Pakistan Economic Crisis: रोटी को मोहताज पाकिस्‍तान! अब पड़े सैलरी के लाले, शहबाज सरकार के सामने आई ये नौबत
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Pakistan Economic Crisis: रोटी को मोहताज पाकिस्‍तान! अब पड़े सैलरी के लाले, शहबाज सरकार के सामने आई ये नौबत

Economic Condition In Pakistan: पाकिस्तान (Pakistan) के आर्थिक हालात लगातार खराब होते जा रहे हैं. सरकारी खर्च को कम करने के लिए पाकिस्तान सरकार जल्द बड़े कदम उठा सकती है.

पाकिस्तान के खराब आर्थिक हालात

Pakistan Financial Crisis: पाकिस्तान (Pakistan) इस वक्त गंभीर आर्थिक संकट (Economic Crisis) से जूझ रहा है. लोगों के पास दो वक्त का खाना तक नहीं है. सब्सिडी वाले आटे के लिए पाकिस्तानियों को लंबी-लंबी लाइनों में लगना पड़ रहा है. इस बीच, पाकिस्तान की शहबाज शरीफ (Shehbaz Sharif) सरकार एक बड़े फैसले पर विचार कर रही है. पाकिस्तान सरकार सरकारी कर्मचारियों को मिलने वाली सैलरी में 10 प्रतिशत की कटौती पर जल्द फैसला ले सकती है. पाकिस्तान का सरकारी खजाना तो पहले से ही खाली है. पाकिस्तान के पास अपने सरकारी कर्मचारियों का वेतन देने तक के पैसे नहीं हैं. जान लें कि पाकिस्तान लगातार आईएमएफ (IMF) और अन्य देशों से मदद की भीख मांग रहा है, लेकिन बुरे वक्त ने करीबी चीन ने भी उसका साथ छोड़ दिया है.

घटाई जा सकती है मंत्रियों की संख्या

द न्‍यूज़ में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, मंत्रालयों व डिविजनों के खर्चे में 15 प्रतिशत की कमी करने का प्रस्ताव दिया गया है. वहीं, कैबिनेट मंत्रियों, स्टेट मिनिस्टर्स और एडवाइजर्स की संख्‍या को 78 से कम करके 30 करने की सलाह दी गई है. इन सिफारिशों को शहबाज शरीफ सरकार जल्द लागू कर सकती है.

पाकिस्तान का सरकारी खजाना खाली

एक सूत्र ने जानकारी दी है कि मंत्रियों और सलाहकारों को तो घटाया ही जाएगा. इसके साथ ही जो मंत्री बने रहेंगे, उनके पास भी सरकारी खजाने से पैसे खर्च करने का अधिकार नहीं होगा. इस पर पाकिस्तान की शहबाज शरीफ सरकार सख्त हो सकती है.

सरकारी खर्च कम करने की शर्त

गौरतलब है कि पाकिस्तानी सरकार यह कदम तब उठाने के बारे में सोच रही है, जब वह लगातार आईएमएफ से मदद की अपील कर रही है. पाकिस्तान को उम्मीद है कि उसे जल्द से जल्द आईएमएफ से पैसों की मदद मिल जाएगी. आईएमएफ ने और कर्ज देने के लिए पाकिस्तान के सामने जो शर्तें रखी हैं, उनमें सरकारी खर्च को कम करना भी शामिल है.

आपको जानकर हैरानी होगी कि पहले तो पाकिस्तान आईएमएफ की शर्तों पर आनाकानी कर रहा था, लेकिन किसी भी देश से जब पाकिस्तान को मदद की उम्मीद नहीं रही तो उसने इन शर्तों पर विचार करना शुरू कर दिया है.

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