Biggest Importer of Indian Broken Rice: बेशक चीन और भारत के बीच लंबे समय से टकराहट की स्थिति बनी हुई है, लेकिन चीन अब भी खाने के मामले में भारत पर ही निर्भर नजर आ रहा है. एक विश्लेषण के अनुसार, चीन महामारी के दौरान भारतीय चावल का शीर्ष खरीदार बनकर उभरा है. चीन ने भारत से इस दौरान 16.34 लाख मीट्रिक टन (LMT)  चावल का आयात किया है. यह आंकड़ा भारत की तरफ से कुल चावल निर्यात 212.10 LMT का 7.7 प्रतिशत है.


भारत से खरीदे खुल चावल में 97 फीसदी टूटे चावल


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अगर आंकड़ों पर नजर डालें तो पता चलता है कि भारत से चीन को निर्यात किए गए कुल 16.34 एलएमटी चावल में से करीब 97 प्रतिशत यानी 15.76 एलएमटी चावल टूटे हुए थे. दरअसल, चीन अब भारतीय टूटे चावल का शीर्ष खरीदार है, जो पहले ज्यादातर अफ्रीकी देशों को निर्यात किया जाता था.


चीन के चावल निर्यात में 392.20 प्रतिशत की बढ़ोतरी 


इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2021-22 में बासमती और गैर-बासमती को मिलाकर भारत का कुल चावल निर्यात 212.10 LMT था,  जो 2020-21 में निर्यात किए गए 177.79 LMT से 19.30 प्रतिशत अधिक है. इसी अवधि यानी 2021-22 में चीन को किए गए चावल का निर्यात 392.20 प्रतिशत बढ़कर 3.31 एलएमटी से 16.34 एलएमटी हो गया. 2021-22 में भारत के कुल चावल निर्यात में बासमती चावल का हिस्सा 39.48 LMT था, जो 2020-21 में निर्यात किए गए 46.30 LMT से 14.73 प्रतिशत कम है.


भारत से निर्यात होने वाले चावल में गैर-बासमती ज्यादा


भारतीय चावल निर्यात में गैर-बासमती चावल का दबदबा ज्यादा नजर आता है. 2021-22 के दौरान बासमती के अलावा अन्य चावल का निर्यात 172.62 एलएमटी है, जो 2020-21 में 131.49 एलएमटी से 31.27 प्रतिशत अधिक है. 2021-22 के दौरान  भारत ने 83 देशों को 38.64 एलएमटी टूटे चावल का निर्यात किया, इसमें से चीन ने अधिकतम 15.76 एलएमटी की खरीद की. यह आंकड़ा 2020-21 में 2.73 एलएमटी से 476.40 प्रतिशत अधिक है.


इस वजह से चीन में हो रहा ज्यादा निर्यात


व्यापार विशेषज्ञों का कहना है कि चीन में टूटे चावल के निर्यात में इस वृद्धि का कारण उस देश में नूडल्स और वाइन बनाने के लिए चावल की अधिक मांग है. ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स असोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष विजय सेतिया ने कहा कि, "चीन मुख्य रूप से टूटे हुए चावल खरीद रहा है, जिसे वाइन और नूडल्स बनाने के लिए यूज किया जाता है." वहीं टूटे चावल की खरीद बढ़ने की दूसरी वजह मक्के की बढ़ती कीमतें भी हो सकती हैं. टूटे चावल की मांग में ऐसे समय में वृद्धि देखी गई है जब हाल के महीनों में खाद्य पदार्थों की कीमतों में वैश्विक स्तर पर वृद्धि दर्ज की गई है, खासकर यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद.