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Pakistan News: पाकिस्तान की एक अदालत ने ब्याज आधारित बैंकिंग प्रणाली को हराम बताया है. फेडरल शरीयत कोर्ट (FSC) ने गुरुवार को अपने फैसले में कहा कि ब्याज आधारित बैंकिंग प्रणाली शरिया के खिलाफ है और इसे बदला जाना चाहिए. अदालत ने संघीय और प्रांतीय सरकारों को कानूनों में संशोधन करके दिसंबर 2027 तक देश की बैंकिंग प्रणाली को ब्याज मुक्त बनाने को कहा है.
हमारी सहयोगी वेबसाइट WION में छपी खबर के अनुसार, पाकिस्तानी कोर्ट ने सरकार को ब्याज मुक्त प्रणाली (Interest-Free System) के तहत ऋण (Loan) उपलब्ध कराने का भी निर्देश दिया है. यह फैसला ऐसे समय में आया है जब पाकिस्तान गहरे वित्तीय संकट (Financial Crisis) से जूझ रहा है और विभिन्न संगठनों एवं देशों से कर्ज लेने की कोशिश कर रहा है.
न्यायमूर्ति डॉ सैयद मुहम्मद अनवर (Justice Dr Syed Muhammad Anwar) ने अपने फैसले में कहा, 'इस्लामी बैंकिंग प्रणाली जोखिम मुक्त और शोषण के खिलाफ है. लगभग दो दशक बीत चुके हैं लेकिन सरकारों ने ब्याज प्रणाली के खिलाफ कोई निर्णय नहीं लिया है'. ब्याज अधिनियम, 1839 के सभी प्रावधान, जो ब्याज की सुविधा प्रदान करते हैं, इन्हें इस अदालत ने गैर-कानूनी घोषित किया है.
We welcome the Federal Shariat Court (FSC) decision in the Riba case. The government and SBP will carefully study this important decision and then seek guidance and clarification from the FSC about the process, steps and timeframe to implement this decision.
— Miftah Ismail (@MiftahIsmail) April 28, 2022
पाकिस्तान में ब्याज-आधारित बैंकिंग प्रणाली के खिलाफ दायर कई संवैधानिक याचिकाओं पर एफएससी की फुल बेंच ने सुनवाई की. फैसले में कहा गया है कि हमारी आर्थिक व्यवस्था से रीबा यानी ब्याज का उन्मूलन हमारा धार्मिक और संवैधानिक कर्तव्य है, इसलिए इसे पाकिस्तान से समाप्त करना होगा. वहीं, वित्त मंत्री Miftah Ismail ने कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है और कहा है कि सरकार और केंद्रीय बैंक इस महत्वपूर्ण निर्णय का ध्यानपूर्वक अध्ययन करेंगे और इसके कार्यान्वयन के लिए कदम उठाएंगे.