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बीजिंग: चीन (China) अपनी सेना को सबसे ताकतवर बनाने के लिए हर संभव कोशिश कर रहा है. वो अत्याधुनिक हथियार बना रहा है, आधुनिक तकनीक विकसित कर रहा है, लेकिन इसके बावजूद उसके सैनिक ऊंचे स्थानों पर लड़ने के काबिल नहीं हैं. पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के पूर्वी लद्दाख में घुसपैठ के बाद कदम वापस खींचने का ये भी एक बड़ा कारण था. जबकि भारतीय सैनिक (Indian Troops) इसी इलाके में अपेक्षाकृत ज्यादा ऊंचे ठिकानों पर कम तैयारियों के बावजूद डटे रहे थे.
अमेरिकी मैगजीन ‘नेशनल इंटरेस्ट’ के मुताबिक, चीन (China) ऊंचाई वाले स्थानों पर सेल्फ प्रोपेल्ड रॉकेट लांचर, सेल्फ प्रोपेल्ड हावित्जर तोप और लांग रेंज रॉकेट लांचर की कम समय में तैनाती में सक्षम है. ऐसा उसने पूर्वी लद्दाख (Ladakh) में घुसपैठ के दौरान किया था. चीनी सेना (Chinese Army) ने ऊंचाई वाले स्थानों पर एक्सरसाइज के वीडियो सार्वजनिक किए थे. चीन की कम्युनिस्ट सरकार के मुखपत्र ‘ग्लोबल टाइम्स’ ने अपनी सेना की तारीफ वाले कई लेख भी प्रकाशित किया थे.
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PLA ने इसके जरिये यह दिखाने की कोशिश की थी कि ऊंचे पर्वतीय इलाकों की लड़ाई में भी उसे महारत हासिल है. इस दौरान चीन ने अमेरिका के चिनूक हेलीकॉप्टर जैसी मालवाहक क्षमता हासिल करने की श्रेष्ठता प्रदर्शित करने की कोशिश की थी. अमेरिका का यह हेलीकॉप्टर दुर्गम पर्वतीय इलाकों में भारी हथियार पहुंचाने में सक्षम है. बता दें कि ये हेलीकॉप्टर भारतीय वायुसेना के पास भी हैं.
हालांकि, पहाड़ों पर हथियारों और मशीनों की ताकत खड़ी करने के बावजूद चीन उनका इस्तेमाल करने वाले सैनिकों में लड़ने की इच्छाशक्ति पैदा नहीं कर सका. PLA के सैनिक ज्यादा ऊंचाई वाले इलाकों में वातावरण की चुनौतियां झेल पाने में सक्षम नहीं हैं. आक्सीजन की कमी और शून्य से काफी नीचे तापमान पर उनकी सांसें उखड़ने लगती हैं.
पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर भारत के साथ बने गतिरोध के दौरान चीनी सरकार और PLA को अपनी इस कमजोरी का बखूबी अहसास हो गया था. LAC से सैनिकों को पीछे बुलाने के लिए चीन के राजी होने के पीछे यह भी एक बड़ा कारण था. क्योंकि ऊंचाई पर तैनात चीनी सैनिक तेजी से बीमार हो रहे थे और भारतीय सैनिकों से टक्कर लेने की हिम्मत उनमें नहीं थे. वे शारीरिक और मानसिक रूप से कमजोर साबित हो रहे थे.