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इस गांव में साल में तीन महीने रहता था अंधेरा, फिर कुछ ऐसे बना डाला खुद का 'सूरज'; देखें 6 Photos

दुनिया में एक ऐसा छोटा गांव है, जहां पर साल में तीन महीने तक अंधेरा छाया रहता है. इस वजह से वहां के लोगों में कई तरह की बीमारियां होने लगी. अंधेरे से निजात पाने के लिए इस गांव के लोगों ने अपना खुद का 'सूरज' बना लिया. सूरज की रोशनी नहीं मिल पाने के कारण पूरा गांव तीन महीने तक अंधेरे में रहता था. फिलहाल, चलिए यह जानते हैं कि आखिर इस गांव में साल के तीन महीने अंधेरा क्यों रहता है.

यहां साल में तीन महीने रहता था अंधेरा

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यहां साल में तीन महीने रहता था अंधेरा

डेली स्टार न्यूज के मुताबिक, इटली के उत्तरी इलाके में मौजूद विगनेला (Viganella) गांव चारों तरफ पहाड़ों और घाटियों से घिरा हुआ है. जब भी ठंड आती है तो यहां पर सूर्य की किरणें नहीं आ पाती. जिस कारण करीब तीन महीने नवंबर से लेकर फरवरी तक अंधेरा ही रहता है. (photo courtesy: Reuters)

अंधेरे से कई बीमारियों से जूझा गांव

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अंधेरे से कई बीमारियों से जूझा गांव

इस दौरान गांव में सूरज की किरणें नहीं पहुंचने पर लोगों को कई बीमारियों से गुजरना पड़ता था. सूरज की किरणों की कमी के कारण गांव के लोगों को निगेटिव इम्पैक्ट अनिद्रा, मूड खराब रहना, एनर्जी लेवल कम होना, क्राइम रेट बढ़ने जैसी समस्याओं से जूझना पड़ता था. (photo courtesy: TROND STEGARUD/GAUSTATOPPEN BOOKING)

डॉक्टर ने वीडियो शेयर कर बताया

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डॉक्टर ने वीडियो शेयर कर बताया

इस बारे में डॉक्टर करन राज ने टिकटॉक पर एक वीडियो शेयर करके बताया है कि कैसे एक गांव बिना सूरज की रोशनी से तमाम समस्याओं से जूझता था. इससे बचने के लिए गांव के लोगों ने खुद का ही 'सूरज' बना डाला. (photo courtesy: Getty)

साल 2006 में आया 'सूरज' का आइडिया

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साल 2006 में आया 'सूरज' का आइडिया

विगनेला (Viganella) गांव ने साल 2006 में 100,000 यूरो (उस समय लगभग 87 लाख) की लागत से 8 मीटर लंबा और 5 मीटर चौड़ा ठोस स्टील शीट का निर्माण किया. ऐसा करने के बाद सूरज की रोशनी सीधे इस स्टील शीट पर पहुंचती है जो गांव में अच्छी रोशनी प्रदान करती है. (photo courtesy: Reuters)

दिन में छह घंटे मिलती है रोशनी

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दिन में छह घंटे मिलती है रोशनी

इस एक आइडिया से गांव के लोगों को बड़ी सफलता मिली, जिसमें डॉ. करण ने बताया कि कैसे इस गांव को अब एक दिन में छह घंटे रोशनी मिलती है, जिससे लोगों को सोशलाइज होने में मदद मिली. 2008 में विगनेला के मेयर पियरफ्रेंको मिडाली ने कहा था कि इस प्रोजेक्ट के पीछे के आइडिया का वैज्ञानिक आधार नहीं, बल्कि एक मानव है. (photo courtesy: Reuters)

डॉक्टर के वीडियो को मिले 1.9 मिलियन व्यूज

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डॉक्टर के वीडियो को मिले 1.9 मिलियन व्यूज

मिडाली ने कहा था कि यह आइडिया लोगों को सर्दियों में सोशलाइज न हो पाने बाद आया, जब शहर ठंड और अंधेरे के कारण बंद हो जाता था. डॉ. राज के इस वीडियो को 1.9 मिलियन से अधिक बार देखा जा चुका है और यह जानकारी व्यूअर्स को हैरानी में डाल दिया. (photo courtesy: AP)

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