इस मदरसे में छात्रों को दी जाती है संस्कृत की तालीम, गीता के श्लोकों का समझाया जाता है अर्थ
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इस मदरसे में छात्रों को दी जाती है संस्कृत की तालीम, गीता के श्लोकों का समझाया जाता है अर्थ

मदरसों का नाम जेहन मे आते ही धार्मिक शिक्षा के लिए बने केंद्र नजर आते हैं, लेकिन मुरादाबाद में मदरसे ने एक ऐसी पहल की है, जिसकी हर कोई तारीफ कर रहा है.

मदरसे में संस्कृत की पढ़ाई से बच्चों को जहां भारतीय पौराणिक ग्रंथों और जीवन दर्शन की जानकारी हो रही है.

मुरादाबाद, दीप चंद जोशी: भारत (India) विविधताओं का देश है और अनेकता में एकता इस देश की सदियों से चली आ रही पहचान है. सांप्रदायिक सौहार्द (Communal Harmony) के जरिए पूरे विश्व को शांति का संदेश देने वाले इस देश में एक-दूसरे का सम्मान करना जीवन जीने की कला है. मदरसों (Madrasas) का नाम जेहन मे आते ही धार्मिक शिक्षा के लिए बने केंद्र नजर आते हैं, लेकिन मुरादाबाद (Moradabad) में मदरसे ने एक ऐसी पहल की है, जिसकी हर कोई तारीफ कर रहा है. 

भोजपुर क्षेत्र स्थित मदरसे में छात्रों को संस्कृत पढ़ाई जा रही है और श्रीरामचरितमानस से लेकर गीता तक के श्लोक का अर्थ समझाया जा रहा है. छात्र जहां संस्कृत की पढ़ाई में रुचि ले रहे हैं, वहीं मदरसा प्रबंधक इसे देश को जानने और समझने की पहल बता रहे हैं. 

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मदरसे में डेढ़ सौ से अधिक छात्र शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं.मदरसे में सभी विषयों की शिक्षा के साथ संस्कृत भी पढ़ाई जा रही है और संस्कृति के पौराणिक ग्रंथों के जरिए छात्रों को शिक्षा दी जा रही है. एक तरफ रामचरितमानस के जरिए भगवान राम के जीवन से जुड़े पहलू हैं तो दूसरी तरफ गीता के जरिए भगवान श्री कृष्ण और अर्जुन संवाद छात्रों को इतिहास की जानकारी दे रहे हैं. 

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12वीं कक्षा तक कि शिक्षा दे रहे, इस मदरसे मे छात्रों के लिए संस्कृत की पढ़ाई अनिवार्य है और हर दिन बच्चों को संस्कृत भाषा में लिखे गए श्लोकों का अनुवाद कर समझाया जाता है. बच्चों को दी जा रही इस तालीम से अनेक अभिभावक भी संतुष्ट हैं और पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित करते हैं.

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मदरसे के प्रबंधक इससे जहां सामाजिक सद्भाव बनाने का कदम मानते हैं. उनके मुताबिक धर्म विशेष से जुड़ी जानकारियों के अभाव के चलते लोगों मे अफवाहों पर विश्वास करना आसान हो जाता है. इसलिए छात्रों को आवश्यक हैं कि वे सभी विषयों की जानकारी हासिल करें और समाज में मुकम्मल इंसान के तौर पर जीवन जाए.

 

मदरसे में संस्कृत की पढ़ाई से बच्चों को जहां भारतीय पौराणिक ग्रंथों और जीवन दर्शन की जानकारी हो रही है. वहीं, उनके सवालों के जवाब भी मिल रहे हैं. छात्र भी मानते हैं कि समाज में अगर आपसी भाईचारा और पूरा प्यार बढ़ाना है तो शिक्षा के जरिए यह काम आसान हो जाता है. मदरसे में इस पहल को लोगों का भी समर्थन मिल रहा है.

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