Human Rights Violations In Balochistan: पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग ने बलूचिस्तान में गुमशुदगी के मामलों पर चिंता व्यक्त की है. आयोग के अनुसार, राज्य सरकार के खिलाफ बोलने वाले लोगों को चुप कराने के लिए जबरन गुमशुदगी, अपहरण को एक हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहा है. पाकिस्तान के स्थानीय मीडिया सिंध एक्सप्रेस ने यह जानकारी दी.


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क्वेटा में एक संवाददाता सम्मेलन में जारी आयोग की फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट में कहा गया, ‘सिंध एक्सप्रेस के अनुसार, जबरन गुमशुदगी के मामलों/अपहरणों, आर्थिक तनाव, मीडिया की चुप्पी, अक्षम प्रशासन के कारण यहां (बलूचिस्तान) के लोगों में गुस्सा और दर्द बढ़ रहा है.’


यह सब दो दशक से चल रहा है
कई लोगों के अनुसार बलूचिस्तान पाकिस्तान का उपनिवेश बन चुका है. उक्त रिपोर्ट जारी करने वाले अधिवक्ता हबीब ताहिर ने इस अवसर पर कहा, ‘अपहरण और लोगों का लापता होना...यह सब दो दशक से चल रहा है.‘


इस तरह की घटनाएं कम नहीं हो रही हैं. तब और अब में फर्क सिर्फ इतना है कि आजकल ऐसे मामले या तो सामने नहीं आते या फिर कम ही सामने आते हैं.


सेना की चौकियां बनी दहशत का कारण
सिंध एक्सप्रेस के अनुसार, रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सेना की चौकियों का एक नेटवर्क फैल रहा है और स्थानीय लोगों का कहना है कि इन चौकियों ने यहां दहशत का माहौल पैदा कर दिया है.


हक दो तहरीक करेगा विरोध प्रदर्शन
इस बीच, पाकिस्तान की स्थानीय मीडिया कुदरत ने मुताबिक, हक दो तहरीक (गिव राइट्स मूवमेंट) ने हाल ही में कहा कि बलूचिस्तान को राजनीतिक कार्यकर्ताओं के लिए नरक बना दिया गया है.


हक दो तहरीक के अनुसार, मौलाना हिदायतुर रहमान और माहिल बलूच की रिहाई और लापता व्यक्तियों की बरामदगी के लिए पूरे बलूचिस्तान में विरोध रैलियां निकाली जाएंगी.


हक दो तहरीक ने कहा कहा कि पीड़ित परिवारों के साथ एकजुटता व्यक्त करने और इस मुद्दे पर सरकार की असंवेदनशीलता की निंदा करने के लिए ईद के मौके पर हाथों पर काली पट्टी बांधी जाएगी.


आंदोलन के प्रवक्ता हाफिज कयानी ने कहा कि बलूचिस्तान में हालात फिलिस्तीन से भी बदतर हैं.


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