नागरिकता संशोधन कानून को लेकर नीतीश की पार्टी JDU में 'दरार'

CAA और NRC के मुद्दे को लेकर देशभर में बवाल का दौर जारी है. लेकिन बिहार की सियासत भी इससे अछूती नहीं है. बिहार में सत्ताधारी दल जेडीयू के भीतर कलह का माहौल देखने को मिल रहा है. नीतीश कुमार के नेताओं ने विरोधी सुर अपना लिया है.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jan 23, 2020, 05:20 PM IST
    1. CAA को लेकर नीतीश कुमार के JDU में दरार
    2. विरोधी सुर अपनाने वाले नेताओं को अल्टीमेटम
    3. तो क्या पार्टी छोड़ देंगे जेडीयू नेता पवन वर्मा?
नागरिकता संशोधन कानून को लेकर नीतीश की पार्टी JDU में 'दरार'

नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन कानून को लेकर एक तरफ देश भर में विरोध प्रदर्शन का दौर चल रहा है तो वहीं नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड में भी घमासान मचा है. सीएए और एनआरसी को लेकर जेडीयू में दरार अब खुलकर सामने आ गई है. सीएए और एनआरसी को विभाजनकारी बताते हुए जेडीयू के प्रवक्ता पवन वर्मा ने पार्टी के मुखिया नीतीश कुमार को लंबा चौड़ा खत लिखकर पार्टी का स्टैंड क्लियर करने को कहा था. 

CAA को लेकर नीतीश के JDU में दरार

पवन वर्मा ने दिल्ली में बीजेपी के साथ गठबंधन पर भी सवाल उठाए थे. अब नीतीश ने दो टूक कहा है कि अगर किसी को कोई समस्या है तो वो कहीं भी जाने के लिए स्वतंत्र है. नीतीश कुमार ने कहा है कि 'भले ही वो हम लोगों की इज्जत ना करें, ये उनका अपना निर्णय है. जहां जाना हो वहां जाएं, हमको इस पर कोई एतराज नहीं है लेकिन आप एक बात अच्छी तरह जान लीजिए. जनता दल यूनाइटेड को समझने की कोशिश कीजिए. कुछ लोगों के बयान से जनता दल यूनाइटेड को मत देखिए. जनता दल यूनाइटेड बहुत ही द्रढता के साथ अपना काम करती है और कुछ चीजों पर हमारा जो स्टैंड होता है वो बहुत साफ होता है. एक भी चीज के बारे में हम किसी कन्फ्यूजन में नहीं रहते हैं.'

नीतीश कुमार के इस बयान को अपने ऐसे नेताओं को अल्टीमेटम की तरह देखा जा रहा है, जो पिछले कई दिनों से सीएए और एनआरसी को लेकर सवाल कर रहे हैं.

विरोधी सुर अपनाने वाले नेताओं को अल्टीमेटम

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ये भी कहा कि 'अगर किसी के मन में कोई बात है तो आकर विमर्श करना चाहिए, बातचीत करनी चाहिए. उसके लिए अगर वो जरूरी समझे तो पार्टी की बैठक में चर्चा करनी चाहिए लेकिन इस तरह का वक्तव्य देना. आप खुद देख लीजिए. ये कोई आश्चर्य की बात है, इस तरह का वक्तव्य आप दे रहे हो कि हमसे क्या बात करते थे. अब हम कहेंगे कि हमसे क्या बात करते थे. ये सब कोई तरीका है तो इन बातों को छोड दीजिए. मुझे फिर भी सम्मान है और इज्जत है. जहां उनको अच्छा लगे वहां जाएं, मेरी शुभकामना है.

पवन वर्मा से पहले जेडीयू महासचिव प्रशांत किशोर भी सीएए और एनआरसी को लेकर विरोध के सुर उठा चुके हैं. प्रशांत नीतीश कुमार से मिलकर उन्हें ये समझाने में भी कामयाब रहे कि बिहार में NRC लागू नहीं होना चाहिए. बाद में प्रशांत किशोर सीएए के भी खिलाफ हो गए. अब तो प्रशांत की कंपनी दिल्ली चुनाव में आम आदमी पार्टी की कैंपेनिंग की जिम्मेदारी भी संभाल रही है. ऐसा तब है जब दिल्ली में बीजेपी और जेडीयू मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं. 

तो क्या पार्टी छोड़ देंगे पवन वर्मा?

पवन वर्मा ने भी विचारधारा की दलील रखते हुए दिल्ली में बीजेपी-जेडीयू के गठबंधन पर सवाल उठाए थे. जिस पर नीतीश ने सख्त रुख दिखाया है. हालांकि, पवन वर्मा ने फिर दोहराया है कि वो नीतीश कुमार से विचारधारा पर अब भी स्पष्टता चाहते हैं. पार्टी छोडने के सवाल पर पवन वर्मा ने कहा है कि वो बस पार्टी में वैचारिक स्पष्टता चाहते हैं. उन्हें अब भी नीतीश को लिखे पत्र के जवाब का इंतजार है. इसके बाद ही भविष्य को लेकर वो कोई कदम उठाएंगे.

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दिल्ली में जेडीयू बीजेपी के साथ मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ रही है. अक्टूबर में बिहार में चुनाव होने हैं. जहां भाजपा नीतीश को बड़ा भाई मान चुकी है. ऐसे में साफ है कि नीतीश भी सीएए और एनआरसी की मुखालफत करने वाले अपने दो नेताओं के लिए बीजेपी की नाराजगी मोल नहीं लेना चाहते क्योंकि इससे गठबंधन को लेकर गलत संदेश जा सकता है.

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