सरकारी बाबुओं को Air India ने कहा पहले बकाया राशि दें तब लें यात्रा का मजा

Air India  अब उधार ना चुकाने वाले सरकारी विभागों को टिकट नहीं देगी. शुक्रवार को कंपनी ने यह फैसला किया कि वो 10 लाख से ज्यादा बकाए वाले सरकारी एजेंसी व विभागों का टिकट नहीं देगी. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Dec 27, 2019, 12:58 PM IST
    • सालों-साल तक लटका रह जाता है सरकारी बाबुओं का कर्ज
    • क्रेडिट के हिसाब से बुक करते आए हैं टिकट
    • एयरइंडिया का नया रिकवरी प्लान कहां है
सरकारी बाबुओं को Air India ने कहा पहले बकाया राशि दें तब लें यात्रा का मजा

नई दिल्ली: एयर इंडिया का सरकारी विभागों पर तकरीबन 268 करोड़ रुपए बकाया है. घाटे में चल रही Air India ने अपनी हालात में मामूली सुधार लाने के लिए यह बड़ा फैसला लिया है. Air India ने केन्द्र सरकार के अधीन कई मंत्रालयों, विभागों और एजेंसियों को क्रेडिट पर एयर टिकट देने पर रोक लगा दी है. ऐसे विभाग व एजेंसी जिनके ऊपर एयर इंडिया का 10 लाख से भी ज्यादा का बकाया है, अब उन्हें उधार पर एयर इंडिया टिकट नहीं बेचने वाली.

सालों-साल तक लटका रह जाता है सरकारी बाबुओं का कर्ज

आपको बता दें कि सरकारी विभागों पर एयर इंडिया का 268 करोड़ रुपए उधार है. बकाएदारों की सूची खंगालेंगे तो पता चलेगा कि इसमें तो देश की कुछ प्रमुख जांच एजेंसियां भी शामिल हैं. आमतौर पर सरकारी विभाग और एजेंसियां एयर इंडिया से क्रेडिट यानी उधार पर यात्रा के लिए टिकट बुक करा लेती हैं और उनका पेमेंट सालों-साल लटका रहता है. दरअसल एयर इंडिया सरकारी एयरलाइन है, इसलिए इसके बकाए को चुकाने के लिए सरकारी विभाग भी कोई जल्दबाजी नहीं दिखाती.

क्रेडिट के हिसाब से बुक करते आए हैं टिकट

Air India के इस फैसले से उन सरकारी अधिकारियों, कर्मचारियों व मंत्रियों पर असर पड़ेगा, जो कि कहीं भी यात्रा करने के लिए विभाग के माध्यम से क्रेडिट पर एयर इंडिया का टिकट बुक कराते आए हैं. अब टिकट बुक कराने से पहले 10 लाख का बकाया चुकाना होगा.

एयरइंडिया का नया रिकवरी प्लान कहां है ?

हालांकि एयर इंडिया के प्रवक्ता धन्नजय ने जी न्यूज से बातचीत में कहा कि ‘एयरलाइन ने रिकवरी शुरू कर दी है. 268 करोड़ बकाए में से 50 करोड़ रूपये एयरलाइन ने रिकवरी के माध्यम से सरकारी विभागों से वापिस ले लिए हैं. लेकिन यहां पर सवाल यह उठता है कि देश की सरकारी एयरलाइन एयर इंडिया जो घाटे में चल रही है, उसके बकाए को चुकाने के लिए सरकारी विभाग गंभीर क्यों नहीं हैं ?

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