प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, बोली-आप काम नहीं कर सकते तो यहां क्यों हैं
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प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, बोली-आप काम नहीं कर सकते तो यहां क्यों हैं

सुप्रीम कोर्ट ने प्रदूषण मामले में चीफ सेक्रेटरी से पूछा कि पराली जलाना समाधान नहीं है. सरकार कोई समाधान क्यों नहीं देती है? प्रदूषण नुकसानदेह है. अगर अटॉर्नी जनरल के पास कोई समाधान नहीं है तो यह एक लोकतांत्रिक सरकार के काम करने का तरीका नहीं है. कोर्ट पंजाब सरकार से अगले सात दिन का एक्शन प्लान बताने के लिए कहा है.

प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, बोली-आप काम नहीं कर सकते तो यहां क्यों हैं

नई दिल्लीः वायु प्रदूषण मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली और पंजाब के चीफ़ सेक्रेटरी को कड़ी फटकार लगाई व दो टूक कहा कि प्रदूषण पर काबू पाने की नाकामी के लिए ज़िम्मेदार लोगों की जवाबदेही तय होगी. बुधवार को जस्टिस अरुण मिश्रा की अगुवाई वाली पीठ प्रदूषण के मामले में सुनवाई कर रही थी और इस दौरान उन्होंने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि  देश की 'लोकतांत्रिक सरकारों से कहीं अधिक उम्मीदें हैं, और उन्हें इस पर कायम रहना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के छोटे और सीमांत किसानों को गैर बासमती फसलों की पराली के निपटारे के लिए एक सौ रुपये प्रति क्विंटल की प्रोत्साहन राशि देने का आदेश दिया. वायु प्रदूषण मामले की सुनवाई के दौरान हरियाणा के चीफ़ सेक्रेटरी भी मौजूद थे.

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  2. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली और पंजाब के चीफ सेक्रेटरी को लगाई कड़ी फटकार

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पूछा-सरकार क्यों नहीं देती पराली जलाने का समाधान

जस्टिस मिश्रा ने दिल्ली के चीफ़ सेक्रेटरी से सवाल कड़े शब्दों में सवाल किया. उन्होंने कहा कि अगर आप सड़क की धूल. निर्माण, ध्वंस और कूड़े के निस्तारण से नहीं निपट सकते हैं तो आप इस पद पर क्यों हैं? जस्टिस मिश्रा ने कहा, हमें सरकार को ज़िम्मेदार बनाना होगा, लोगों को मरता हुआ नहीं छोड़ा जा सकता है. कितने लोग अस्थमा कैंसर और दूसरी बीमारियों की चपेट में आएंगे. उन्होंने आगे कहा, प्रदूषण पर हमें आपसे समाधान चाहिए. सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि पराली जलाने पर रोक लगाने से किसान प्रभावित होते हैं.

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इस पर जस्टिस मिश्रा ने कहा कि पराली जलाना समाधान नहीं है. सरकार कोई समाधान क्यों नहीं देती है? वेणुगोपाल ने कहा कि पंजाब और हरियाणा को दो जोन में बांटा जा सकता है और हर जोन में पराली जलाने के लिए दिन निर्धारित किए जा सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रदूषण नुकसानदेह है. अगर अटॉर्नी जनरल के पास कोई समाधान नहीं है तो यह एक लोकतांत्रिक सरकार के काम करने का तरीका नहीं है.

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ड्यूटी में नाकाम अफसरों को करें दंडित
कोर्ट ने पंजाब के चीफ सेक्रेटरी से सवाल किया कि हरियाणा पराली जलाने को बड़े पैमाने पर रोक सकता है तो पंजाब ऐसा क्यों नहीं कर सकता है? जस्टिस मिश्रा ने कहा, इन वरिष्ठ अधिकारियों को दंडित करने का वक़्त आ गया है. यह अफसर क्या कर रहे हैं. पराली जलाने की दिक्कत से निपटने के लिए कैसे काम कर रहे हैं. अगर आप यह नहीं कर सकते तो आप यहां क्यों रहेंगे? सुप्रीम कोर्ट ने कहा, आप अपनी ड्यूटी निभाने में पूरी तरह नाकाम रहे हैं. आपने किस तरह का रोडमैप अपनाया है"? कोर्ट ने पंजाब सरकार से कहा, हम इस मामले में तुरंत कार्रवाई चाहते हैं. कोर्ट पंजाब सरकार से अगले सात दिन का एक्शन प्लान बताने के लिए कहा. जस्टिस मिश्रा ने कहा कि पूरे प्रशासन को शामिल कीजिए और तय कीजिए कि कोई पराली न जलाए और अगर आप ऐसा नहीं कर सकते तो इसे कोर्ट पर छोड़ दीजिए. कोर्ट जो बेहतर तरीके से कर सकता है करेगा. सुनवाई के दौरान जस्टिस मिश्रा ने मामले में पेश हुए वकीलों से हल्के-फुल्के अंदाज़ में कहा, रिटायरमेंट के बाद मैं चला जाऊंगा. मैं यहां नहीं रहूंगा. माई लॉर्ड (बेंच के दूसरे जज दीपक गुप्ता) भी चले जाएंगे. लेकिन आप यहीं रहेंगे तो भविष्य के बारे में सोचिए. कृपया गरीब किसानों और दूसरे लोगों के बारे में सोचिए.

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