गया तो गंगोत्री से गंगासागर तक महामारी फैलने का खतरा है। इसीलिए सलाह दिया जा रहा है कि मलबे में दबे हुए शवों को जल्द से जल्द निकाले और सरकार उसका अंतिम संस्कार करे। डॉक्टर्स चेतावनी दे रहे हैं कि अगर फौरन ऐसा नहीं हुआ तो पानी और हवा के जरिए जो बीमारियां फैलेंगी उसपर काबू करना मुश्किल हो जाएगा।
केदारनाथ से लोग तो बचा लिए गए लेकिन अब राज्य सरकार के पास सबसे बड़ी चुनौती है जल्द ही शवों का अंतिम संस्कार करना। नहीं तो अब महामारियों का खतरा है। सेना के हेलीकॉप्टर शवों के अंतिम संस्कार के लिए बड़ी मात्रा में जरूरी सामान केदारनाथ तक पहुंचा रहे हैं।