चीन के नक्शेकदम पर भारत, 30 माह की बजाय 17 माह में बना डाला हाईस्पीड एक्सप्रेस वे
ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस वे देश का सबसे तेज रफ्तार वाला एक्सप्रेस वे है. यहां 120 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से वाहन दौड़ेंगे.
India compete with china by completing highspeed expressway in just 17 months

नई दिल्ली: पीएम नरेंद्र मोदी ने रविवार को ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस वे और दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस वे का उद्घाटन किया. ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस वे देश का सबसे तेज रफ्तार वाला एक्सप्रेस वे है. यहां 120 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से वाहन दौड़ेंगे. जब इस एक्सप्रेस वे की आधारशिला रखी गई थी तो अनुमान तक की यह 30 माह में बनकर तैयार होगा लेकिन मोदी सरकार के कुशल निर्देशन में नवंबर 2015 से 17 माह में यह बनकर तैयार हो गया और लोगों के लिए खोल दिया गया. इस मामले में भारत काफी कुछ चीन के मुकाबिल है. चीन पहले ही अपने रोड व रेल नेटवर्क को दुनिया में सबसे तेज और अत्याधुनिक बना चुका है.
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चीन हाईस्पीड बुलेट ट्रेन से लेकर वर्ल्ड क्लास मॉडर्न हाईवे निर्माण में पूरी दुनिया में धाक जमा चुका है. वह 1978 से ही इस क्षेत्र में नवोनयन कर रहा है. एक अनुमान के मुताबिक 2016 तक चीन ने 47 लाख किमी सड़क का निर्माण किया और 1,30,000 किमी के एक्सप्रेस वे का निर्माण किया. यह दुनिया का सबसे बड़ा रोड नेटवर्क है.
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इस समय चीन में 22 हजार किमी का हाईस्पीड रेल नेटवर्क मौजूद है. इस मामले में वह दुनिया में नंबर वन है. चीन ने अपने रोड नेटवर्क के कारण ही दुनिया में सबसे तेजी से तरक्की की है. बीजिंग से तियानजिन के बीच की दूरी 130 किमी की है. जब 2008 में यहां हाईस्पीड ट्रेन शुरू हुई उसके बाद 30 मिनट में तियानजिन से बीजिंग पहुंचा जा सकता है. पहले एक घंटे से ज्यादा समय लगता था.
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तियानजिन-बीजिंग रूट पर रोजाना करीब 80 हजार यात्री सफर करते हैं. छुट्टियों के दिनों में यह आंकड़ा एक लाख यात्री तक पहुंच जाता है और कभी-कभार एक लाख 20 हजार यात्री तक. जानकार बताते हैं कि हाईस्पीड ट्रेन के मामले में चीन का कोई जवाब नहीं है. इससे देश के आर्थिक और सामाजिक विकास में अच्छी तरक्की हुई है. चीन में 2016 तक यात्री संख्या 2.8 अरब तक पहुंच गई थी. इसमें हर साल 10 फीसदी की वृद्धि हो रही है.
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चीन में ढांचागत निर्माण में तेजी आने से रोजगार के अवसर भी बढ़े हैं. अभी करीब 40 लाख लोग इस क्षेत्र से जुड़े हैं. चीन में एक्सप्रेस वे के निर्माण में सरकार के साथ-साथ बैंक लोन व अन्य स्रोत से भी फंड जुटाया जा रहा है. चीन सरकार अब एक्सप्रेस वे पर सुरक्षित यातायात के लिए टोल प्लाजा बढ़ाने पर विचार कर रही है. चीन के अलावा इंडोनेशिया में जकार्ता-बाडुंग रेलवे और कुमिंग-वियानतियान रेलवे ने भी हाईस्पीड के लिए जाने जाते हैं. चीन रेलवे हाईस्पीड (CRH) इस समय 4000 किमी ट्रैक का संचालन कर रहा है. इसके अलावा इथियोपिया-जिबोटी रेलवे और मोमबासा-नैरोबी रेल परियोजना भी हाईस्पीड रेलवे के लिए लोकप्रिय हैं.
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