पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) के वरिष्ठ नेता फरहतुल्ला बाबर ने प्रधानमंत्री इमरान खान को भारत के साथ अच्छे संबंध बनाने की नसीहत देते हुए कहा है कि यह पाकिस्तान के लिए जरूरी है.
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इस्लामाबाद: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) को भले ही कुछ समझ आया हो या नहीं, लेकिन विपक्षी दलों को यह समझ आ गया है कि भारत (India) के साथ दुश्मनी पाकिस्तान (Pakistan) को भारी पड़ सकती है. पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) के वरिष्ठ नेता फरहतुल्ला बाबर (Farhatullah Babar) ने भारत के साथ बेहतर रिश्तों की वकालत की है.
लोकतांत्रिक मूल्यों को बढ़ावा मिलेगा
बाबर ने इमरान खान से दो टूक शब्दों में कहा है कि वे भारत के साथ रिश्ता सुधारें. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि भारत और चीन में दुश्मनी होने के बावजूद आपसी व्यापार अरबों डॉलर का है. पाकिस्तान को भी भारत के साथ रिश्ते सुधारने चाहिए. भारत के साथ अच्छे संबंधों से पाकिस्तान में लोकतांत्रिक मूल्यों को बढ़ावा मिलेगा.
हम क्यों नहीं सीखते?
साउथ एशियंस अगेंस्ट टेररिज्म एंड फॉर ह्यूमन (South Asians Against Terrorism and for Human Rights-SAATH) के सम्मेलन में बोलते हुए PPP लीडर ने कहा कि पाकिस्तान को भारत के साथ संबंध बेहतर बनाने पर जोर देना चाहिए. यह हमारे लोकतंत्र और अर्थव्यवस्था दोनों के लिए अच्छा है. प्रधानमंत्री इमरान खान पर निशाना साधते हुए बाबर ने कहा कि हम भारत-चीन के रिश्तों से क्यों कुछ नहीं सीखते. दोनों सीमा विवाद में उलझे हैं, लेकिन इसके बावजूद उनके व्यापारिक रिश्ते कायम हैं. आखिर पाकिस्तान ऐसा क्यों नहीं कर सकता?
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...तब पाक ने तोड़ लिए थे रिश्ते
आपको बता दें कि मोदी सरकार द्वारा कश्मीर से धारा 370 हटाने के बाद पाकिस्तान ने भारत से कारोबारी रिश्ते तोड़ लिए थे. उस वक्त कहा गया था कि इमरान खान ने कट्टरपंथियों के आगे झुकते हुए यह फैसला लिया है. हालांकि, पाकिस्तान के इस कदम से भारत को कोई नुकसान नहीं हुआ. उल्टा पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति खराब होती गई. मौजूदा वक्त में पाकिस्तान में महंगाई आसमान छू रही है, उसकी आर्थिक सेहत दिन ब दिन गिरती जा रही है. यही वजह है कि आवाम में इमरान सरकार के खिलाफ गुस्सा बढ़ता जा रहा है.
क्या समझ आएगी बात?
विपक्षी दल इमरान के खिलाफ बने माहौल को भुनाने के प्रयास में लगे हैं. PPP सहित तमाम विपक्षी पार्टियों की तरफ से लगातार सरकार को निशाना बनाया जा रहा है. भले ही फरहतुल्ला बाबर ने सियासी हित साधने के लिए भारत से बेहतर रिश्तों की पैरवी की है, लेकिन यह पूरी तरह सही है कि नई दिल्ली से बैर रखकर इस्लामाबाद कुछ हासिल नहीं कर सकता. फिर भले ही चीन उसके साथ क्यों न हो. अब देखने वाली बात यह है कि क्या पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को यह बात समझ आती है?
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