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बीजिंग: लिथुआनिया की राजधानी विलनियस में ताइवान को अपना ऑफिस खोलने की इजाजत देने के बाद चीन ने शुक्रवार को बाल्टिक देश को इसका नतीजा भुगतने की धमकी दी है. ताइवान ने चीन को दरकिनार करते हुए लिथुआनिया में अपना प्रतिनिधित्व दफ्तर खोलने का फैसला किया है.
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लीजियान ने कहा कि लिथुआनिया जो बोयेगा, वह काटेगा. हालांकि झाओ ने इस बारे में विस्तार से जानकारी नहीं दी है. उन्होंने लिथुआनिया के कदम को गलत और चीन के आंतरिक मामलों में दखलअंदाजी करार दिया है.
गुरुवार को खोले गए इस ऑफिस पर ताइवान नाम लिखा है न कि चीनी ताइपे. गौरतलब है कि चीन की नाराजगी से बचने से लिए अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक कमेटी और कई देश ताइवान को 'चीनी ताइपे' नाम से संबोधित करते हैं.
ताइवान से राजनयिक रूप से औपचारिक संबंध रखने वाले केवल 15 देश हैं लेकिन वह सभी बड़े देशों से अनौपचारिक संबंध रखता है जहां उसके कारोबारी दफ्तर हैं जो अप्रत्यक्ष तौर पर दूतावास का काम करते हैं. इन देशों में अमेरिका और जापान भी शामिल हैं. लिथुआनिया में ताइवान का दफ्तर खुलने के बाद चीन क्या एक्शन लेगा, यह अब तक साफ नहीं है.
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बीजिंग ने पहले से लिथुआनिया की राजधानी विलनियस से अपना राजदूत वापस बुला लिया था और लिथुआनिया के राजदूत को निकाल दिया था. साल के अंत तक लिथुआनिया ताइपे में अपना प्रतिनिधित्व कार्यालय खोलने की योजना बना रहा है.