करतारपुर कॉरिडोर भारत और पाकिस्तान के विभाजन के दौरान बिछड़े परिवारों को मिलाने के लिए एक बेहतर जरिया बन चुका है. करतारपुर साहिब गुरुद्वारा में भारत और पाकिस्तान में रहने वाले दोस्त परिवार और अन्य लोगों के लिए एक दूसरे से मिलना आसान हो गया है. 


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करतारपुर साहिब गुरुद्वारा ऐसी जगह बन गई जहां इबादत करने के साथ-साथ लोग मिलते हैं और पुरानी यारी व पारिवारिक गठजोड़ को भी याद करते हैं. हाल ही में एक ऐसी ही कहानी सामने आई है जिसमें 75 साल बाद दो दोस्तों का मिलन हुआ है. ये दोनों दोस्त भारत-पाकिस्तान के विभाजन में बिछड़ गए थे.


इन दोस्तों का नाम ताज मोहम्मद और सरदार मनोहर सिंह है. करतारपुर साहिब गुरुद्वारा के मैनेजमेंट में दोनों दोस्तों के मिलन की कहानी को ट्विटर पेज पर शेयर किया है. विभाजन के दौरान दोनों दोस्त एक दूसरे से अलग हो गए थे. लेकिन सोशल मीडिया ने इन दोनों को मिला दिया. 



 


सोशल मीडिया के माध्यम से दोनों में बातचीत शुरू हो गई. इसके बाद दोनों ने मिलने का प्लान बनाया. पाकिस्तान में स्थित पंजाब के ओकारा में रहने वाल ताज मोहम्मद का जन्म भारत के पंजाब में स्थित जालंधर में हुआ था. ताज ने अपने सरदार दोस्त से जालंधर की मिट्टी की मांग की.


इसके बाद सरदार मनोहर सिंह जब करतारपुर कॉरिडोर पहुंचे तो वो साथ में जालंधर की मिट्टी लेकर गए. वहां ताज मोहम्मद भी आए हुए थे. दोनों मिले तो वर्षों पुरानी यारी की यादें ताजा हो गईं. अपने जन्मस्थान की मिट्टी पाकर ताज मोहम्मद की आंखों में खुशी का ठिकाना नहीं था. 


मुलाकात के बाद दोनों ने सरकार का इस बात के लिए धन्यवाद किया कि सरकारी पहल की वजह से वो करतारपुर में मिल सके. जियो न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, ताज मोहम्मद ने कहा कि करतारपुर कॉरिडोर ने उन्हें 75 साल पहले बिछड़े उनके दोस्त से मिलवा दिया. इसके लिए वो शुक्रगुजार हैं.