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इस्लामाबादः साल 1999 में इंडियन एयरलाइंस के विमान IC-814 को हाइजैक करने वाले 5 आतंकवादियों में से 1 पाकिस्तान में मारा गया है. आतंकवादी की शिनाख्त 'जहूर मिस्त्री' के रूप में हुई है. पुलिस को शक है कि जहूर की हत्या सुनियोजित तरीके से की गई है.
सहयोगी वेबसाइट WION में छपी खबर के अनुसार, जिन 5 आंतकियों ने विमान को हाइजैक किया था, उनमे से 1 आतंकी जहूर मिस्त्री को पाकिस्तान के कराची में मार गिराया गया. मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि 1 मार्च को कराची शहर में 2 बाइक सवार हमलावरों के हमले में मिस्त्री की मौत हो गई थी.
पाकिस्तानी समाचार आउटलेट जियो टीवी ने मौत की पुष्टि की और बिना किसी विवरण का उल्लेख किए, कराची में एक 'व्यापारी' के हत्या की सूचना दी. रिपोर्ट्स के मुताबिक, मिस्त्री नई पहचान 'जाहिद अखुंद' के नाम के साथ रह रहे थे और शहर में फर्नीचर की दुकान चला रहे थे.
जियो टीवी द्वारा शेयर की गई हत्या के सीसीटीवी फुटेज से पता चला है कि 2 हथियारबंद मोटरसाइकिल सवार अख्तर कॉलोनी की सड़कों पर घूम रहे थे और एक फर्नीचर गोदाम में प्रवेश कर रहे थे. इसको देखने पर ऐसा लग रहा था कि वे लोग इलाके की रेकी कर रहे हैं.
पुलिस के मुताबिक, मौके से पिस्टल के 4 खोखे बरामद कर लिए गए हैं. इस हत्या के साथ पाकिस्तान में अब जैश-ए-मोहम्मद (JeM) के केवल 2 अपहरणकर्ता जीवित हैं- मसूद अजहर के बड़े भाई इब्राहिम अजहर और रऊफ असगर.
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स्थानीय मीडिया ने एक खुफिया अधिकारी का हवाला देते हुए कहा है कि रउफ असगर समेत जैश-ए-मोहम्मद का शीर्ष नेतृत्व कराची में 'अखुंद' के अंतिम संस्कार में शामिल हुआ था. असगर जैश का ऑपरेशनल चीफ और जैश सरगना मसूद अजहर का भाई है.
बता दें कि 24 दिसंबर 1999 को काठमांडू से नई दिल्ली जाने वाली इंडियन एयरलाइंस के विमान IC-814 को पाकिस्तान स्थित आतंकी समूह 'हरकत-उल-मुजाहिदीन' ने अपहरण कर लिया था. विमान को आतंकियों ने उस वक्त हाईजैक कर लिया था, जब वह लखनऊ के पास था. इसके बाद आतंकियों द्वारा विमान को ईंधन भरने के लिए अमृतसर ले जाया गया. ईंधन भरने के बाद अफगानिस्तान के कंधार ले जाया गया, जहां यात्री और चालक दल 8 दिन से अधिक समय तक बंदी बने रहे.
इस दौरान एक भारतीय यात्री 25 वर्षीय रूपिन कात्याल की 25 दिसंबर 1999 को मिस्त्री ने बेरहमी से हत्या कर दी थी. उनका शव संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में हाइजैक किए गए विमान से बरामद किया गया था. उस दिन वह अपनी पत्नी के साथ काठमांडू से हनीमून मनाने के बाद दिल्ली लौट रहे थे.
इसके बाद पूर्व भारतीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकार को अपहरणकर्ताओं की मांग मानते हुए 3 आतंकवादी मसूद अजहर अल्वी, सैयद उमर शेख और मुश्ताक अहमद जरगर को छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा था, ताकि 176 यात्रियों और चालक दल के 15 सदस्यों की जान बचाई जा सके.
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