सड़क पर चलती गाड़ियों में आपने सफेद, पीली या हरी नंबर प्लेट तो जरूर देखी होगी, लेकिन क्या आप जानते हैं कि गाड़ियों की नंबर प्लेट सिर्फ 1-2 नहीं बल्कि 7 रंगों की होती है? हर रंग की प्लेट का अलग मतलब होता है और ये बताती है कि गाड़ी का इस्तेमाल किसके लिए हो रहा है. आज हम आपको बताएंगे कि कौन-सी नंबर प्लेट किस गाड़ी को दी जाती है और उसका क्या खास मतलब होता है.
यह प्लेट आम लोगों की निजी गाड़ियों में लगाई जाती है. सफेद रंग की नंबर प्लेट वाली गाड़ी को कमाई के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता. इस प्लेट पर काले रंग से नंबर लिखे होते हैं. आमतौर पर लोग सफेद प्लेट देखकर समझ जाते हैं कि यह पर्सनल गाड़ी है.
पीले रंग की नंबर प्लेट टैक्सी या कमाई के काम में आने वाले वाहनों की होती है. आमतौर पर यह प्लेट टैक्सी, ऑटो या कमर्शियल ट्रकों में लगाई जाती है. इस प्लेट पर भी काले रंग से नंबर लिखे होते हैं.
नीले रंग की नंबर प्लेट उन गाड़ियों को मिलती है, जिनका इस्तेमाल विदेशी प्रतिनिधि करते हैं. इस प्लेट पर सफेद रंग से नंबर लिखे होते हैं. ऐसी गाड़ियां आमतौर पर दिल्ली या बड़े शहरों में दिखती हैं. यह प्लेट बताती है कि गाड़ी विदेशी दूतावास या यूएन मिशन की है.
काले रंग की नंबर प्लेट वाली गाड़ियां भी कमर्शियल होती हैं, लेकिन इनका इस्तेमाल खास लोगों के लिए होता है. ऐसी गाड़ियां अक्सर बड़े होटलों में खड़ी दिखती हैं. इन गाड़ियों की काली प्लेट पर पीले रंग से नंबर लिखे होते हैं.
लाल नंबर प्लेट का स्थायी रजिस्ट्रेशन नंबर जारी नहीं हुआ होता है. यह नंबर प्लेट उन गाड़ियों पर लगाई जाती है जिनका अस्थायी रजिस्ट्रेशन किया गया होता है. लाल नंबर प्लेट वाली गाड़ियां टेस्टिंग व्हीकल्स या प्रोमोशन के लिए इस्तेमाल की जाती हैं.
इस नंबर प्लेट का इस्तेमाल सेना के वाहनों में होता है. ऐसी प्लेट पर एक तीर का निशान बना होता है जो ऊपर की ओर इशारा करता है. इसे ब्रॉड एरो कहा जाता है. यह नंबर रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी किया जाता है. तीर के बाद जो पहले दो अंक होते हैं, वे उस साल को दिखाते हैं जिसमें वाहन खरीदा गया था. यह नंबर कुल 11 अंकों का होता है.
सड़क परिवहन मंत्रालय ने इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए हरे रंग की नंबर प्लेट तय की है. इस प्लेट का बैकग्राउंड हरा होता है और उस पर वाहन की कैटेगरी के अनुसार सफेद या पीले रंग से नंबर लिखे जाते हैं.
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