दिसंबर में सर्दियों का प्रकोप तेजी से बढ़ रहा है. पहाड़ों में लगातार बर्फबारी जारी है.
कश्मीर घाटी में खून जमा देने वाली ठंड का प्रकोप लगातार बढ़ता जा रहा है. 1987 के दशक के बाद यानि 31 साल बाद डल झील का इतना हिसा जम गया है. झील पर बर्फ की ऐसी सख्त परत जमी है कि उसे तोड़ने में शिकार वालों को घंटों लग जाते हैं. झील का बाहरी और भीतरी हिसा पूरी तरह जम गया है.
कश्मीर में बर्फ जमने के बाद एडवेंचर्स का एक दौर शुरू होता है. इस दौरान घूमने-फिरने के शौकीन टूरिस्ट बड़ी संख्या में कश्मीर आते हैं. बस इसके लिए आपके पास पर्याप्त गरम कपड़े होने चाहिए.
बंगलुरु से कश्मीर आये पर्यटक रोमान कहते है " हर मौसम का आनंद लेना चाहिए में बंगलुरु से आया हूं. कभी ऐसी ठंड नहीं देखी, लेकिन कश्मीर में जब -10 डिग्री में घूमने का मौका मिला वो नायाब था. उन्होंने कहा कि वह अपने परिवार के साथ हाउसबोट में रहकर वादियों में सर्दी का मजा ले रहे हैं.
कश्मीर के ऊपरी हिस्से लद्दाख में पारा शून्य से नीचे जा चुका है. तापमान की बात करें तो श्रीनगर में दिसम्बर के महीने तीन दशक बाद इतना कम तापमान -6.7 दर्ज हुआ है. कश्मीर की सबसे ठंडी जगह कारगिल का द्रास इलाका रहा जहां तापमान -21.7 दर्ज हुआ, जबकि पर्यटन स्थल गुलमर्ग में तापमान -9.4 और पहलगाम का -7.9 दर्ज हुआ.
कश्मीर बर्फ की सफेद चादर से ढक गया है. कश्मीर के सबसे ठंडे दिन यानी चिलाई कलां की शुरुआत 21 दिसंबर से हो गई है और ये 31 जनवरी तक चलेगा. चिलाई कलां जनवरी के अंत में समाप्त होता है, लेकिन यह ठंड का अंत नहीं है. चिलाई कलां के बाद 20 दिन का 'चिला खुर्द' (कम ठंड) और 10 दिन का 'चिला बचा' (बचा ठंडा) का मौसम रहता है. इस अवधि के दौरान, लोग पहले से ही तैयारी करते है सूखे सब्जियों का उपयोग करते हैं. पारम्परिक हरीसा (पारम्परिक खाना) से नाश्ता होता है, जो दिनभर इंसान को गरम रखता है.
डल झील में रहने वाले मोहम्मद यूसफ़ कहते है कि "आज तक दिसम्बर इतनी ठंड नहीं देखी कि पूरी तरह से झील जम जाए. उन्होंने कहा कि झील के किनारे खड़ी हाउसबोट को हटाने और वापस से काम पर लगाने के लिए उन्हें बर्फ को तोड़ना पड़ रहा है, जिसके लिए उन्हें कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
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