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थायरॉइड की समस्याओं के लिए प्राकृतिक निवारण

थायरॉइड की समस्याओं के लिए प्राकृतिक निवारण
By admin | Updated : May 16, 2022 , 7:09 am IST

थायरॉइड हमारे शरीर में एक ऐसी ग्रंथि होती है, जो शरीर के लगभग सारे रासायनिक प्रक्रियाओं (मेटाबोलिज्म) को प्रभावित करती है। भले ही यह ग्रंथि आकार में छोटी होती है, लेकिन इसका प्रभाव शरीर के सबसे ज़्यादा महत्त्वपूर्ण अंगों को – जैसे दिल, दिमाग, लिवर, किडनी और त्वचा के ऊपर होता है। यह ग्रंथि मुख्यतः २ हॉर्मोन्स बनाती है – ट्राईआयोडोथायरोनाइन (T3) और थायरोक्सिन (T4) – जो पूरे शरीर में ब्लड प्रेशर, शरीर का तापमान, ह्रदय गति और मेटाबोलिज्म को विनियमित करते हैं। इसलिए शरीर के सारे प्रक्रियाओं को अनुकूल स्तर पे काम करते रहने के लिए थायरॉइड ग्रंथि का तंदुरुस्त होना अनिवार्य है।

थायरॉइड की बीमारीयों के पीछे कई कारण हो सकते हैं, जैसे ज़्यादा मात्रा में थायरॉइड हॉर्मोन बनने पर हाइपरथायरॉइडिज्म होता है। उसी प्रकार, थायरॉइड हॉर्मोन की कमी की वजह से हाइपोथायरॉइडिज्म होता है। कुछ स्व-प्रतिरक्षित (autoimmune) विकार जैसे Hashimoto’s डिज़ीज की वजह से शरीर की थायरॉइड बनाने की क्षमता कम हो जाती है। थायरॉइड के कैंसर के कारण भी थायरॉइड ग्रंथि नियमित रूप से काम नहीं कर पाती। आम तौर पर भोजन में आयोडीन की मात्रा कम होने की वजह से भी थायरॉइड ग्रंथि का कामकाज बिगड़ जाता है। गण्डमाला (Goiter) की बीमारी आयोडीन की कमी के कारण होती है।

थायरॉइड ग्रंथि की बीमारीयों और तकलीफों से बचने के लिए प्रकृति में कई प्रकार की जड़ी बूटियां पायी जाती हैं। कांचनार के इस्तेमाल से शरीर में होने वाले हॉर्मोनल असंतुलन को संतुलित किया जा सकता है। इससे थायरॉइड ग्रंथि तंदुरुस्त रहती है। शरीर में थायरॉइड हॉर्मोन्स कम होने के कारण त्रिदोष का संतुलन बिगड़ जाता है। कांचनार का उपयोग त्रिदोष को संतुलित करने के लिए लाभदायक होता है। शुद्ध गुग्गुल दूसरी जड़ी बूटी है, जिसके इस्तेमाल से शरीर में थायरॉइड हॉर्मोन्स का उत्पाद बढ़ता है। यदि हाइपोथायरॉइडिज्म की तकलीफ हो, तो शुद्ध गुग्गुल का सेवन बहुत ही लाभदायक साबित होता है। त्रिकाटू चूर्ण, जो पिप्पली, सोंठ और काली मिर्च से बनता है, शरीर में मेटाबोलिज्म की तकलीफों से राहत पहुंचाती है। त्रिकाटू चूर्ण का सेवन करने से इम्यूनिटी बढ़ती है, जिसकी मदद से हमारा शरीर बैक्टीरिया और वायरस से लढ़ सकता है।

हमारा शरीर नैसर्गिक धातुओं से बना हुआ होने के कारण प्रकृति ही हमें इसके सारे रोगों का निवारण प्राप्त करा सकती है। प्राकृतिक जड़ी बूटियों का सेवन करने से किसी भी प्रकार के हानिकारक साइड-इफेक्ट्स नहीं होते। एक और लाभ यह भी है की किसी भी उम्र का व्यक्ति इनका लाभ पा सकता है। भारत देश में प्राचीन समय से ही प्राकृतिक जड़ी बूटियों का इस्तेमाल शरीर के विकारों को दूर करने के लिए किया जाता आ रहा है। हाल ही में कई विदेशी देशों ने इन पर रिसर्च करना शुरू किया है।

सौभाग्य से पतंजलि ने Thyrogrit कैप्सूल्स के ज़रिये लोगों को थायरॉइड ग्रंथि की बीमारीयों से बचने की आशा दिखाई है। पतंजलि का यह रिसर्च एंड एविडेंस बेस्ड मेडिसिन आयुर्वेदा और वैज्ञानिक अध्ययन का निष्कर्ष है।