वित्त मंत्रालय की ओर से जारी किए गए आधिकारिक जवाब में कहा गया है कि OPS के तुलनात्मक NPS स्कीम अच्छा रेट देगा. ऐसे में इन कर्मचारियों की मांग को देखते हुए वित्त मंत्रालय ने अपना पक्ष साफ कर दिया है कि NPS को खत्म करना ऐसा हालात में संभव नहीं होगा. वित्त मंत्रालय ने अपने जवाब में कहा कि बढ़ते कोश, विवेकपूर्ण निवेश नियमों और हाल ही में NPS को लेकर उठाए गए फैसलों से उम्मीद है कि NPS पुरानी पेंशन स्कीम के बराबर ही साबित होगी.
वित्त मंत्रालय ने कहा कि नेशनल पेंशन सिस्टम और पुरानी पेंशन स्कीम की तुलना नहीं की जा सकती. क्योंकि दोनों स्कीम की प्रकृति अलग है, उनका स्ट्रक्चर और फायदे अलग हैं. पुरानी पेंशन स्कीम (OPS) भारत सरकार की योजना मानी जाती है, जबकि NPS एक योगदान वाली पेंशन स्कीम है जिसके बेनेफिट्स पहले से तय नहीं होते.
NPS में पेंशन कई फैक्टर्स पर निर्भर करता है. जैसे योगदान की राशि कितनी है, किस उम्र से निवेश कर रहे हैं, सब्सक्रिप्शन की अवधि क्या है, सब्सक्राइबर ने निवेश किस तरह का चुना है, कुल राशि का कितना हिस्सा पेंशन के लिए रखा गया है, एन्युटी ऑप्शन क्या चुना गया है. इसके अलावा भी कई फैक्टर्स हैं जिसका असर पेंशन पर पड़ता है.
आपको बता दें कि NPS सब्सक्राइबर्स की चिंताओं को देखते हुए केंद्र सरकार ने सचिवों की एक उच्च कमेटी का गठन भी किया है, ताकि NPS की कमियों को दूर किया जा सके. कमेटी के सुझावों के बाद सरकार ने NPS में सुधार के लिए कई कदम भी उठाए हैं.
सरकार ने अपने वित्तीय बोझ को कम करने के लिए पुराने पेंशन सिस्टम की जगह नेशनल पेंशन सिस्टम की शुरुआत की. 1 जनवरी 2004 से केंद्रीय सेवा में आने सभी कर्मचारियों के लिए NPS सिस्टम लागू किया गया. पश्चिम बंगाल को छोड़कर बाकी राज्यों ने भी एनपीएस को अपना लिया.
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