ये है बिना सुई-धागे के सिलाई वाली 110 साल पुरानी शर्ट, देखकर लोगों के उड़े होश
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ये है बिना सुई-धागे के सिलाई वाली 110 साल पुरानी शर्ट, देखकर लोगों के उड़े होश

Stitched Without Needle Thread: साधारण सी दिखने वाली पोशाकें प्राचीन होने के कारण नहीं बल्कि एक और चौंकाने वाले तथ्य के कारण भीड़ को आकर्षित कर रही हैं. तथ्य यह है कि वे सिले नहीं बल्कि बुने हुए हैं. 

 

ये है बिना सुई-धागे के सिलाई वाली 110 साल पुरानी शर्ट, देखकर लोगों के उड़े होश

110 Year Old Unstitched Shirts: सुबरनपुर जिले के डुंगुगुरिपल्ली ब्लॉक के सुखा गांव में एक बुनकर परिवार द्वारा 110 वर्षों से संरक्षित एक शर्ट और पैंट की एक जोड़ी सभी की आंखों का आकर्षण बन गई है क्योंकि स्थानीय लोगों और आसपास के इलाकों के लोग बुनकर परिवार के घर में कपड़े देखने के लिए आते हैं. साधारण सी दिखने वाली पोशाकें प्राचीन होने के कारण नहीं बल्कि एक और चौंकाने वाले तथ्य के कारण भीड़ को आकर्षित कर रही हैं. तथ्य यह है कि वे सिले नहीं बल्कि बुने हुए हैं. हां, आपे यह सही पढ़ा. जगन्नाथ मेहर अपने समय के एक मास्टर जुलाहा थे, जिन्होंने बिना सुई और धागे का इस्तेमाल किए कपड़े बुने थे.

सन् 1913 में सिला नहीं बुना गया था कपड़ा

जगन्नाथ ने उन्हें 1913 में बुना था. अपने ज्ञान और कौशल का इस्तेमाल करते हुए उन्होंने उन्हें कपड़े के एक टुकड़े से बुना था. विजिटर्स के अनुसार, कपड़े अपनी तरह के हैं और संग्रहालयों में प्रदर्शित करने लायक हैं. आजकल, मास्टर शिल्पकार के परिवार के सदस्य अपने पूर्वजों के असाधारण कौशल पर गर्व महसूस करते हैं. जगन्नाथ मेहर के पोते नरहरि मेहर ने कहा, “कपड़े बिना सुई-धागे के बुने जाते हैं. यहां तक कि बटन भी सिले नहीं बल्कि बुने हुए हैं. जब हम सोचते हैं, तो हमें आश्चर्य होता है कि मेरे दादाजी ने ऐसा कैसे किया.”

शर्ट देखने के बाद लोगों ने कही ऐसी बातें

एक ग्रामीण टिकेलाल मेहर ने कहा, “उन्हें (जगन्नाथ मेहर) अपने पूर्वजों से कौशल विरासत में मिला है. जरूरी बात यह है कि उन्होंने उन्हें तैयार करने के लिए सुई या धागे का उपयोग नहीं किया था." रिसर्चर्स के अनुसार, जगन्नाथ ने चरखे से सूत कात कर इस तरह की चार जोड़ी पोशाकें बुनी थीं. पद्मपुर के राजा, सोनपुर के राजा और सुखा गांव के जमींदार को उपहार के रूप में असाधारण रूप से बुने हुए कपड़े का एक पैकेट भेंट करने के बाद, उन्होंने गर्व के संकेत के रूप में एक जोड़ी पैंट और एक शर्ट रखी थी.

लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में नाम की डिमांड

एक रिसर्चर किशोर मेहर ने कहा, “जब मैंने पहली बार कपड़े देखे, तो मैं दंग रह गया. मैं उन दिनों उपलब्ध सरल तकनीकों के साथ सुई और धागे का उपयोग किए बिना बुनाई के असाधारण कौशल के लिए उनकी (जगन्नाथ मेहर) की प्रशंसा किए बिना नहीं रह सकता. इसे लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में जगह मिलनी चाहिए.” सुबरनपुर जिला परिषद के अध्यक्ष सुपर ठेला ने जगन्नाथ मेहर और उनके असाधारण कौशल की प्रशंसा की.

 

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