आजादी के 7 दशक बाद भी अंधेरे में डूबे हैं रतलाम के ये गांव, दिए और चांद के उजाले से चलता है काम
आज के इस युग मे भी मध्यप्रदेश के गांव सिर्फ चांद की रोशनी में जगमगा रहे हैं. आज भी मध्यप्रदेश के गांव अंधेरे में हैं. जहां बिजली के खम्बे, तार, मीटर तो पहुंच गए, लेकिन बिजली अभी भी नहीं पहुंची है.
नई दिल्लीः देश आज विश्व के सामने सीना तान के खड़ा है. देश चंद्रयान 2 से चांद पर पहुंच गया है, लेकिन आज के इस युग मे भी मध्यप्रदेश के गांव सिर्फ चांद की रोशनी में जगमगा रहे हैं. आज भी मध्यप्रदेश के गांव अंधेरे में हैं. जहां बिजली के खम्बे, तार, मीटर तो पहुंच गए, लेकिन बिजली अभी भी नहीं पहुंची है. ऐसा ही कुछ हाल है रतलाम जिले के रावटी तहसील के राजपुरा पंचायत का, जहां के कुछ गांव आज भी लोग बिजली के लिए मोहताज हैं और लगातार प्रशासन से गुहार भी लगा रहे हैं.
घरों में मीटर भी लगे हैं

गांव से अंधेरा मिट जाएगा

बीते विधानसभा चुनाव के पहले इन गांव में लोगों को उममीद जगी थी कि अब गांव से अंधेरा मिट जाएगा, क्योंकि अब गांव में बिजली के खम्बे मीटर और तार लग लग गए हैं. ग्रामीणों ने इस उम्मीद में अपने कच्चे मकानों में टीवी और अन्य बिजली उपकरण भी खरीद कर लगवा लिए, लेकिन बिजली की आस में ये उपकरण भी घर मे शो पीस बनकर रह गए.
बच्चे भी दिए की रौशनी में पढ़ाई करते हैं

आज भी ये गांव चिमनी की रौशनी के मोहताज है

स्कूल गांव से दूर हैं. घर आते-आते शाम हो जाती है और फिर सूरज ढलने से पहले ग्रामीण खाना बनाकर खा लेते हैं. फिर यह सिर्फ लालटेन और चिमनी की रोशनी ही सुबह तक इनका साथ देती है. सीएफएल और एलईडी की रोशनी के युग मे आज भी यह गांव चिमनी की रौशनी के मोहताज है, रात में घरो के बाहर सांप और अन्य जंगली जानवर का खतरा अंधेरे के कारण बढ़ जाता है.
हर चुनाव में यहां भी लोकतंत्र के पर्व की दुहाई दी जाती है

सौभाग्य योजना अंतर्गत बिजली का कार्य शुरू हुआ था

आजादी के 73 साल बाद गांवों में अंधेरा नही मिटा हैं

ऐसा नहीं है कि ग्रामीणों ने इसकी शिकायत अधिकारियों से नहीं की. लगातार शिकायत के बाद भी कोई सुनवाई नही हो रही. अधिकारी सिर्फ जांच का आश्वासन दे रहे हैं, लेकिन इन ग्रामीणों के अंधेरे को दूर करने के लिये कोई कार्रवाई नहीं हो रही है. कुछ दिनों बाद ही हम देश की आजादी का 73वां स्वतंत्रता दिवस मनाएंगे, लेकिन आजादी के इतने सालों बाद भी आज गांवों में अंधेरा नही मिटा हैं.