PM मोदी की कूटनीति के आगे चीन हुआ नतमस्तक, भारत उसी के जमीन में कर रहा ये काम
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PM मोदी की कूटनीति के आगे चीन हुआ नतमस्तक, भारत उसी के जमीन में कर रहा ये काम

भूटान के पास डोकलाम में दोनों देशों की सेनाओं के बीच 73 दिनों तक रहे गतिरोध के चलते तनाव अपने चरम पर पहुंच गया था.

भारत और चीन ने रक्षा आदान-प्रदान और सहयोग संबंधी एक एमओयू पर हस्ताक्षर किया था.(फाइल फोटो)

बीजिंग: भारत और चीन ने मंगलवार को चीन के शहर चेंगदू में ‘हैंड-इन-हैंड’ सैन्याभ्यास के सातवें संस्करण की शुरुआत की. यह युद्धाभ्यास पिछले साल डोकलाम गतिरोध के बाद सेनाओं द्वारा संबंधों में सुधार पर केंद्रित प्रयासों का हिस्सा है. दोनों पक्षों की तरफ से इस सैन्याभ्यास के सातवें संस्करण में 100 कर्मी हिस्सा ले रहे हैं. यह संयुक्त राष्ट्र के जनादेश के मुताबिक अंतरराष्ट्रीय घुसपैठ विरोधी/आतंकवाद विरोधी रणनीतिक स्तर के अभियानों पर केंद्रित है.  यह युद्धाभ्यास एक वर्ष के अंतराल पर हो रहा है क्योंकि पिछले साल दोनों देशों की सेनाएं सिक्किम सेक्टर के डोकलाम में गतिरोध की वजह से 73 दिनों तक आमने-सामने थीं. यह अभ्यास 23 दिसंबर को संपन्न होगा. कर्नल पुनीत तोमर के नेतृत्व में भारतीय सैन्य दस्ता सोमवार को चेंगदू शहर पहुंचा.

चीन ने तिब्बती सैन्य कमान से इस युद्धाभ्यास के लिये अपने जवानों को तैनात किया है. 

पीएम नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति में बनी थी सहमति
डोकलाम गतिरोध की पृष्ठभूमि के मद्देनजर दोनों देशों की सेनाओं सहित भारत-चीन के संबंधों के विभिन्न पहलुओं के प्रबंधन के लिए मोदी और शी की वुहान में अप्रैल में हुई अनौपचारिक बैठक में एक सहमति बनी थी. दोनों सेनाओं (थल सेना और पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के बीच हॉटलाइन को विश्वास बहाली के एक बड़े उपाय के तौर पर देखा जा रहा है. यह दोनों सेनाओं के मुख्यालयों को सीमा पर गश्त के दौरान तनाव दूर करने और डोकलाम जैसे गतिरोध को टालने के लिए बातचीत में तेजी लाने में सक्षम बनाएगा.

डोकलाम को लेकर 73 दिनों तक चला था गतिरोध
दरअसल, भूटान के पास डोकलाम में दोनों देशों की सेनाओं के बीच 73 दिनों तक रहे गतिरोध के चलते तनाव अपने चरम पर पहुंच गया था. इलाके में चीन द्वारा सड़क निर्माण किए जाने को लेकर गतिरोध की स्थिति बनी थी. दोनों देशों के अपनी-अपनी सेनाएं हटाने के लिए सहमत होने पर यह गतिरोध खत्म हुआ था. वु ने कहा कि दोनों देश रक्षा मंत्रालयों के बीच एक नये सहमति पत्र (एमओयू) पर काम करने के लिए मशविरा कर रहे हैं.

उन्होंने कहा, ‘‘2006 में भारत और चीन ने रक्षा आदान-प्रदान और सहयोग संबंधी एक एमओयू पर हस्ताक्षर किया था. भारत ने एमओयू के एक नये प्रारूप पर हस्ताक्षर करने की अपनी इच्छा से अवगत कराया है. चीन इसके प्रति एक सकारात्मक रूख रखता है और दोनों देश एक दूसरे के संपर्क में हैं.’’ 

इनपुट भाषा से भी 

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