प्रह्लाद को कष्ट देने के कारण इन 8 दिनों को होलाष्टक कहा जाता है.
रंगों का त्योहार होली आने में अभी कुछ ही दिन बचे हुए हैं. होली के 8 दिन पहले आने वाली फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी से होलाष्टक लग जाता है, जो पूर्णिमा तक जारी रहता है. इन 8 दिनों को वर्ष के सबसे खराब 8 दिनों में से एक माना जाता है. कहा जाता है कि इन दिनों में किसी भी तरह के शुभकार्य करने से बचना चाहिए.
इस वर्ष होलाष्टक 23 फरवरी से 1 मार्च तक होगा. ऐसे में हम आपको कुछ ऐसे कामों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसको करने से आपको बचना चाहिए. पौराणिक कथा के अनुसार होली से 8 दिन पूर्व अर्थात फाल्गुन शुक्ल अष्टमी के दिन से ही वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा प्रवेश कर जाती है. इसलिए इन 8 दिनों में किसी भी शुभ कार्य को करने से बचना चाहिए.
पौराणिक कथाओं के अनुसार होलाष्टक से एक दिन पहले भगवान शिव की तपस्या भंग हुई थी. मान्यता है कि किन्हीं कारणवश कामदेव ने भगवान शिव की तपस्या को भंग किया था, जिसके बाद क्रोध में आकर शिव ने कामदेव को भस्म कर दिया था.
होलाष्टक को लेकर एक और पौराणिक मान्यता है कि हिरण्यकश्यप ने भगवान से वरदान प्राप्त कर प्रह्लाद को बंदी बनाकर यातनाएं देनी शुरू कर दी थी. इसी दौरान होलिका ने भी प्रहलाद को भस्म करने की कोशिश की थी, क्योंकि उसे अग्नि देवता से ना जलने का आशीर्वाद प्राप्त हुआ था. हालांकि प्रह्लाद को जलाने की मंशा रखने वाली होलिका खुद ही जल गए. प्रह्लाद को कष्ट देने के कारण इन 8 दिनों को होलाष्टक कहा जाता है.
होलाष्टक के दौरान किसी भी शुभ कार्य को करने से बचना चाहिए. होलाष्टक के दौरान शादी, गृह प्रवेश या अन्य कोई व्यवसाय की शुरुआत करने से बचना चाहिए.
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