उज्जैन: होली के दिन धधकते अंगारों पर चलते हैं यहां के लोग, देखें Video
उज्जैन जिले के टकवासा में सालों से गांव के लोग एक अंधविश्वास को परंपरा स्वरूप मनाते आ रहे हैं क्योंकि ग्रामीणों का मानना है की ऐसा करने से उनकी मनोकामनाएं पूरी होती है.
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उज्जैन : रंगों का त्योहार होली पूरे देश में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. होली के रंगों में लोग अपने गम और दुश्मनी की भूला देते हैं और गले मिलते हैं. भारत के खासियत ही यही है कि यहां पर परंपराएं आज भी जीवित हैं. परंपराओं की मानना हमारा मूल सिद्धांत है. परंपराओं के देश भारत में आज भी ऐसी कुरीतियां जिनका पालन आंख मूंद कर किया जा रहा है. ऐसी ही एक परंपरा होली को लेकर उज्जैन और उसके आसपास के इलाकों में निभाई जाती है.
महिलाएं जलाती हैं होलिका, फिर...
उज्जैन जिले के टकवासा में सालों से गांव के लोग एक अंधविश्वास को परंपरा स्वरूप मनाते आ रहे हैं क्योंकि ग्रामीणों का मानना है की ऐसा करने से उनकी मनोकामनाएं पूरी होती है. गांव के लोग हर साल होली के दिन गरल महादेव का उत्सव मनाते हैं. जिसमें गांव के महिला पुरुष बड़ी संख्या में शामिल होते हैं. पहले महिलाएं होली जलाती है और फिर धधकते अंगारों से गुजरती हैं.
जिसके बाद गांव का एक दलित गरल महादेव की परंपरा को शुरू करता है. दरअसल, गांव के लोग एक ऊंचाई पर चकरा बांधते हैं जिसके एक तरफ मनोकामना पूरी हो जाने पर ग्रामीण रस्सी के सहारे लटकता है और उसे हवा में गोल घुमाया जाता है, इसे खतरों का खेल भी माना जा सकता है, क्योंकि जिसकी मन्नत होती है वह गरल महादेव की मन्नत को पूरा करने के लिए काफी ऊंचाई पर लटकता है.
जिसके गिरने का भी डर होता है इस अंधविश्वास की परंपरा को ग्रामीण सालों से मनाते आ रहे हैं ग्रामीणों का मानना है. ऐसा करने से उनकी मनोकामनाएं भी पूरी होती है कोई शादी विवाह तो कोई अच्छे कामकाज को लेकर मन्नत करता है और जब यह मन्नत की जाती है तो गरल महादेव को मनाया जाता है और पूरी होने पर वह गरल महादेव उत्सव में शामिल होता है.