कब सुनेंगे बेटियों की चीख-पुकार? धर्म ही एकमात्र उपचार!

देश की हालत देखकर हर किसी की आंखें दर्द से छलक रही हैं, जिस बेटियों के लिए बड़ी-बड़ी बातें की जाती हैं, उसकी सुरक्षा का के लिए हमने एक बेहतर समाज का निर्माण कर पाया. अगर नारियों की अहमियत हैवानों को नहीं समझ आती है, तो उन्हें मरते दम तक इस मंत्र का जाप कराना चाहिए.

Written by - Ayush Sinha | Last Updated : Nov 30, 2019, 08:00 PM IST
    1. वहशी दरिंदों की करतूत से हर कोई शर्मसार
    2. समाज में नहीं महफूज हैं बहन-बेटियां
    3. सरेआम उड़ रही हैं इंसानियत की धज्जियां
कब सुनेंगे बेटियों की चीख-पुकार? धर्म ही एकमात्र उपचार!

नई दिल्ली: हम छाती पीट-पीटकर ये हल्ला मचाते हैं कि 'बेटी पढ़ाओ-बेटी बचाओ', 'बेटियां घर की लक्ष्मी हैं' वगैरह-वगैरह... लेकिन जिस्म को नोंचने वाले वहशी दरिंदे खुलेआम घर की बेटियों को लगातार अपने दरिंदगी का शिकार बना रहे हैं. सरेआम इंसानियत की धज्जियां उड़ रही हैं. हैदराबाद में गैंगरेप के बाद डॉक्टर की निर्मम हत्या से पूरा हिंदुस्तान गुस्से में है. रांची में एक छात्रा के साथ गैंगरेप की वारदात से पूरा मुल्क आक्रोश में है. आज से करीब 7 साल पहले 2012 में दिल्ली के निर्भया गैंगरेप कांड के बाद देश में उबाल आ गया था. और 7 सालों में हमारा समाज वैसा ही मैला दिखाई दे रहा है.

शर्मसार हो गया देश

निर्भया कांड के बाद रेप को लेकर संसद ने कठोर कानून बना दिया लेकिन हम वो समाज नहीं बना पाए जहां बहन-बेटियां खुद को महफूज समझ सकें. इसलिए कभी रांची से तो कभी हैदराबाद से हवस भरी हैवानियत की ऐसी दास्तां सामने आ जाती हैं कि सभ्य समाज की शर्म के मारे आंखें झुक जाएं. हर किसी की रूह कांप उठती है और हर माता-पिता की आत्मा हर पल अपनी बेटी की हिफाजत की कामना करती रहती है. क्योंकि इन जानवरों को ऐसी करतूत करते वक्त अपनी मां, बहन, बीवी या बेटी की याद नहीं आती है.

आंकड़ों के आईने में झांकेंगे तो हालात और भी भयावह नजर आएंगे. जिस तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद में 26 साल की डॉक्टर की गैंगरेप के बाद जलाकर हत्या कर दी गई, वो तेलंगाना 18 से 30 साल की उम्र की महिलाओं के लिए मुल्क में सबसे असुरक्षित राज्य के तौर पर शुमार है. ये जानवर हद की सारी सीमाएं तोड़, अपनी असल औकात पर आ ही जाते हैं.

आंकड़ों की जुबानी, हैवानियत की कहानी

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो यानी NCRB के मुताबिक, 

1). 2017 में तेलंगाना में रेप के 552 केस दर्ज हुए जिनमें से 502 मामलों में पीड़ित की उम्र 18 से 30 साल के बीच थी जो कि 91 फीसदी है
2). 2017 में बिहार में बलात्कार के 605 मुकदमे हुए. इनमें से 546 केस में यानी 90 फीसदी मामलों में पीड़ित की उम्र 18 से 30 साल की थी
3). कर्नाटक में साल 2017 में रेप के 546 केस दर्ज हुए जिनमें से 83 फीसदी यानी 452 ऐसी पीड़ित थीं जिनकी उम्र 18 से 30 साल के बीच थी
4). 2017 में महाराष्ट्र में में रेप के 1933 केस सामने आए जिनमें से 83 फीसदी यानी 1428 पीड़ित की उम्र 18 से 30 साल की उम्र वाली थीं
5). गुजरात में 2017 में 477 रेप के केस दर्ज कराए गए और इनमें से 349 यानी कि 73 फीसदी पीड़ित 18 से 30 साल की थीं

यहां गौर करने वाली बात ये भी है कि रेप के जो आंकड़े हम गिना रहे हैं, वो थाने में आए हुए मुकदमे हैं. कई केस तो थाने तक भी नहीं पहुंचते यानी आंकड़े और भी भयावह हो सकते हैं.

NCRB की रिपोर्ट बताती है कि साल 2017 में देश में रेप के कुल 32 हजार 559 केस दर्ज किए गए.
रेप को लेकर राज्यों के हिसाब से सबसे बुरी स्थिति मध्य प्रदेश की रही जहां 5 हजार 562 केस सामने आए. 
दूसरे नंबर पर यूपी रहा जहां 2017 में रेप के 4 हजार 246 मामले दर्ज किए गए. 
तीसरे नंबर पर राजस्थान का नाम आता है जहां 2017 में बलात्कार के 3 हजार 305 केस सामने आए.

हैदराबाद में प्रियंका रेड्डी की हत्या के बाद से देशभर में कोहराम मचा हुआ है. महिलाओं की सुरक्षा तो लेकर सरकार से सवाल पूछे जा रहे हैं. जनता सडकों पर हंगामा कर रही है. और पूछ रही है कि देश में महिला क्यों सुरक्षित नहीं है. 

ज्यादातर अपने ही होते हैं दरिंदे

हैदराबाद और रांची दोनों ही केस में हैवान, पीड़ितों के परिचित नहीं थे लेकिन एक सच ये भी है कि बलात्कार के अधिकतर मामलों में आरोपी अपने ही होते हैं. NCRB का आंकड़ा बताता है कि 2017 में रेप के जितने केस दर्ज हुए, उनमें से 93 फीसदी मामलों में आरोपी या तो रिश्तेदार थे या फिर परिचित. वहीं केवल 7 फीसदी केस में आरोपी अनजान पाए गए.

'यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमंते तत्र देवता:'
'यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफलाः क्रियाः'

उपर लिखे इस मंत्र का अर्थ समझकर हैवानों की करतूत पर ना सिर्फ शर्म बल्कि इस कदर क्रोध आएगा कि उनके सर्वनाश की इच्छा होने लगेगी. इस श्लोक का अर्थ है कि 'जिस कुल (घर) में नारियों की सत्कार या पूजा होती है, उस घर में दिव्य गुण, दिव्य भोग और उत्तम संतान होते हैं.' दूसरी पंक्ति में सीधे तौर पर कहा गया है कि 'जिस कुल (घर) में स्त्रियों की पूजा नहीं होती है वहां क्रिया निष्फल हैं. यानी सारे मेहनत और काम बेकार हैं'

ये मंत्र हिंदुस्तान की विरासत का सूत्र वाक्य है, इसके माध्यम से सीधे तौर पर ये कहा गया है कि जहां महिलाओं की पूजा होती है वहां देवता निवास करते हैं. और जहां नहीं होती वहां कुछ भी कर लिया जाए, सब व्यर्थ है. आज इस मुल्क का हाल ऐसा है कि यहां देवता नहीं, दानव खुलेआम घूम रहे हैं. ये जानवर रूपी दरिंदे कभी हैदराबाद में अपनी दरिंदगी की डरावनी दास्तां लिखते हैं, तो कभी रांची में अपनी हैवानियत का परिचय देते फिरते हैं.

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पूरे देश में इस बात की नाराजगी देखी जा रही है कि महिलाओं के लिए ये देश सुरक्षित नहीं है. चाहें देश की राजधानी दिल्ली हो या दूर तेलंगाना का हैदराबाद महिलाएं कहीं भी महफूज नहीं हैं.

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