सिर्फ 5 मिनट में तबाह हो गया था केदारनाथ

केदारनाथ धाम में 17 जून को मौजूद रहे एक व्यक्ति और उसके जीवित बचे 25 वर्षीय पुत्र के मुताबिक केदारनाथ मंदिर और उसके आसपास के इलाके को तबाह होने में मात्र पांच मिनट लगे होंगे।

देहरादून : केदारनाथ धाम में 17 जून को मौजूद रहे एक व्यक्ति और उसके जीवित बचे 25 वर्षीय पुत्र के मुताबिक केदारनाथ मंदिर और उसके आसपास के इलाके को तबाह होने में मात्र पांच मिनट लगे होंगे।
पिछले 15 वर्षो से केदारनाथ मंदिर के आगे भगवान के चित्रों और पोस्टरों की एक छोटी सी दुकान चलाने वाले राजकिशोर त्रिवेदी के अनुसार 17 जून को सुबह सात बजे अचानक भयंकर गड़गड़ाहट सुनाई दी। इसके बाद लोगों की भागो-भागो और बचो-बचो की आवाजें सुनाई दी। बाप और बेटे दोनों भागकर मंदिर के भीतर पहुंचे और तभी तेज हवा के कारण मंदिर का मुख्य द्वार बंद हो गया।
इसके बाद मंदिर में पानी भरने लगा और दोनों की गर्दन तक पहुंच गया। मंदिर की दान पेटिका तेजी से गिरी और उसके नीचे दब कर दो तीन लोगों की मौत हो गई। उस समय मंदिर के भीतर करीब 600 लोग मौजूद थे। बाढ़ की यह घटना सिर्फ पांच मिनट में घटी, लेकिन वह पांच मिनट ही अनंतकाल में बदल गया है।
कुछ घंटे बाद पानी घटने लगा और उसके बाद जब उन्होंने केदारनाथ बाजार को देखा तो सन्न रह गए। चारों ओर केवल शव ही बिखरे पड़े थे। अगले 40 घंटे राहत और बचाव का इंतजार करते हुए उन्होंने एक अतिथि गृह में गुजार दिए। वहां पर केवल वही एक इमारत कुछ सुरक्षित बची थी। उनकी तरह ही सैकड़ों अन्य लोगों ने भी उस अतिथि गृह की छत पर शरण ले रखी थी और राहत दल का इंतजार कर रहे थे। हेलीकॉप्टर का दिखना उनके लिए किसी स्वर्ग दूत के आगमन जैसा था।
त्रिवेदी की बाईं टांग टूटी है और वह इस समय देहरादून के दून अस्पताल के आपातकालीन वार्ड में इलाज करवा रहे हैं। अपने जीवित बचने का श्रेय वह भगवान और सेना के जवानों को देते हैं। (एजेंसी)

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