75 Independence Day: इस तरह खींची गई थी भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा, इस वजह से पाकिस्तान को मिला लाहौर
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75 Independence Day: इस तरह खींची गई थी भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा, इस वजह से पाकिस्तान को मिला लाहौर

Redclif: अंग्रेंजों ने करीब 5 हफ्ते पहले भारत और पाकिस्तान के बंटवारे की रूपरेखा बना ली थी. इसके लिए उन्होंने सर सिरिल रेडक्लिफ की अगुवाई में बाउंड्री कमिशन का गठन किया. आयोग में कांग्रेस के 4 और मुस्लिम लीग के 4 नेताओं को भी रखा गया. कमिशन ने सर्वे शुरू किया,

भारत और पाकिस्तान का विभाजन

India Pakistan Partition: भारत को कई वर्षों की लंबी लड़ाई के बाद 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजों से आजादी तो मिल गई, लेकिन उसके सीने पर विभाजन का घाव भी मिला. देश दो टुकड़ों में बट गया. धर्म के आधार पर भारत से अलग होकर पाकिस्तान एक नया देश बन गया, लेकिन यह विभाजन इतना आसान नहीं था. अचानक दोनों देशों के बीच सीमा खींचना और उसे अंजाम देना यह काफी चौनौतीपूर्ण था. 15 अगस्त को भारत अपनी आजादी के 75 साल पूरे कर लेगा. इस खास उपलक्ष्य में हम आपको बता रहे हैं कि आखिर 75 साल पहले कैसे भारत और पाकिस्तान की सीमा का निर्धारण हुआ था.

पहली बार हिंदुस्तान आए रेडक्लिफ ने तय की थी सीमा

अंग्रेजों ने भारत छोड़ने से पहले मोहम्मद जिन्नाह के विभाजन की बात मानते हुए करीब 5 हफ्ते पहले बंटवारे की रूपरेखा बना ली थी. इसके लिए उन्होंने सर सिरिल रेडक्लिफ की अगुवाई में बाउंड्री कमिशन का गठन किया. आयोग में कांग्रेस के 4 और मुस्लिम लीग के 4 नेताओं को भी रखा गया. कमिशन ने सर्वे शुरू किया, लेकिन सबसे हैरानी की बात ये थी कि जिस रेडक्लिफ को बंटवारे की जिम्मेदारी दी गई थी, वह पहली बार भारत आए थे. ब्रिटिश शासन ने रेडक्लिफ को हिंदू और मुस्लिम बहुल एरिया और अन्य तथ्यों के आधार पर सीमा का निर्धारण करने को कहा था. हालांकि धर्म के अलावा दूसरे तथ्यों का पता कभी नहीं चल सका. हालांकि कई रिपोर्ट से पता चलता है कि सीमा निर्धारण के दौरान आबादी के अलावा आर्थिक और कम्यूनिकेशन से संबंधित चीजों को भी ध्यान में रखा गया था.

17 अगस्त को हुई थी आधिकारिक बॉर्डर की घोषणा

कमिशन ने अपना काम तेजी से शुरू किया. देश 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ. इसके ठीक 2 दिन बाद यानी 17 अगस्त 1947 को भारत और पाकिस्तान की सीमा की आधिकारिक घोषणा कर दी गई. इसे रेडक्लिफ लाइन भी कहा गया. इसके बाद जो हुआ वो इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया. सीमा निर्धारण के बाद इतिहास का सबसे बड़ा पलायन हुआ. इसमें करीब 1 करोड़ 40 लाख लोग इधर से उधर हुए. पलायन के दौरान हुई हिंसा में 10 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हुई. बताते हैं कि रेडक्लिफ़ इन सब से काफी आहत थे. उन्होंने वो सब दस्तावेज़ और नक्शे जला दिए थे जो बंटवारे के गवाह थे और इस बारे में किसी से ज़्यादा बात नहीं की.

पाकिस्तान को इस तरह मिला लाहौर

रेडक्लिफ़ ने वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नय्यर को विभाजन के मुद्दे पर बताया था कि, “10-11 दिन में मुझे सीमा खींचनी थी. मेरे पास न जिलों के नक्शे थे और न बहुत ज्यादा जानकारी. उन्होंने लाहौर को पाकिस्तान में देने का कारण पूछे जाने पर कहा कि, यह सच है कि तब लाहौर में हिंदुओं की संपत्ति ज़्यादा थी और उस लिहाज से लाहौर पहले भारत में दिया था, लेकिन मुझे ये भी दिखाई दिया कि पाकिस्तान के हिस्से में कोई भी बड़ा शहर नहीं जा रहा है. यही वजह है कि मैंने लाहौर को भारत से निकालकर पाकिस्तान को दे दिया.

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