नई दिल्‍ली: कश्‍मीर मुद्दे पर अंतरराष्‍ट्रीय जगत में किरकिरी और पैसों की तंगी से जूझ रहे बदहाल पाकिस्‍तान को सोमवार को बड़ा झटका क्रिकेट के मैदान में लगा. दरअसल श्रीलंका के 10 क्रिकेट प्‍लेयर्स ने पाकिस्‍तान की सरजमीं पर होने वाले टूर्नामेंट में शिरकत करने से साफ इनकार कर दिया. इस घटनाक्रम ने एक बार फिर से पाकिस्‍तान को ये अहसास कराने में कोई कसर नहीं छोड़ी कि उसको अपने यहां सक्रिय आतंकी समूहों पर लगाम लगाने के लिए शिद्दत के साथ सोचना होगा.


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दरअसल 27 सितंबर से 19 अक्‍टूबर के बीच श्रीलंका को पाकिस्‍तान में तीन वनडे और तीन टी-20 मैच खेलने हैं. लेकिन श्रीलंका के 10 प्‍लेयर्स ने पाकिस्‍तान में जाने से ही इनकार कर दिया. लसिथ मलिंगा, निरोशन डिकवेला, कुशल जनिथ परेरा, धनंजय डी सिल्‍वा, थिसारा परेरा, अकीला धनंजय, एंजेलो मैथ्‍यूज, सुरंग लकमल, दिनेश चांदीमल और डिमूथ करुनारत्‍ने ने इस आगामी सीरीज के लिए अपनी असमर्थता जताई.


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हालांकि श्रीलंकाई क्रिकेट बोर्ड ने एक मीटिंग कर इन प्‍लेयर्स को सुरक्षा इंतजाम के बारे में तफ्सील से बताया लेकिन साथ ही टूर्नामेंट में हिस्‍सा लेने के संबंध में निर्णय की आजादी भी दी. इन सबका लब्‍बोलुआब ये निकला कि 10 श्रीलंकाई प्‍लेयर्स ने सीरीज से बाहर रहने का फैसला कर लिया.


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ऐसा क्‍यों हुआ?
दरअसल इस पूरे घटनाक्रम को समझने के लिए एक दशक पीछे लौटना होगा. तीन मार्च, 2009 को लाहौर के गद्दाफी स्‍टेडियम में पाकिस्‍तान के खिलाफ टेस्‍ट मैच खेलने के लिए श्रीलंका की टीम होटल से जब बाहर निकली तो तालिबान और लश्‍कर-ए-झांगवी (LeJ) के आतंकियों ने उनकी बस पर हमला कर दिया. उस कायराना हमले में आठ लोग मारे गए और सात श्रीलंकाई प्‍लेयर्स और स्‍टाफ घायल हुए.


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उसके बाद से ही अंतरराष्‍ट्रीय क्रिकेट टीमें पाकिस्‍तान जाने से परहेज करने लगीं. कई टीमों ने कई साल तक पाकिस्‍तान की सरजमीं पर कोई क्रिकेट नहीं खेला. हाई-प्रोफाइल टीमों ने कोई फुल लेंथ का दौरा नहीं किया. श्रीलंका हालांकि इससे पहले अक्‍टूबर, 2017 में पाकिस्‍तान गई लेकिन उसने बस एक टी-20 मैच लाहौर में खेला.


उल्‍लेखनीय है कि ये घटनाक्रम ऐसे वक्‍त सामने आया है जब अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप ने अफगानिस्‍तान में तालिबान के साथ हो रही शांति वार्ता को रद कर दिया है. पांच सितंबर को काबुल कार धमाके में एक अमेरिकी सैनिक और एक रोमानियन सर्विस मेंबर समेत 12 लोगों की मौत हो गई. तालिबान के इस आतंकी हमले की जिम्‍मेदारी लेने के बाद अमेरिका ने शांति वार्ता रद करने का फैसला किया है.