जिन नियमो के दायरे के भीतर छात्र संघ चुनाव करवाए जाते हैं उन नियमों की यहां आसानी से अनदेखी की हो रही है. छात्र संघ चुनाव के लिए लिंगदोह कमिटी की सिफारिशें हैं.
कोटा: राजस्थान में छात्रसंघ चुनाव का फीवर चढ़ा हुआ है और यह फीवर आपको छात्र नेताओं की नारेबाजी से लेकर तस्वीरों में भी नजर आएगा. तस्वीर में स्विमिंग पूल का नजारा नजर आ रहा है और छात्र पूल पार्टी करते हुए दिख रहे हैं. पूल पार्टी कोई गुनाह नहीं है लेकिन ये सब स्टूडेंट्स ही हैं और इस पूल पार्टी के ऑर्गनाइजर हैं वो छात्र नेता जो छात्र संघ चुनाव के चुनावी समर में उतरे हुए हैं.
चुनावों में उतरे छात्रों द्वारा हर संभव कोशिश हो रही है कि जैसे तैसे छात्रों को पटा कर उन्हें खुश कर उन्हें वोट के लिए मना लिया जाए. इतना ही नहीं आपको बता दें, कोटा के ज्यादातर छात्र प्रत्याशी छात्र मतदाताओं को लुभाने के लिए हर वो कोशिश कर रहे हैं जो नियमों के खिलाफ तो है ही बल्कि गलत भी है.
जिन नियमो के दायरे के भीतर छात्र संघ चुनाव करवाए जाते हैं उन नियमों की यहां आसानी से अनदेखी की हो रही है. छात्र संघ चुनाव के लिए लिंगदोह कमिटी की सिफारिशें हैं. जिसमे नियम तय हैं लेकिन सभी नियमों को तोड़ा जा रहा है. चुनाव में छात्र सत्ता हासिल करने के लिए हर दावपेच चला रहे हैं.
शराब पार्टियों का दौर छात्र प्रत्याशियों की तरफ से चलता है तो साथ में चलता है चुनाव प्रचार. खाने की बड़ी बड़ी दावत, पूल पार्टी, शराब पार्टी और गाड़ियों के काफिले. कोटा में ये सारे मंजर देखने को मिल रहे हैं. इन सब में लाखों रुपए खर्च किए जाते हैं. ऐसे में सवाल है कि लिंगदोह कमेटी की सिफारिशें सख्ती से लागू क्यों नहीं होती हैं और दूसरा सवाल यह उठता है कि ऐसे छात्रसंघ चुनावों का क्या मतलब जो छात्रों को पढ़ाई की जगह शराब पार्टी में ला दे.
31 अगस्त को प्रदेश में होने वाले छात्रसंघ चुनावों में छात्र किस हद तक जाते हैं और अपनी पार्टी की जीत के लिए कितने लाखों खर्च कर देते हैं. यहां तक कि राजस्थान में लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों की भी आसानी से अनदेखी की जा रही है.
रिपोर्ट- हिमांशु मित्तल
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