ओडिशा: विवाह समारोह के दौरान अग्नि के सामने सात फेरे लेते हुए अब तक आपने इंसानों को देखा या सुना होगा. मगर ओडिशा के पुरी में एक अनोखी शादी देखने को मिली है, जहां पर गौवंश संरक्षण के लिए नंदी बैल के शादी समारोह का अयोजन किया गया. जिसकी खूब चर्चा हो रही है. यह समारोह किसी इंसानी शादी से कम नहीं था. इस मौके पर ओडिशा के राज्यपाल गणेशी लाल संतों-महात्माओं के साथ भी उपस्थित थे. मौजूद संतों का कहना था कि गोवंश के संरक्षण और गाय के प्रजनन के लिए इस तरह का विवाह समारोह हिंदुत्व और धरती माता के लिए काफी लाभदायक है.


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शादी में सारे रीत -रिवाज, नाचना-गाना, भव्य बारात और शादी के बाद भोज का आयोजन हिंदू धार्मिक परम्परा के तहत हुआ. पौराणिक आस्था और विश्वास पर आधारित यह अनूठी शादी लोगों ने इस मान्यता के अनुसार कराई कि इससे गौवंश संरक्षण में मदद मिलेगी. 500 से अधिक लोग इस शादी में शामिल थे. 2 अलग-अलग आश्रम से गाय-और बैल को लाकर यह शादी कराई गई.


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विवाह समारोह वैदिक रीति से संपन्न हुआ, जबकि नंदी और गोमाता सौरवी अग्नि को साक्षी मानकर सात जन्मों के लिए विवाह बंधन में बंध गए. सुबह होते ही नंदी को विदा कर दिया गया. दोपहर में नंदी की शादी का जश्न मनाया गया. इंसानी शादी की तरह इस विवाह में भी शादी स्थल को सजाया गया था. नंदी और सौरवी को भी दूल्हा-दुल्हन की तरह तैयार किया गया. इस तरह की शादी का असली मकसद गौवंश संरक्षण है.



कार्यक्रम में मौजूद राज्यपाल गणेशी लाल ने कहा कि, "जिस तरह हम ईश्वर का ध्यान करते हैं तो ताकत मिलती है. उसी तरह गाय की सुरक्षा और सेवा से दुनिया में सुख-शांति बनी रहेगी'' गौवंश संरक्षण के लिए इस तरह का विवाह देश में अपनी तरह का पहला कार्यक्रम है.