अफगानिस्तान में पिछले साल से बंधक बनाए गए तीन भारतीय इंजीनियरों को रिहा कर दिया गया है. तालिबान ने इनका अपहरण कर बंधक बनाया था.
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नई दिल्ली/इस्लामाबाद: अफगानिस्तान में पिछले साल से बंधक बनाए गए तीन भारतीय इंजीनियरों को रिहा कर दिया गया है. तालिबान ने इनका अपहरण कर बंधक बनाया था. मई 2018 में उत्तरी बागलान प्रांत के पुल-ए-खोमरी शहर के निकट बाग-ए-शामल गांव में सात भारतीय इंजीनियरों का अपहरण कर लिया गया था. वे भारतीय कंपनी केईसी के कर्मचारी थे.
अगवा किए गए इंजीनियर में से एक को इस साल रिहा कर दिया गया, जिसके बाद वह भारत लौट आया. इनमें से तीन इंजीनियरों के बारे में कुछ पता नहीं चल सका था.
इस घटनाक्रम को पिछले दिनों अफगानिस्तान में अमेरिकी प्रतिनिधि जलमाय खलीलजाद की पाकिस्तान में तालिबान के साथ मुलाकात से जोड़कर देखा जा रहा है. उस मीटिंग में अमेरिका ने तालिबान की कस्टडी से विदेशी कैदियों की रिहाई की मांग की थी. इस्लामाबाद के सरकारी सूत्रों के मुताबिक अमेरिकी पक्ष ने तालिबान से 5 विदेशी कैदियों को छोड़ने के लिए कहा था. इनमें तीन भारतीय, एक ऑस्ट्रेलियाई और एक अमेरिकी नागरिक है.
जिन सात भारतीयों का अपहरण किया गया, वे भारतीय कंपनी केईसी के इंजीनियर हैं. इनका अफगानिस्तान में जहां से अपहरण किया गया, वहां कंपनी का बिजली सब-स्टेशन है.
अफगानिस्तान में केईसी के विभिन्न प्रोजेक्ट में 60 से अधिक भारतीय कार्यरत हैं. अफगानिस्तान में भारतीयों को बंधक बनाए जाने का ये पहला मामला नहीं है. 2016 में एक भारतीय जूडिथ डी सूजा का अपहरण कर लिया गया था. 40 दिन बाद उसको छोड़ दिया गया.
अफगान मीडिया के मुताबिक 11 तालिबान कैदियों की रिहाई के बदले ऐसा किया गया है. इस बात का दावा आतंकवादी समूह के एक पूर्व कमांडर ने किया है. टोलो न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार सईद मोहम्मद अकबर आगा ने रविवार को इसकी पुष्टि की.
आगा के अनुसार, मुक्त किए गए तालिबान सदस्यों में शेख अब्दुल रहीम, कुनार के पूर्व गवर्नर और निम्रोज के पूर्व गवर्नर मौलवी अब्दुल राशिद बलूच शामिल हैं. तालिबान ने हालांकि आधिकारिक तौर पर इसकी पुष्टि नहीं की है. ये 2001 में अमेरिका के नेतृत्व वाली सेनाओं द्वारा हटाए जाने से पहले तालिबान प्रशासन के दौरान गवर्नर के रूप में काम कर रहे थे.
(इनपुट: अनस मलिक और एजेंसी IANS के साथ)