तमिलनाडु: इरोड जिले में अगरबत्ती बेचने वाले दृष्टिबाधित पति-पत्नी उस समय स्तब्ध रह गए जब उन्हें पता चला कि उन्होंने मेहनत की कमाई से जो 24 हजार रुपये बचाए थे, वे 1,000 और 500 रुपये के चलन से बाहर हो चुके नोटों में है, जिन्हें लगभग चार साल पहले बंद किया जा चुका है. बचत की रकम बैंक में जमा कराने गए थे


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सुदूर पोठिया मूपानूर गांव के निवासी सोमू (58) ने दावा किया कि उन्हें नवंबर 2016 में हुई नोटबंदी के बारे में शुक्रवार को पता चला जब वह अपनी और अपनी पत्नी पलानीअम्मल की बचत की रकम बैंक में जमा कराने गए. उन्होंने शनिवार को पत्रकारों से कहा कि कोविड-19 के चलते बीते चार महीने से कोई कमाई नहीं हो पा रही थी, तो उन्होंने अपनी निरक्षर मां के पास रखी अपनी बचत निकाली.


अगरबत्तियां और कपूर बेचकर बचत की थी
सोमू इस राशि को जमा कराने बैंक ले गए, जहां अधिकारियों ने उन्हें बताया कि ये नोट काफी पहले बंद हो चुके हैं. सोमू ने कहा कि उन्होंने और उनकी पत्नी ने नजदीकी अंथियूर और आसापास के इलाकों में दस साल से अधिक समय तक अगरबत्तियां और कपूर बेचकर यह बचत की थी. 


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उन्होंने कहा कि हर सप्ताह वह अपने साथ रह रहीं अपनी मां को कुछ पैसा दिया करते थे, जिसे वह अपने पास सुरक्षित रख लिया करती थीं. वह नियमित अंतराल पर इसे 500 या 1000 के नोटों में बदलवा लेते थे.


मालूम नहीं था नोट बंद हो चुके हैं
सोमू ने कहा कि हम तीनों लोगों को पता ही नहीं था कि 1,000 और 500 के ये नोट बंद हो चुके हैं. सोमू ने कहा कि उन्होंने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के पलनीस्वामी को ज्ञापन भेजकर उनसे मदद का अनुरोध किया है.


पुलिस ने इस मामले की जांच करने की बात कही है.


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इससे पहले, नजदीकी तिरुपुर जिले से भी पिछले साल ऐसा ही मामला सामने आया था, जहां दो बुजुर्ग बहनों को पता चला था कि उनकी 46 हजार रुपये की जीवन भर की बचत 1,000 और 500 के चलन से बाहर हो चुके नोटों में है, जिन्हें बंद किया जा चुका है.


(इनपुट: भाषा )