स्वर्णाभूषण पहनने की आदत के चलते हमेशा चर्चाओं में रहने वाले दिल्ली के कारोबारी व श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा के महंत गोल्डन पुरी बाबा बुधवार को हरिद्वार से कांवड़ लेकर दिल्ली के लिए रवाना हुए.
हरिद्वार: स्वर्णाभूषण पहनने की आदत के चलते हमेशा चर्चाओं में रहने वाले दिल्ली के कारोबारी व श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा के महंत गोल्डन पुरी बाबा बुधवार को हरिद्वार से कांवड़ लेकर दिल्ली के लिए रवाना हुए. दैनिक जागरण की खबर के मुताबिक, इस बार वह कांवड़ यात्रा की सिल्वर जुबली मना रहे हैं, इसलिए पिछली बार की अपेक्षा चार किलो अधिक यानी कुल 17 किलो सोना पहनकर डेढ़ करोड़ की कांवड़ के साथ हरिद्वार पहुंचे. यह विशेष कांवड़ उन्होंने रुड़की के कारीगर से ढाई लाख रुपए खर्च कर तैयार करवाई. सोने के पत्तर व गहनों से कांवड़ को सजाने में करीब डेढ़ करोड़ रुपए खर्च हुए. गोल्डन बाबा 12 निजी व एक सरकारी अंगरक्षक के साथ सौ भक्तों की टोली भी साथ लेकर चल रहे हैं.
मुंबई: मुंबई में ऑटिज्म से ग्रस्त 12 लोगों ने एक कैफे की शुरुआत की है. इस कैफे में न केवल ऑटेस्टिक लोग खाना परोसेंगे, बल्कि वे खुद खाना भी बनाएंगे. नवभारत टाइम्स की खबर के मुताबिक, मुंबई के जुहू में शुरू हुआ यह अपनी तरह का अलग कैफे है. संभवत: देश का पहला कैफे, जहां लोगों की सेवा में ऑटेस्टिक हाजिर होंगे. कैफे शुरू करने में मुख्य भूमिका निभाने वाली ‘यश चैरिटेबल ट्रस्ट’ की ट्रस्टी आशिता महाजन ने अखबार को बताया कि 2015 में कुछ ऑटेस्टिक लोगों के साथ डिब्बा सेवा ‘अर्पण’ शुरू की गई थी. इसकी सफलता के बाद हमने डिब्बा सेवा के लिए काम करने वाले ऑटेस्टिक लोगों के लिए कैफे शुरू करने की सोची. इसके लिए ऑनलाइन क्राउड फंडिंग के जरिए 8 लाख रुपए जुटाए गए. इस कैफे को बनाने में 5-6 महीने का समय लगा.
अमृतसर: भारत-पाक की अटारी-वाघा सीमा पर दोनों मुल्कों की तरफ से लगे गेटों को एक बार फिर बदला जाएगा. इसका मुख्य मकसद दोनों तरफ के दर्शकों को एक दूसरे की रिट्रीट सेरेमनी देखने की सुविधा प्रदान करना है. दैनिक भास्कर की खबर के मुताबिक, गेट बदलने का फैसला बीएसएफ और पाक रेंजर्स के डायरेक्टर जनरल की दिल्ली में हुई बैठक में लिया गया था. फिलहाल इनको 31 अगस्त तक स्थापित किया जाएगा. बीएसएफ अमृतसर सेक्टर के डीआईजी जेएस ओबेराय ने अखबार को बताया कि भारतीय गेट पल्ले वाले सिस्टम का है जबकि पाकिस्तान का स्लाइडिंग में. दोनों के आड़े तिरछे होने के कारण इधर के लोग उधर और उधर के लोग इधर नहीं देख सकते. इसलिए गेटों को बदलने का फैसला लिया गया है.
नई दिल्ली: पासपोर्ट बनवाने की प्रक्रिया में पुलिस अब सत्यापन के लिए आपके घर नहीं आएगी. हिंदुस्तान की एक खबर के मुताबिक, सरकार ने पुलिसकर्मियों के आवेदक के घर जाने की अनिवार्यता खत्म कर दी है. पुलिस को अपने रिकॉर्ड जांचकर आवेदक की सिर्फ आपराधिक पृष्ठभूमि की जानकारी देनी होगी. सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि, मुख्य पासपोर्ट अधिकारी व संयुक्त सचिव अरुण कुमार चटर्जी ने नियमों में बदलाव की पुष्टि करते हुए कहा, पुलिस सत्यापन के लिए आवेदक का घर पर रहकर फॉर्म पर हस्ताक्षर करना जरूरी नहीं होगा. पुलिस को आवदेक से बात करने की भी जरूरत नहीं है. राज्यों को इस व्यवस्था को तत्काल प्रभाव से लागू करने को कहा गया है.
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