DNA: पाकिस्तान में फिर लौटा खूनी दौर, क्यों इमरान खान पर हुआ हमला? ये है इनसाइड स्टोरी
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DNA: पाकिस्तान में फिर लौटा खूनी दौर, क्यों इमरान खान पर हुआ हमला? ये है इनसाइड स्टोरी

Attack on Imran Khan:  इस मार्च को ना करने को लेकर, इमरान खान को सरकारी धमकियां मिल चुकी थीं. पाकिस्तान के गृहमंत्री राणा सनाउल्लाह खान ने इस मार्च के शुरू होने से पहले , इमरान खान को चेतावनी देते हुए कहा था कि ''अगर इमरान खान ने इस्लामाबाद के लिए लॉन्ग मार्च निकाला, तो पाकिस्तान की शाहबाज सरकार उन्हें उल्टा लटका देगी.'' राणा सनाउल्लाह खान ने एक तरह से चेतावनी देते हुए कहा था कि 'भीड़ कभी भी भड़क सकती है, कुछ भी कर सकती है.'

DNA: पाकिस्तान में फिर लौटा खूनी दौर, क्यों इमरान खान पर हुआ हमला? ये है इनसाइड स्टोरी

Pakistan News: पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में एक राजनीतिक मार्च के दौरान गुरुवार को पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान पर हमला हुआ था. उनके पैर में गोली लगी है लेकिन वह खतरे से बाहर हैं. इस हमले में इमरान की पार्टी PTI के एक सांसद फैसल जावेद और 8 दूसरे लोग घायल हो गए हैं, जबकि एक शख्स की मौत की भी ख़बर है. हमले के वक्त इमरान खान अपने कंटेनर पर ही मौजूद थे. PTI के एक नेता दावा कर रहे हैं कि इस हमले में AK 47 रायफल इस्तेमाल होने का दावा किया है.

इमरान खान का ये लॉन्ग मार्च 28 अक्टूबर को लाहौर से शुरू हुआ था और इसे 4 नवंबर को इस्लामाबाद पहुंचना था. लेकिन मार्च गुजरांवाला और सियालकोट होते हुए जब इमरान वजीराबाद पहुंचे, तब उनपर हमला हुआ. इमरान पर हुए इस हमले में एक शख्स को गिरफ्तार किया गया है, उससे पूछताछ की जा रही है. इस शख्स से ये जानने की कोशिश की जा रही है, हमले के पीछे उसका मकसद क्या था.

हम आपको इमरान खान पर हुए हमले की इनसाइड स्टोरी बताएंगे, और इस हमले से जुड़ी हर बात का विश्लेषण करेंगे. हम बताएंगे कि आखिर वहां क्या हुआ था...क्यों हुआ था...और क्या ये पाकिस्तान में बेनज़ीर.2.0 दोहराने की साज़िश थी? घटना के वीडियो में इमरान पर गोलियां चलती हुई सुनाई देती हैं. इमरान अपने कंटेनर की छत पर मौजूद थे.आसपास समर्थकों की भीड़ थी. अचानक गोलियों की आवाज से पूरा इलाका गूंजने लगता है.एक साथ 10 से 12 गोलियों की आवाज़ सुनाई दी है. ऐसा लगा है जैसे किसी ने AK 47 जैसी ऑटोमेटिक रायफल से बर्स्ट फ़ायर किया हो. 

कुछ देर बाद दो और गोलियों के चलने की भी आवाज़ें आती हैं...फ़ायरिंग होते ही वहां हड़कंप मच जाता है...किसी को कुछ समझ ही नहीं आता...तभी इमरान नीचे गिर पड़ते हैं...और उनके साथ मौजूद लोग उन्हे संभालने में जुट जाते हैं. हमलावर का निशाना इमरान ख़ान थे और वो काफी हद तक अपने मक़सद में कामयाब भी रहा. इमरान ख़ान के दायें पैर में गोली लगी है. ये वीडियो उस कंटेनर के अंदर का है, जिसकी छत पर इमरान खान सवार थे.वीडियो में इमरान ख़ान के साथ मौजूद लोग उन्हें संभालकर नीचे लाते दिख रहे हैं और उनके चेहरे पर दर्द साफ नजर आ रहा है

वीडियो के एक अन्य हिस्से में गोलियां चलते ही सुरक्षाकर्मियों ने पूरे कंटेनर को घेर लिया. एक बुलेट प्रूफ गाड़ी लाई गई और इमरान ख़ान को उसमें शिफ्ट करने की तैयारी की गई.इस बीच घायल इमरान अपने कंटेनर से बाहर झांकते, मुस्कुराते और हाथ हिलाते नज़र आए. उन्हें देखकर एक बार तो लगा ही नहीं कि वो घायल हैं. बाद में उन्हें वहां पहले से मौजूद बुलेटपूफ़ गाड़ी में बैठाया गया...और फिर वहां से उन्हें अस्पताल ले जाया गया.

इमरान खान को लाहौर के शौकत ख़ानम अस्पताल ले जाया गया. तस्वीरों में इमरान खान के पैर पर पट्टी बंधी है और सुरक्षाकर्मी उन्हें स्ट्रेचर पर अस्पताल के अंदर ले जाते दिख रहे हैं. हालांकि अस्पताल की तरफ़ से दी गई जानकारी के मुताबिक इमरान ख़ान की हालत ख़तरे से बाहर है.खुद इमरान ख़ान ने भी ट्वीट करके कहा कि अल्लाह ने उन्हें नई ज़िन्दगी दी है

अब आपको इसी हमले का एक और एंगल दिखाते हैं..एक अन्य वीडियो में इमरान खान नहीं दिखते. लेकिन उन्हें सुनने के लिए मौजूद भीड़ नज़र आती है. लेकिन तभी भीड़ में मौजूद एक शख्स अपनी पिस्टल निकालता है और इमरान खान की तरफ़ निशाना लगाते हुए गोलियां दाग़ना शुरू कर देता है....गोलियां चलते ही वहां अफ़रा तफरी मच जाती है. सहमे हुए लोग इधर-उधर भागने लगते हैं...तस्वीरों में कई बच्चे भी नज़र आते हैं.

इसी वीडियो के अन्य हिस्से में हमलावर ने कुछ राउंड फायर किए कि तभी भीड़ में मौजूद एक दूसरा व्यक्ति उसे पीछे से पकड़ लेता है. इस आदमी की बहादुरी की वजह से हमलावर अपने मकसद में कामयाब नहीं हो पाया. इस शख्स को तहरीक ए इंसाफ पार्टी का कार्यकर्ता बताया जा रहा है.

पुलिस ने गिरफ्तार किए गए हमलावर से पूछताछ की तो उसने कुछ ऐसी बातें कहीं, जो उसकी हरकत से इत्तेफाक नहीं रखती थीं. जब इस हमलावर से इमरान पर गोली चलाने की वजह पूछी गई तो उसने कहा कि वह सिर्फ इमरान की जान लेना चाहता था.

इमरान पर हुए इस हमले के बाद पाकिस्तान की सियासत में उबाल आ गया है. लाहौर,पेशावर, रावलपिंडी समेत कई जगहों पर इमरान ख़ान के समर्थक सड़कों पर उतर आए और जगह जगह प्रदर्शन शुरू हो गए हैं. PTI के नेताओं ने आरोप लगाया है, कि इमरान खान शहबाज़ सरकार और सेना पर सवाल उठा रहे हैं. इसलिए उन्हें निशाना बनाया गया.

शहबाज ने की निंदा

इमरान खान पर गोलियां चलने की गूंज प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ तक भी पहुंची. उन्होंने ट्वीट करके इस हमले की निंदा की, और पूरे मामले की जांच का भरोसा दिया. हालांकि उनकी ही मंत्री मरियम औरंगज़ेब ने इमरान पर हुए हमले को पाकिस्तान की पंजाब सरकार को कटघरे में खड़ा कर किया है. दरअसल पाकिस्तान के पंजाब राज्य में इमरान की पार्टी तहरीक ए इंसाफ की ही सरकार है. और ये हमला इमरान की पार्टी द्वारा शासित राज्य में ही हुआ है.

राजनीति में आने से पहले थे क्रिकेटर

इमरान ख़ान सियासत में आने से पहले पाकिस्तान के स्टार क्रिकेटर थे. उनकी कप्तानी में ही पाकिस्तान ने पहली बार वर्ष 1992 का वर्ल्ड कप जीता था..ऐसे में ऑस्ट्रेलिया में वर्ल्डकप खेलने पहुंचे पाकिस्तान के कप्तान बाबर आज़म ने भी इस हमले की निंदा की और पूर्व कप्तान की सलामती की दुआ की.

इमरान पर हुए इस हमले के बाद कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं. लोग इसे राजनीति से प्रेरित हमला भी बता रहे हैं. ये कहा जा रहा है कि इस हमले के जरिए इमरान खान को डराने का कोशिश की गई थी. इसकी एक बड़ी वजह ये है कि इमरान के इस लॉन्ग मार्च से पाकिस्तान की शाहबाज सरकार घबराई हुई थी. पिछले 7 दिनों से चल रहा ये मार्च, इस्लामाबाद की ओर जा रहा था. इस लॉन्ग मार्च में इमरान खान को लोगों का भरपूर समर्थन मिल रहा था. और यही बात पाकिस्तान की मौजूदा सरकार को परेशान कर रही थी.

इस मार्च को ना करने को लेकर, इमरान खान को सरकारी धमकियां मिल चुकी थीं. पाकिस्तान के गृहमंत्री राणा सनाउल्लाह खान ने इस मार्च के शुरू होने से पहले , इमरान खान को चेतावनी देते हुए कहा था कि ''अगर इमरान खान ने इस्लामाबाद के लिए लॉन्ग मार्च निकाला, तो पाकिस्तान की शाहबाज सरकार उन्हें उल्टा लटका देगी.'' राणा सनाउल्लाह खान ने एक तरह से चेतावनी देते हुए कहा था कि 'भीड़ कभी भी भड़क सकती है, कुछ भी कर सकती है.'

इस हमले को लेकर संदेह जताया जा रहा है कि इमरान को डराने के लिए ही ये हमला हुआ, और ये हमला राजनीति से प्रेरित है. दरअसल इसी साल मई में भी इमरान खान ने एक लॉन्ग मार्च निकाला था, उस दौरान काफी हिंसा हुई थी. इमरान की पार्टी तहरीक ए इंसाफ के कार्यकर्ताओं ने बहुत हिंसा की थी, जिसके बाद इमरान खान ने अपना ये लॉन्ग मार्च वापस ले लिया था. 

हलांकि उस मार्च में इमरान को लोगों का बहुत ज्यादा समर्थन नहीं मिला था. लेकिन इस बार इमरान खान के मार्च में बड़ी संख्या लोग जुट रहे हैं. पाकिस्तान की शहबाज शरीफ की सरकार, इसी वजह से इस लॉन्ग मार्च से चिढ़ी हुई थी. इमरान खान ने 28 अक्टूबर को लाहौर से इस्लामाबाद के लिए ये लॉन्ग मार्च शुरू किया था. इसको 'हकीकी आजादी मार्च' नाम दिया गया था. इमरान खान के इस लॉन्ग मार्च का एक ही मकसद है, और वो है शाहबाज सरकार गिराना, और मध्यावधि चुनाव करवाना.

2023 में होने हैं चुनाव

पाकिस्तान में अगले साल यानी वर्ष 2023 में चुनाव होने हैं, लेकिन कुछ महीनों पहले, जिस तरह से इमरान सरकार गिरी, उसके बाद इमरान खान, हर हाल में मध्यावधि चुनाव करवाना चाहते हैं. इस लॉन्ग मार्च का एक मकसद पाकिस्तान में इमरान की लोकप्रियता की जांच करना भी है. अगर अगले साल पाकिस्तान में चुनाव हुए, तो उससे पहले इमरान खान, शाहबाज शरीफ सरकार को बदनाम करके, अपनी पैठ बनाना चाहते हैं. इसके लिए इमरान खान ने अपने इस लॉन्ग मार्च में पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और खुफिया एजेंसी ISI पर कई खुलासे करने की बात कही थी. इस लॉन्ग मार्च में कई बार इमरान खान ने भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ भी की है.

इमरान खान ने अपने इस मार्च में कई बार ये बात दोहराई है, कि उनकी सरकार गिराने में पाकिस्तानी सेना और अमेरिका का हाथ है. इमरान ने अपने बयानों में कई बार अमेरिका के खिलाफ बयानबाजियां की थीं.  मई में हुए लॉन्ग मार्च के दौरान इमरान खान ने यहां तक कह दिया था कि  ''अमेरिका की गुलामी करने से बेहतर है मौत आ जाए''. अमेरिका के खिलाफ बयानबाजी की वजह से इमरान खान, पाकिस्तान सरकार और सेना की निगाहों में चढ़ गए थे.

जब इमरान खान की सरकार गिरी, तब पाकिस्तानी सेना के चीफ बाजवा ने राजनीतिक मसलों से सेना को दूर बताया था, और वो खुद को न्यूट्रल कह रहे थे. लेकिन इमरान खान ने अपने लॉन्ग मार्च में इस बयान का इस्तेमाल किया. इमरान ने पाकिस्तानी सेना पर निशाना साधते हुए कहा था कि 'न्यूट्रल तो जानवर होते हैं.' इसके बाद इमरान खान ने कहा था, कि उनकी जान को खतरा है, और उन्हें मारने की साजिश रची जा सकती है.

इमरान खान के लॉन्ग मार्च को 4 नवंबर को इस्लामाबाद पहुंचना था. योजना के मुताबिक इमरान खान लाखों समर्थकों के साथ यहां धरना देने वाले थे. उनका इरादा था कि जब तक शाहबाज इस्तीफा नहीं देंगे, तब तक इस्लामाबाद को बंधक बनाकर रखा जाएगा. 

शाहबाज सरकार और सेना के लिए इमरान खान का ये लॉन्ग मार्च एक मुसीबत बना गया था, जिसको वो रोक पाने में नाकाम हो रहे थे. ऐसे में इमरान पर हुई गोलीबारी, इस लॉन्ग मार्च पर ब्रेक लगाने की कोशिश भी हो सकती है.

राजनीति में सेना का दखल

पाकिस्तान की राजनीति में सेना और ISI की घुसपैठ इतनी ज्यादा है, कि वहां चुनाव, मतदान और लोकतंत्र किसी नाटक जैसे लगता है . पाकिस्तान में आज जिस तरीके से उथलपुथल हो रही है वो पहली बार नहीं है. दरअसल वहां सेना ही ये तय करती है कि पाकिस्तान का प्रधानमंत्री कौन बनेगा. सेना-सरकार के बीच जब भी बैलेंस बिगड़ता है तो फिर सरकार गिर जाती है.
 
पाकिस्तान में अभी कमर जावेद बाजवा सेना प्रमुख हैं. वर्ष 2016 में बाजवा जब सेना प्रमुख बने, उस समय पाकिस्तान में नवाज शरीफ की सरकार थी . जुलाई 2017 में नवाज शरीफ को पद छोड़ना पड़ा और बाद में ऐसे हालात बने की उन्हें देश छोड़कर भागना पड़ा . 2018 में जब चुनाव हुआ और इस चुनाव में पाकिस्तान की सेना ने इमरान खान की पार्टी को सपोर्ट किया. स्थिति ये थी कि उस वक्त कई नेताओं को इमरान खान का समर्थन करने के लिए धमकाया गया. नतीजा ये हुआ कि चुनाव में इमरान खान की जीत हुई और वो प्रधानमंत्री बन गए .

इसके बाद 4 साल तक इमरान खान सेना प्रमुख बाजवा के मुताबिक काम करते रहे. इमरान खान जब प्रधानमंत्री बने तो गिफ्ट के तौर पर बाजवा के सेना प्रमुख के कार्यकाल को एक टर्म के लिए बढ़ा दिया. लेकिन जब इमरान खान का बाजवा के साथ विवाद हुआ, तो एक झटके में इमरान खान की सरकार गिर गई . इसके बाद शहबाज शरीफ ने दूसरी पार्टियों के साथ मिलकर सरकार बना ली और प्रधानमंत्री बन गए .

इस बार भी सेना की मर्जी से ही शहबाज प्रधानमंत्री बने . शहबाज शरीफ, नवाज शरीफ के भाई है . वही नवाज शरीफ जिन्हें सेना के ही डर से पाकिस्तान छोड़कर भागना पड़ा था . लेकिन अब सेना उनके साथ है तो फिर नवाज शरीफ और उनके परिवार को कोई मुश्किल नहीं है . मुमकिन है कि जल्दी ही नवाज शरीफ लंदन से पाकिस्तान लौट आएं.

तीन बार हो चुका है तख्तापलट

पाकिस्तान में अब तक 3 बार तख्तापलट हो चुका है. पहली बार 1958 में, उसके बाद 1977 में और फिर साल 1999 में तख्तापलट हुआ है .

वर्ष 1999 में करगिल की जंग के बाद पाकिस्तान में तख्तापलट हुआ था . और प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को हटाकर सेना प्रमुख जनरल परवेज मुशर्रफ राष्ट्रपति बन गए थे .

अपना मार्च शुरू करने से पहले इमरान खान ने लाहौर में अपने समर्थकों से कहा था, कि 1971 में जुल्फिकार अली भुट्टो ने साजिश करके, अवामी लीग को सरकार नहीं बनाने दी. जबकि शेख मुजीबुर्रहमान की अवामी लीग को बहुमत था.

पाकिस्तानी सेना को देश की सबसे बड़ी पार्टी अवामी लीग के खिलाफ खड़ा कर दिया गया था. इमरान खान आज खुद की तुलना अवामी लीग और शेख मुजीबुर्रहमान से कर रहे हैं, ऐसा करके वो गृहयुद्ध छिड़ जाने का संकेत भी दे रहे थे. हम आपको वो बयान सुनवाते हैं.

पाकिस्तान में आज जो कुछ भी हुआ क्या वो Scripted था? क्या इमरान खान पर, सोच-समझकर, और पूरी तैयारी के बाद हमला किया गया? क्या इस हमले के लिए बीते 10 दिनों के भीतर योजना बनाई गई थी?

इमरान पर हुए हमले के बाद ये कुछ ऐसे सवाल हैं जो आज बार-बार सामने आ रहे हैं? और इसकी कई ऐसी ठोस वजह भी हैं .

दरअसल इमरान खान के फैसले ही उनके ऊपर हमले की वजह बनते दिखाई दे रहे हैं. इमरान खान पाकिस्तान की राजनीति की वो कठपुतली हैं,  जो सेना और वहां की इंटेलिजेंस एजेंसी ISI के इशारों पर चलती थी . लेकिन जैसे ही ये तालमेल गड़बड़ाया इमरान खान की ना केवल सत्ता चली गई, बल्कि उनके ऊपर हमले हुए. जब से इमरान खान की सत्ता को लेकर, सेना के साथ संघर्ष शुरू हुआ है, तभी से इमरान खान, सेना और ISI के निशाने पर थे.

इमरान खान लगातार सेना और ISI पर तीखे हमले कर रहे थे. सत्ता जाने के बाद इमरान खान सेना और सेना प्रमुख बाजवा पर बेहद आक्रामक हो गए थे. वो लगातार अपने मार्च के जरिए सरकार और सेना पर दबाव बना रहे थे. 28 अक्टूबर को इमरान खान ने 'हकीकी आजादी मार्च' को शुरू किया था जो लाहौर से इस्लामाबाद जा रहा था इसी दौरान ये हमला हुआ .

28 अक्टूबर को मार्च शुरू होने के 5 दिन पहले से ही इमरान खान और सेना के बीच संबंध अब तक के सबसे खराब दौर में पहुंच चुके थे. 23 अक्टूबर को पाकिस्तान के पत्रकार अरशद शरीफ की कीनिया में हत्या कर दी गई थी. अरशद शरीफ को इमरान खान का बेहद करीबी माना जाता था. इमरान खान ने इस हत्या को लेकर मीडिया के सामने कई आरोप लगाए और इशारों में बताया कि हत्या की साजिश सेना और ISI ने मिलकर रची थी. 

इमरान खान के इन आरोपों के बाद पाकिस्तान की राजनीति में हंगामा खड़ा हो गया, और सीधे तौर पर सेना और ISI पर एक पत्रकार की हत्या को लेकर सवाल उठने लगे. इसके बाद इमरान का मार्च शुरू होने से पहले और अरशद शरीफ को लेकर इमरान खान के बयान के बाद, ISI की ओर से एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की गई. इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में इमरान खान को लेकर ISI ने कुछ खुलासे किए और उन पर कई गंभीर आरोप लगाए. पाकिस्तान के इतिहास में पहली बार किसी ISI प्रमुख ने मीडिया से बातचीत की थी.

दरअसल इमरान खान को लेकर ISI बेहद गुस्से में थी. इमरान खान लगातार सेना और ISI पर आरोप लगा रहे थे . इसलिए ISI ने खुद का बचाव करने के लिए, इमरान खान को लेकर ऐसे खुलासे किए जिससे पाकिस्तान में राजनीतिक हंगामा खड़ा हो गया . ISI की इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में इमरान खान के जिस व्यक्ति से मिलने का जिक्र किया गया वो सेना प्रमुख बाजवा थे . इस बयान के बाद इमरान खान ने ये कहना शुरू कर दिया कि वो भी सेना और ISI को लेकर कई बड़े खुलासे कर सकते हैं. 

इस तरह सेना,ISI और पाकिस्तान सरकार का एक ऐसा चक्रव्यूह बन चुका है, जिसमें इमरान खान को घेरने की तैयारी की गई है. शहबाज सरकार सेना की मदद से बनी है और इसलिए शहबाज सरकार भी इमरान खान को अंजाम भुगतने की धमकी देती नजर आई.

आज तक पाकिस्तान के किसी भी प्रधानमंत्री ने अपना 5 साल का कार्यकाल पूरा नहीं किया है. अपने 75 वर्ष के इतिहास में आधे से ज्यादा समय तक पाकिस्तान पर सेना ने सीधे तौर पर शासन किया है. जबकि बाकी आधे समय सेना ने सरकार को कठपुतली की तरह नचाया है. इमरान खान के साथ भी ऐसा ही कुछ हो रहा था. सेना और ISI के साथ बिगड़े संबंधों के बाद भी पाकिस्तान की सत्ता पाने के लिए इमरान खान अपने हिट फॉर्मूले पर राजनीति कर रहे हैं. इमरान खान की कंटेनर पॉलिटिक्स ने उन्हें पाकिस्तान की सत्ता तक दिलवाई है.

वर्ष 2014 में भी इमरान खान ने एक मार्च निकाला था, उसमें भी कंटेनर ने अहम भूमिका निभाई थी. पिछले काफी समय से हमने देखा है, कि इमरान खान कंटेनर पर ही खड़े होकर भाषण देते हैं, और इस कंटेनर में ही उनके रुकने, बैठने, सोने और आराम करने की सुविधा मौजूद रहती है.

2014 में जब इमरान खान ने मार्च निकाला था तब सेना उनके साथ थी, और लगातार सपोर्ट कर रही थी. नवाज शरीफ के खिलाफ पाकिस्तानी सेना ने इमरान खान को बतौर हथियार इस्तेमाल किया था. लेकिन अब ये लड़ाई सेना बनाम इमरान खान हो चुकी है.

इमरान ख़ान पर हुए हमले ने 15 वर्ष पहले की उस दर्दनाक घटना की भी याद दिला दी है, जिसमें पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनज़ीर भुट्टो की हत्या कर दी गई थी. उन्हें भी एक रैली में गोली मार दी गई थी.

बेनजीर भुट्टो 27 दिसंबर 2007 को रावलपिंडी के लियाक़त बाग़ में एक रैली कर के लौट रही थीं. तभी एक आत्मघाती हमलावर ने पहले उन पर गोलियां दाग़ीं और फिर खुद को धमाक़े के साथ उड़ा लिया था. उस हमले में बेनज़ीर भुट्टो की मौक़े पर ही मौत हो गई थी. बेनज़ीर भुट्टो दो बार पाकिस्तान की प्रधानमंत्री रह चुकी थीं और उनके बेटे बिलावल भुट्टो फिलहाल पाकिस्तान के विदेश मंत्री हैं.

लेकिन ये सिर्फ़ एक या दो मामले नहीं है...पाकिस्तान में सियासी हत्याएं वहां का रक्तचरित्र है.

इसकी शुरुआत पाकिस्तान के जन्म के साथ ही हो गई थी. पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री लियाकत अली खान की रावलपिंडी में हत्या कर दी गई थी.

- पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो का अंजाम भी अच्छा नहीं रहा था. वो 14 अगस्त 1973 से 5 जुलाई 1977 तक पाकिस्तान के प्रधानमंत्री रहे थे. लेकिन जुलाई 1977 में तत्कालीन जनरल जिया उल हक़ ने तख्ता पलट कर उन्हें जेल में डाल दिया था. बाद में 4 अप्रैल 1979 को उन्हें फांसी पर चढ़ा दिया गया. इस घटना को भी सियासी हत्या ही कहा गया.

- जुल्फिकार अली भुट्टो के बड़े बेटे मीर मुर्तजा भुट्टो की भी सितंबर 1996 में कराची में हत्या कर दी गई थी.

- जुल्फिकार अली भुट्टो की फांसी के करीब 9 वर्ष बाद 17 अगस्त 1988 को जनरल जिया उल हक़ की भी एक विमान हादसे में मौत हो गई थी. पाकिस्तानी का एक वर्ग आज भी मानता है कि वो विमान हादसा एक राजनीतिक साजिश का हिस्सा थी.

- और तो और पाकिस्तान के सैन्य तानाशाह रहे जनरल परवेज़ मुशर्रफ की हत्या की एक दो नहीं तीन बार कोशिशें की गईं, लेकिन किस्मत से वो हर बार वो बच निकले.

- इसी तरह 30 जुलाई, 2004 को जब पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री  शौकत अजीज रैली कर रहे थे...तब उन पर एक आत्मघाती हमला किया गया...इस हमले में वो बाल-बाल बचे थे.

पाकिस्तान में इन हत्याओं के पीछे सेना का हाथ होने की बातें कही जाती रही हैं. सेना के डर की वजह से ये आरोप कभी खुलकर नहीं लगाए गए. पाकिस्तान में जिसने भी सेना का विरोध किया, वो या तो हटा दिया गया...या फिर मिटा दिया गया. यहां तक कि पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ को भी जेल जाना पड़ा था, हालांकि वो जहां मौक़ा मिलते ही लंदन चले गए और फिर आज तक नहीं लौटे. इसी तरह से पूर्व शासक जनरल परवेज़ मुशर्रफ को भी देश निकाला दे दिया गया था.

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