ECO Friendly Home: यह तकनीक भले ही नई लगे लेकिन असल में यह सदियों पुरानी भारतीय वास्तुकला पर आधारित है. पुराने मंदिरों और ऐतिहासिक इमारतों में इसी इंटरलॉकिंग पद्धति का इस्तेमाल किया जाता था.
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Zero Cement House: घर बनवाते समय सबसे बड़ी चिंता इसकी मजबूती लागत और टिकाऊपन को लेकर होती है. पिछले कई दशकों से आमतौर पर कंस्ट्रक्शन के लिए सीमेंट और कंक्रीट का इस्तेमाल किया जाता है लेकिन क्या बिना सीमेंट के भी कोई घर खड़ा किया जा सकता है. बेंगलुरु में एक अनोखा घर बना है. यह पूरी तरह से पत्थर से बना हुआ है. इसमें न तो सीमेंट का उपयोग हुआ है और न ही किसी आधुनिक चिपकाने वाले पदार्थ का. खास बात यह है कि यह घर सिर्फ मजबूत ही नहीं बल्कि पर्यावरण के अनुकूल भी है. सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में सस्टेनेबल कंस्ट्रक्शन को लेकर एक नई बहस छेड़ दी है.
पूरी तरह से पत्थर से बना..
असल में बेंगलुरु में एक शख्स ने यह घर बनवाया है. यह घर पूरी तरह से पत्थर से बना है. जिसमें न तो सीमेंट का इस्तेमाल हुआ है और न ही कंक्रीट का. सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे इस घर को कंटेंट क्रिएटर प्रियंम सरस्वत ने अपने वीडियो में दिखाया जिससे यह चर्चा में आ गया. घर के मालिक का दावा है कि यह दुनिया का पहला जीरो-सीमेंट स्टोन हाउस है. इसे पर्यावरण के अनुकूल बनाया गया है. इसकी उम्र एक हजार साल से भी ज्यादा हो सकती है.
बताया गया है कि इस घर को बनाने में ग्रे ग्रेनाइट और बलुआ पत्थर जैसी प्राकृतिक चट्टानों का इस्तेमाल किया गया है. इसे पारंपरिक इंटरलॉकिंग तकनीक से जोड़ा गया है. जिसमें न तो सीमेंट की जरूरत पड़ी. न किसी तरह के केमिकल एडहेसिव की और न ही ब्लास्टिंग की. यह पूरी तरह से स्किल पर आधारित निर्माण है.
सदियों पुरानी भारतीय वास्तुकला
यह तकनीक भले ही आज के समय में नई लगे लेकिन असल में यह सदियों पुरानी भारतीय वास्तुकला पर आधारित है. पुराने मंदिरों और ऐतिहासिक इमारतों में इसी इंटरलॉकिंग पद्धति का इस्तेमाल किया जाता था जिससे ये संरचनाएं सैकड़ों साल तक मजबूती से खड़ी रहती हैं. इस तरीके से न केवल निर्माण में मजबूती आती है बल्कि आधुनिक सीमेंट और कंक्रीट जैसी सामग्रियों से होने वाले कार्बन उत्सर्जन को भी रोका जा सकता है.
सोशल मीडिया पर इस घर को लेकर लोगों की मिली-जुली प्रतिक्रियाएं आईं. कुछ लोगों ने इसकी तारीफ करते हुए इसे भारतीय वास्तुकला की वापसी बताया. कहा कि अगर पूरे शहर में इस तकनीक को अपनाया जाए, तो यह बहुत टिकाऊ साबित हो सकता है. जबकि कई यूजर्स ने सवाल किया कि यह तो देखने में शानदार है लेकिन गर्मियों और सर्दियों में इसका प्रदर्शन कैसा रहेगा.