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प्रोस्ट्रेट की समस्याओं के लिए प्राकृतिक निवारण

प्रोस्ट्रेट की समस्याओं के लिए प्राकृतिक निवारण
By admin | Updated : May 16, 2022 , 7:09 am IST

प्रोस्ट्रेट ग्रंथि अखरोट के आकार जितनी होती है जो केवल पुरुषों में होती है। यह एक प्रजनन सम्बंधित ग्रंथि होती है, जो मूत्राशय के नीचे होती है और वीर्य के उत्पादन के लिए आवश्यक होती है। प्रोस्ट्रेट ग्रंथि के कई सारे कार्य होते हैं। इसका सबसे महत्त्वपूर्ण कार्य दूधिया तरल पदार्थ बनाना होता है, जो वीर्य का एक अंश होता है और शुक्राणुओं के लिए अन्न के रूप में काम करता है। यह ग्रंथि हॉर्मोन्स बनाती है और मूत्र प्रवाह को भी नियंत्रित करती है।

प्रोस्ट्रेट ग्रंथि की तकलीफें बहुत ही आम है, और ख़ास तौर पर ज़्यादा उम्र वाले पुरुषों में होती हैं। प्रोस्टेट में सूजन (Prostatitis), प्रोस्ट्रेट के आकार में इजाफ़ा (Benign Prostatic Hyperplasia), और प्रोस्ट्रेट कैंसर यह ३ प्रकार के प्रोस्ट्रेट से सम्बंधित विकार होते हैं। पेशाब करने में दिक्कत, कमजोर मूत्र प्रवाह, मूत्राशय पर नियंत्रण न होना, पेशाब में खून होना, यह सारे प्रोस्ट्रेट ग्रंथि के विकारों के लक्षण होते हैं। भले ही प्रोस्ट्रेट ग्रंथि जीवित रहने के लिए आवश्यक नहीं होती, लेकिन यह प्रजनन के लिए महत्त्वपूर्ण होती है। प्रोस्ट्रेट के विकार उम्र के बढ़ने से, डायबिटीज, ह्रदय की बीमारीयां और नियमित व्यायाम न होने के कारण होते हैं।

प्रोस्ट्रेट के अनुकूल स्तर पर काम करने के लिए मूत्र पथ में किसी भी प्रकार के इन्फेक्शन्स नहीं होने चाहिए। इन्फेक्शन्स को जड़ से मिटाने के लिए चन्द्रप्रभा वटी नामक जड़ी बूटी बहुत लाभदायक होती है। प्रोस्ट्रेट में त्रिदोष के असंतुलन के कारण भी कठिनाईयाँ हो सकती हैं। त्रिदोष को संतुलित और डिटॉक्सिफाई करने के लिए मंडूर भस्म का सेवन काफी लाभदायक साबित होता है। प्रोस्ट्रेट की तकलीफों की वजह से प्रजनन के कार्यों पर प्रभाव होता है। लहू भस्म जड़ी बूटी के सेवन से लिबिड़ो में बढ़ौती होती है। प्रोस्ट्रेट के विकारों के कारण पुरे शरीर में नकारात्मक प्रभाव होता है, जिसे शुद्ध शिलाजीत के सेवन से सकारात्मक प्रभाव में बदला जा सकता है।

शरीर में उम्र के साथ विकारों का बढ़ना अनिवार्य है, और यह प्रकृति का नियम है। परन्तु प्राकृतिक जड़ी बूटियों के सेवन से हम इन विकारों से राहत पा सकते हैं, क्योंकि शरीर प्राकृतिक धातुओं से बना हुआ होता है। प्राकृतिक जड़ी बूटियों को निर्धारित मात्रा में लेना बहुत महत्त्वपूर्ण है, वरना फायदों से ज़्यादा हानि होने की सम्भावना बढ़ जाती है।

सौभाग्य से पतंजलि के Prostogrit टेबलेट्स में इन सारी जड़ी बूटियों के साथ और भी लाभदायक औषधियों का इस्तेमाल किया गया है। यह टेबलेट्स रिसर्च एंड एविडेंस बेस्ड मेडिसिन है, जो प्रोस्ट्रेट की बीमारीयों से राहत पहुंचा सकती है।

 

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जबकि यह अच्छी तरह से समझा जाता है कि हाइपोग्लाइसीमिया एक बच्चे के प्रारंभिक विकासात्मक पाठ्यक्रम के रूप को प्रभावित करता है, हमारे ज्ञान में एक बड़ा शून्य है कि हाइपोग्लाइसीमिया बच्चे के विकास को कैसे प्रभावित करता है।