उद्धव ने दिया सुलह का संकेत, बोले-राज ठाकरे से हाथ मिलाने पर आपत्ति नहीं

साल 2014 में लोकसभा चुनाव से पहले महाराष्‍ट्र के दो प्रमुख राजनीतिक दल शिवसेना और महाराष्‍ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) का आपस में विलय हो सकता है। यदि दोनों दलों के प्रमुख उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के बीच सबकुछ ठीक रहा तो शिवसेना और मनसे एक हो जाएगी।

ज़ी न्‍यूज ब्‍यूरो
मुंबई : साल 2014 में लोकसभा चुनाव से पहले महाराष्‍ट्र के दो प्रमुख राजनीतिक दल शिवसेना और महाराष्‍ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) का आपस में विलय हो सकता है। यदि दोनों दलों के प्रमुख उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के बीच सबकुछ ठीक रहा तो शिवसेना और मनसे एक हो जाएगी।
सबसे बड़ा सवाल यह भी है कि क्या बाल ठाकरे की मौत के बाद दोनों भाई वापस साथ आ पाएंगे। चूंकि शिवसेना नेताओं और मनसे के नेताओं के बीच तो अक्सर तीखी बयानबाजी होती रहती है।
महाराष्‍ट्र की राजनीति में दबदबा बनाए रखने की कवायद के तहत इस बात की पहल शिवेसना के अध्‍यक्ष की ओर से एक लेख में की गई है। शिवसेना के संस्‍थापक बाल ठाकरे के निधन के बाद मराठा हितों को अपने पक्ष में करने के लिए यह कवायद की जा रही है। पार्टी के मुखपत्र सामना में छपे एक साक्षात्‍कार में शिवसेना के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने अपने चचेरे भाई राज ठाकरे के साथ सुलह करने की संभावना का संकेत दिया।
पहली बार शिवसेना के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने संकेत दिए हैं कि अगर राज ठाकरे दिल से उनसे हाथ मिलाना चाहें तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। इस बयान से तो ऐसा ही लग रहा है कि सियासत में अलग-अलग राह चुनने वाले उद्धव और राज ठाकरे साथ हो जाएंगे।
उद्धव ने कहा, ` यह एक ऐसा सवाल है, जिस पर हम दोनों (राज और मैं) साथ बैठें और चर्चा करें। हम दोनों को ही एक साथ इस सवाल का जवाब ढूंढना होगा। उद्धव ने कहा कि राज के साथ आने का जवाब राज को ही देना है। राज चाहेंगे तो साथ आने की बात होगी। हम दोनों को सोचना होगा कि वे अलग क्‍यों हुए। ताली एक हाथ से नहीं बजती है।
शिवसेना के मुखपत्र सामना में आज जो कुछ भी छपा है, उससे साफ है कि राज अगर चाहें तो उन्हें हाथ मिलाने में कोई हिचक नहीं। उद्धव ने कहा है कि अगर कोई दिल से हमारे पास आता है तो मैं उसका स्वागत करूंगा। जब उद्धव से पूछा गया कि क्या कभी एमएनएस और शिवसेना साथ आ सकती है? इसके जवाब में उद्धव ने कहा कि ताली एक हाथ से नहीं बजती। मतलब साफ है कि अगर राज पहल करें तो दोनों के साथ आने की संभावनाओं के दरवाजे खुले हैं।
दोबारा पूछे जाने पर उद्धव ने कहा कि आप सिर्फ मुझसे ये सवाल कैसे कर सकते? मैं जवाब देने के लिए तैयार हूं लेकिन आपको हम दोनों को साथ बिठाकर ये सवाल करना चाहिए। ये दोनों पक्षों पर निर्भर करता है।
उधर, संजय राउत ने बुधवार को इस इंटरव्‍यू के बारे में पूछे जाने पर कहा कि पार्टी की भूमिका जनता के सामने लाने के लिए उद्धव ठाकने ने विस्‍तार से इस बात का जिक्र किया है। यह सवाल काफी समय से पूछा जा रहा है कि क्‍या शिवसेना और मनसे कभी साथ आएगी। इसी बात का जवाब आज सामना के इंटरव्‍यू में दिया गया है। उल्‍लेखनीय है कि इस पहल की शुरुआत उद्धव ठाकरे ने की। राज ठाकरे के साथ आने के सवाल पर उन्‍होंने भी सकारात्‍मक संकेत दिए।

गौर हो कि साल 2006 में राज ठाकरे ने शिवसेना से नाता तोड़कर महाराष्‍ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) का गठन किया था। राज ने यह कदम इसलिए उठाया था क्‍योंकि उस समय बाल ठाकरे ने अपने बेटे उद्धव ठाकरे को पार्टी का नेृतत्‍व करने के लिए कहा था।

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