China Taiwan Tension: ताइवान को लेकर और बढ़ी बौखलाहट, भारत से ड्रैगन बोला- दुनिया में सिर्फ एक चीन है और...
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China Taiwan Tension: ताइवान को लेकर और बढ़ी बौखलाहट, भारत से ड्रैगन बोला- दुनिया में सिर्फ एक चीन है और...

China Taiwan Conflict: ताइवान (Taiwan) के मुद्दे पर शी जिनपिंग (Xi Jinping) की सरकार, भारत (India) और भारतीय मीडिया को मूक दर्शक बने रहने की सलाह दे रही है. भारत में बैठे बीजिंग (Beijing) के अफसर ऐसा क्यों कर रहे हैं आइए बताते हैं.

 

China Taiwan Tension: ताइवान को लेकर और बढ़ी बौखलाहट, भारत से ड्रैगन बोला- दुनिया में सिर्फ एक चीन है और...

China to India: अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की स्पीकर नैंसी पेलोसी (Nancy Pelosi) की ताइवान यात्रा (Taiwan visit) से सहमे चीन (China) की बौखलाहट बढ़ गई है. इस घटनाक्रम से भड़के ड्रैगन ने ताइवान (Taiwan) को लेकर भारत (India) पर निशाना साधा है. नई दिल्ली (New Delhi) में मौजूद चीनी दूतावास के प्रवक्ता ने कहा है कि दुनिया में सिर्फ एक ही चीन है और ताइवान उस चीन का अविभाज्य हिस्सा है. 

भारतीय पर निशाना दुनिया से ये अपील

अमेरिकी स्पीकर की ताइवान यात्रा से पैदा हुए तनाव की रिपोर्टिंग को लेकर चीनी अधिकारी ने भारतीय मीडिया पर भी निशाना साधा है. चीन के अधिकारिक बयान में कहा गया है कि हमें उम्मीद है कि भारतीय मीडिया ताइवान से संबंधित रिपोर्टों में जिम्मेदार रवैया अपनाएगा. आपको बताते चलें कि ये वही चालबाज चीन है, जो अपनी विस्तारवादी नीति के तहत भारत के अरुणाचल प्रदेश और लद्दाख पर अपना दावा करता है. तो उसे किसी देश की संप्रभुता का उल्लंघन नहीं दिखाई पड़ता. लेकिन इस मामले में संयुक्त राष्ट्र (UN) के बयान का हवाला देकर चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के अफसर पूरी दुनिया से एक चीन सिद्धांत (Once China Policy) का पालन करने की अपील कर रहे हैं.

भारत पर निशाना

चीनी दूतावास के प्रवक्ता वांग जिओजियान ने संयुक्त राष्ट्र के बयान को रिट्वीट करते हुए कहा कि दुनिया में सिर्फ एक चीन है. ताइवान चीन का एक अविभाज्य हिस्सा है. एक-चीन सिद्धांत पर भारत सरकार की सहमति और आधिकारिक स्थिति है. आशा है कि भारत की ओर से ताइवान को लेकर जिम्मेदार रवैया अपनाया जाएगा. वहीं ताइवान के सवाल के ऐतिहासिक पहलुओं का सम्मान किया जाएगा. 

यूएन का रुख

ताइवान को लेकर मचे बवाल के बीच मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र ने एक-चीन सिद्धांत के लिए अपना समर्थन दोहराया. संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने कहा, 'इस मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र की नीति यह है कि हम 1971 में एक चीन पर महासभा के प्रस्ताव 2758 को लेकर प्रतिबद्ध हैं. 25 अक्टूबर 1971 को, यूएनजीए ने संकल्प 2758 पारित किया जो यह मानता है कि पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (PRC) की सरकार के प्रतिनिधि यूएन (UN) में चीन के एकमात्र वैध प्रतिनिधि हैं. वहीं प्रस्ताव यह भी मानता है कि पीआरसी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के पांच स्थायी सदस्यों में से एक है. 

ताइवान की ताकत 

दूसरे पक्ष की बात करें तो ताइवान (Taiwan), खुद को रिपबल्कि ऑफ चाइना के नाम से संबोधित करता है. ताइवान चीन की मेन लैंड के साउथ-ईस्ट तट से दूर घनी आबादी वाला छोटा सा देश है. 1949 में माओत्से तुंग के नेतृत्व में कम्युनिस्ट पार्टी ने चियांग काई शेक के नेतृत्व वाले कॉमिंगतांग सरकार का तख्तापलट कर दिया था. जिसके बाद चियांग काई शेक 20 लाख सैनिकों, सहयोगियों और नागरिक शरणार्थियों के साथ चीन से भागकर ताइवान चले गए. इसी द्वीप पर उन्होंने रिपब्लिक ऑफ चाइना सरकार का गठन किया. तब कम्युनिस्ट पार्टी के पास मजबूत नौसेना नहीं थी, इसलिए उन्होंने समुद्र पार कर इस द्वीपीय देश पर हमला नहीं किया.

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(सांकेतिक तस्वीर: चीन ने ताइवान को इसी तरह से घेर रखा है)

वन चाइना पॉलिसी (One China Policy) के इतर चीन की विस्तारवादी नीतियों यानी ड्रैगन के नापाक मंसूबों के बारे में दुनिया जानती है. सीपैक (CPEC) जैसे प्रोजेक्ट के जरिए चीन कई देशों तक अपनी पैठ बढ़ाना चाहता है. श्रीलंका का हाल दुनिया देख चुकी है. चीनी कर्ज में डूबे पाकिस्तान और नेपाल की हालत भी खस्ता है. लिहाजा ऐसी स्थितियों का फायदा उठाते हुए चीन, अफ्रीका महाद्वीप पर छोटे-छोटे देशों पर भारी कर्ज का दबाव बनाकर वहां के हालात पर नियंत्रण हासिल करना चाहता है. गलवान घाटी में भारत के हाथों पिट चुके चीन ने अपनी भारत विरोधी गतिविधियां भी बंद नहीं की है. ऐसे में ताइवान के मुद्दे पर शी जिनपिंग (Xi Jinping) की सरकार, भारत और भारतीय मीडिया को मूक दर्शक बने रहने की सलाह दे रही है. 

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