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नई दिल्ली: पाकिस्तान (Pakistan) की इमरान हुकूमत (Imran Khan Government) लोगों को रोजगार (Jobs) देने में पूरी तरह विफल साबित हो रही है. इस समय वहां बेरोजगारी दर (Unemployment Rate) सबसे ज्यादा है. पाकिस्तान के 31 प्रतिशत से ज्यादा युवा वर्तमान में बेरोजगार हैं. पाकिस्तान इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेंट इकोनॉमिक्स (पीआईडीई) द्वारा जारी रोजगार की स्थिति पर एक रिपोर्ट से ये जानकारी मिली है.
एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि इन 31 फीसदी में से 51 फीसदी महिलाएं हैं, जबकि 16 फीसदी पुरुष हैं, जिनमें से कई के पास पेशेवर डिग्री भी है. पाकिस्तान की करीब 60 फीसदी आबादी 30 साल से कम उम्र की है.
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युवाओं के बड़ी आबादी और जनसांख्यिकीय लाभांश प्राप्त करने के बावजूद, पाकिस्तान में रोजगार को लेकर हालात खराब हैं और युवाओं के बीच बेरोजगारी दर सबसे ज्यादा देखी गई है. रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि युवाओं को रोजगार के लिए लगभग एक दशक या उससे ज्यादा समय लग सकता है.
इसमें रिपोर्ट में कहा गया है कि शहरी क्षेत्रों में रहने वाली महिलाएं ग्रामीण और पुरुष समकक्षों की तुलना में कहीं अधिक बेरोजगार हैं. पीआईडीई ने ये भी खुलासा किया कि आश्चर्यजनक रूप से कामकाजी आयु वर्ग का एक बड़ा हिस्सा श्रम शक्ति का हिस्सा भी नहीं है. द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट में कहा गया है कि ये लोग या तो निराश श्रमिक हैं या उनके पास आय के अन्य साधन हैं.
इसमें यह भी कहा गया है कि घोषणाओं और नीतिगत पहलों के बावजूद, महिला श्रम बल भागीदारी दर (एलएफपीआर) आश्चर्यजनक रूप से कम है. रिपोर्ट में ये भी पता चला है कि शिक्षा को रामबाण और सभी अवसरों की कुंजी माना जाता है, लेकिन वास्तविकता हमें अन्यथा दिखाती है.
पीआईडीई ने खुलासा किया कि एलएफएस के अनुसार, ग्रेजुएट बेरोजगारी बहुत ज्यादा है. इसमें कहा गया है कि पेशेवर लोगों सहित डिग्री वाले 31 प्रतिशत से अधिक युवा बेरोजगार हैं, जिनमें 51 प्रतिशत महिलाएं और 16 प्रतिशत पुरुष हैं. इसमें कहा गया है कि ग्रामीण ग्रेजुएट बेरोजगारी शहरी की तुलना में बहुत अधिक है, जो एक अन्य चिंताजनक कारक है.
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि शहरी क्षेत्रों में खुदरा और थोक व्यापार सेवा क्षेत्र का सबसे बड़ा नियोक्ता बना हुआ है, जबकि कृषि और पशुधन सहित कृषि, ग्रामीण पाकिस्तान में अधिकतर लोगों को रोजगार प्रदान करती है.
रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान में सार्वजनिक रोजगार बेहतर वेतन वाली नौकरियों के अवसर प्रदान करता है. सरकारी नौकरियों की मांग ज्यादा है, क्योंकि सरकारी में मासिक वेतन निजी क्षेत्र की नौकरियों की तुलना में काफी अधिक है.
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पीआईडीई ने अपनी रिपोर्ट में प्रकाश डालते हुए कहा है कि हैरानी की बात है कि निर्माण शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में लगभग 8 प्रतिशत श्रम शक्ति को रोजगार देता है, जो कि शायद शहरी क्षेत्रों में कठोर नियामक और जोनिंग कानूनों को दर्शाता है.
इसमें कहा गया है कि एलएफएस ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में एक तिहाई युवाओं को सिस्टम से अलग कर देता है क्योंकि वे न तो नियोजित हैं और न ही नामांकित हैं.द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, इस रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि युवा महिलाओं के लिए स्थिति अधिक खराब बनी हुई है और इनमें 60 प्रतिशत न तो काम कर रहीं हैं और न ही पढ़ाई कर पा रहीं हैं.
(इनपुट- IANS)
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