भारत ने पड़ोसी देश में नई सत्ता निर्माण को लेकर बधाई दी है. प्रधानमंत्री ने नवनिर्वाचित राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे को ट्वीट कर शुभकामनाएं भेजी हैं. हालांकि श्रीलंका में नई बनने वाली सरकार भारत के लिए चीन के मसले पर कुछ मुसीबत हो सकती है. दरअसल राष्ट्रपति चुनाव में विजोता गोटाबाया राजपक्षे चीनी समर्थक रहे हैं.
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नई दिल्लीः श्रीलंका के राष्ट्रपति चुनाव के परिणाम रविवार को आ गए. इसके तहत गोटाबाया राजपक्षे ने दावा किया है कि उनकी जीत हुई है. उन्होंने सत्ताधारी पार्टी के उम्मीदवार सजीथ प्रेमदासा को हरा दिया है. रविवार दोपहर को जारी हुए परिणाम के अनुसार राष्ट्रपति चुनाव में 80 फीसदी मतदाताओं ने हिस्सा लिया, जबकि यहां मतदाताओं की कुल संख्या 1.59 करोड़ है. राष्ट्रपति पद के लिए श्रीलंका में 32 उम्मीदवार थे. भारत के दक्षिणी सीमा के इस पड़ोसी देश के चुनावों पर दुनियाभर की नजर थी. यह इसलिए भी खास था क्योंकि महज सात महीने पहले श्रीलंका आतंकी धमाकों से दहल गया था. ऐसे में इस बार के चुनाव कड़ी सुरक्षा के बीच हुए हैं.
सजीथ प्रेमदासा ने स्वीकार की हार
सत्तारूढ़ पार्टी से सजीथ प्रेमदासा यहां उम्मीदवार थे. उन्होंने इस हार को स्वीकार करते हुए अपने प्रतिस्पर्धी रहे गोटबाया राजपक्षे को बधाई दी है. गोटबाया पूर्व रक्षा सचिव रहे हैं. प्रेमदासा ने कहा, लोगों के निर्णय का सम्मान करना और श्रीलंका के सातवें राष्ट्रपति के तौर पर चुने जाने के लिए गोटबाया राजपक्षे को बधाई देना मेरे लिए सौभाग्य की बात है.
प्रेमदास के बयान से पहले राजपक्षे के प्रवक्ता ने चुनाव परिणाम की आधिकारिक घोषणा से पहले दावा किया कि 70 वर्षीय सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट कर्नल ने शनिवार को हुए चुनाव में जीत दर्ज की.
प्रधानमंत्री मोदी ने भी दी बधाई
भारत ने पड़ोसी देश में नई सत्ता निर्माण को लेकर बधाई दी है. प्रधानमंत्री ने नवनिर्वाचित राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे को ट्वीट कर शुभकामनाएं भेजी हैं. उन्होंने लिखा है कि श्रीलंका के राष्ट्रपति चुनाव में जीत के लिए गोटाबाया राजपक्षे को बधाई. आशा है दोनों देश शांति, समृद्धि और क्षेत्र की सुरक्षा के लिए मिलकर काम करेंगे. श्री
लंका के इस चुनावी समर पर भारत की भी नजर थी. दरअसल यह भारत के लिए अपने दूसरे पड़ोसी देश चीन के साथ कूटनीतिक रिश्तों पर असर डाल सकता है. राजपक्षे चीनी समर्थक माने जाते हैं.
पूर्व राष्ट्रपति के भाई हैं गोटाबाया
गोटाबाया श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे के भाई हैं. पहले से ही उनके जीते जाने की उम्मीद थी. राजपक्षे खेमे को तमिल टाइगर्स का खात्मा करने की वजह से लोग काफी पसंद करते हैं. पहले ही कहा जा रहा था कि राजपक्षे का जीतना भारत के लिए निगेटिव पॉइंट हो सकता है. दूसरी तरफ सत्ताधारी पार्टी के उम्मीदवार सजीथ प्रेमदासा थे. हालांकि उनके लिए भी यह स्पष्ट कहना नामुमकिन था कि वह किस विचारधारा के हैं. पहले वह चीन के आलोचक थे लेकिन अब उनके सुर इस विषय में काफी नरम हुए थे.
हिंद महासागर में चीन की सैन्य पहुंच को मिलेगी मदद
महिंदा राजपक्षे के राष्ट्रपति रहते चीन और लंका करीब आए थे. 2014 में राजपक्षे ने दो चीनी सबमरीन को उनके वहां खड़ा करने की इजाजत तक दी थी. अब उनके भाई गोटाबाया के जीतने के बाद श्रीलंका और चीन की नजदीकियां फिर बढ़ सकती हैं. इस स्थिति में चीन हिंद महासागर पर अपनी पकड़ ज्यादा मजबूत कर सकता है. श्रीलंका ने हंबनटोटा बंदरगाह को विकसित करने के लिए भारी लोन लिया था. फिर लोन चुका न पाने पर उसने यह अहम पोर्ट चीन को 99 साल की लीज पर दे दिया. फिलहाल इसपर चीन का ही अधिकार है. चीन ने श्रीलंका को एक युद्धपोत भी गिफ्ट किया है. इन सबके जरिए चीन हिंद महासागर में अपनी सैन्य पहुंच बना रहा है.
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