श्रीलंका को अपने एक महत्वपूर्ण बंदरगाह को 99 साल के लिए चीन को किराए पर देने के लिए मजबूर होना पड़ा है.
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वॉशिंगटन : अमेरिका के एक प्रभावशाली सीनेटर और ट्रंप प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी ने पाकिस्तान, श्रीलंका और बांग्लादेश के उदाहरणों का हवाला देते हुए कहा कि चीन अपनी विकासात्मक गतिविधियों के जरिए ‘‘नए तरीके से उपनिवेशवाद के कठोर हथकंडे’’ अपना रहा है. सीनेटर टॉड यंग ने शुक्रवार को कांग्रेस की सुनवाई के दौरान कहा, ‘‘चीन के नव उपनिवेशवाद के कठोर हथकंडे और कर्ज का इस्तेमाल कर श्रीलंका को अपने एक महत्वपूर्ण बंदरगाह को 99 साल के लिए किराए पर देने के लिए राजी होने पर मजबूर करना पाकिस्तान, बांग्लादेश तथा किसी और जगह के लिए भी सीख होनी चाहिए.’
उन्होंने कहा कि अमेरिका का ध्यान आत्म निर्भरता, कूटनीतिक और आर्थिक साझेदार बनाने पर है जबकि चीन का ध्यान संसाधनों को हड़पने और अपने ऊपर निर्भरता पैदा करने पर है. यूएस-एड की उप प्रशासक के पद पर अपनी नियुक्ति पक्की करने से जुड़ी सुनवाई के दौरान बोनी ग्लिक ने बुधवार को सीनेटर यंग के आकलन से सहमति जताई.
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ग्लिक ने कहा कि यह बेहद अहम है कि देश चीन के साथ कोई भी समझौता करते समय यह जाने कि वे क्या कर रहे हैं. मालदीव में हाल ही में हुए चुनावों का जिक्र करते हुए ग्लिक ने कहा कि इस द्वीपीय देश ने चीन से दूर होने का रुख अपनाया है. उन्होंने कहा, ‘उन्होंने अभी चुनाव कराए, 90 प्रतिशत योग्य मतदाताओं ने वोट किया और उनमें से 58 प्रतिशत ने विपक्षी दल के उम्मीदवार के पक्ष में वोट दिया जिन्होंने पश्चिम समर्थक और चीन विरोधी रुख अपनाया कि वह मालदीव के नागरिकों के भविष्य को गिरवी रखने के लिए तैयार नहीं हैं.’
यंग और ग्लिक दोनों ने इस पर चिंता जताई कि चीन विदेशों में विकास परियोजनाओं के लिए अपने श्रमिकों का इस्तेमाल करता है.