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इस्लामाबाद: ‘बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना’ यह कहावत पाकिस्तान (Pakistan) और उसके नेताओं पर बिल्कुल सटीक बैठती है. पाकिस्तान में महंगाई रिकॉर्ड तोड़ रही है, कोरोना का खौफ बरकरार है, आर्थिक बदहाली खत्म होने का नाम नहीं ले रही है, इसके बावजूद उसे इजरायल (Israel) और फिलिस्तीन (Palestine) की जंग में ज्यादा दिलचस्पी है. पाकिस्तानी सांसद मौलाना चित्राली (Maulana Chitrali) ने तो इजरायल के खिलाफ जिहाद छेड़ने की इच्छा भी जाहिर कर डाली है. इतना ही नहीं, मौलाना ने कश्मीर (Kashmir) को लेकर भी बयानबाजी की है. हालांकि, उसे सुनने के बाद गुस्से ज्यादा हंसी आ जाएगी.
संसद में दिए अपने भाषण में मौलाना चित्राली (Maulana Chitrali) ने कहा कि फिलिस्तीन और कश्मीर की आजादी के लिए सरकार को परमाणु बम और मिसाइलों का इस्तेमाल करना चाहिए. उन्होंने आगे कहा, 'हमने परमाणु बम क्या म्यूजियम में रखने के लिए बनाए हैं? अगर हम फिलिस्तीन और कश्मीर का स्वतंत्र नहीं करा सकते हैं तो हमें मिसाइल, परमाणु बम और विशाल सेना की कोई जरूरत नहीं है’.
Member national assembly Maulana Chitrali says jihad against Israel is the only option for Pakistan. “We made atom bomb to showcase it in the museum? We don’t need missiles, atomic bombs or a huge army if they can’t be used to liberate Palestine and Kashmir." pic.twitter.com/TDOVbi2zZY
— Naila Inayat (@nailainayat) May 18, 2021
लगातार चीख-चीख अपने भाषण में मौलाना ने कई बार जिहाद का जिक्र किया. उन्होंने सरकार के साथ-साथ पाकिस्तानी सेना को निशाने पर लेते हुए कहा कि सेना क्यों जिहाद का ऐलान नहीं करती. यदि ऐसे समय में भी हम अपनों की मदद को आगे नहीं आए, तो इतनी बड़ी सेना किस काम की. हालांकि, ये बात अलग है कि संसद के बाकी सदस्य और स्पीकर भी मौलाना के भाषण पर मुस्कुराते नजर आए. शायद उन्हें भी कहीं न कहीं लग रहा होगा कि सांसद महोदय की बातें मजाक से ज्यादा कुछ नहीं है.
इजरायल (Israel) और फिलिस्तीन (Palestine) में पिछले कुछ दिनों से संघर्ष चल रहा है. दोनों तरफ से लगातार हो रहे हमलों में अब तक कई लोगों की जान जा चुकी है. अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र दोनों देशों से शांति की अपील कर चुके हैं, लेकिन कोई कुछ सुनने को तैयार नहीं. इजरायल ने साफ कर दिया है कि जब तक वह अपने ऊपर हुए एक-एक हमले का बदला नहीं ले लेता जंग खत्म नहीं होगी. वहीं, पाकिस्तान और तुर्की इस जंग को दुनियाभर के मुस्लिमों की सहानुभूति हासिल करने के मौके के रूप में देख रहे हैं.