PHOTOS: 20 साल पहले इस एक्ट्रेस की वजह से शुरू हुआ था सबरीमाला विवाद
महिलाओं की एंट्री पर प्रतिबंध लगाने की वजह से विवादों में रहा सबरीमाला मंदिर को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है.
सबरीमाला मंदिर को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला
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साल 2006 में सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर कन्नड़ अभिनेत्री जयमाला ने खुलासाकर इस विवाद को खबरों में ला दिया था. इस साल सबरीमाला के प्रमुख ज्योतिष परप्पनगडी उन्नीकृष्णन ने कहा था कि अयप्पा अपनी ताकत खो रहे हैं. उसके बाद उन्नीकृष्णन ने यह भी दावा किया था कि भगवान इसलिए नाराज हैं क्योंकि मंदिर में किसी युवा महिला ने प्रवेश किया है.
कन्नड़ अभिनेत्री जयमाला
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ज्योतिष के बयान के बाद कन्नड़ अभिनेता प्रभाकर की पत्नी और एक्ट्रेस जयमाला ने अपने बयान में कहा कि उन्होंने भगवान अयप्पा की मूर्ति को छुआ है और वह ही इसके लिए जिम्मेदार है.
केरल में बवाल मच गया था
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कन्नड़ एक्ट्रेस ने अपने कन्फेशन में बताया था कि 1987 में वह अपने पति के साथ वह मंदिर में दर्शन करने गई थीं. मंदिर में भीड़ के वजह से आ रहे धक्कों ने उन्हें गर्भगृह में पहुंच दिया था जहां पर वह भगवान अयप्पा के चरणों में गिर गईं और वहां मौजूद पुजारी ने उन्हें फूल दिए थे. उनके इस दावे के बाद पूरे केरल में बवाल मच गया था.
पुलिस ने जयमाला के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की
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इसके बाद 14 दिसंबर 2010 को पठानीमिट्ठा जिले के रन्नी में ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट की कोर्ट में केरल पुलिस ने जयमाला के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की. पुलिस ने जयमाला पर जानबूझकर तीर्थस्थल के नियमों का उल्लंघन करते हुए लोगों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया था. लेकिन केरल हाईकोर्ट ने पुलिस की चार्जशीट को खारिज कर दिया था और जयमाला ये लड़ाई जीत गई थीं.
जयमाला पर लगे थे आरोप
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जयमाला के इस बयान के बाद लोगों ने उन पर साजिश के तहत इस बात को कहने के आरोप लगाए थे लेकिन जयमाला ने इन सब बातों से इनकार किया था.
मंदिर में प्रवेश के लिए मन शुद्ध होना चाहिए
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कई साल पहले जयमाला ने एक इंटरव्यू में कहा था कि महिलाएं अपने पीरियड्स साइकल को दवा लेकर आगे बढ़ा सकती है और मंदिरों को ऐसे नियम बनाने का कोई हक नहीं है. किसी भी मंदिर में प्रवेश के लिए मन शुद्ध होना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ ने लिया फैसला
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28 सितंबर को आए सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ ने 4:1 से यह फैसला सुनाया है. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि भगवान अयप्पा हिंदू थे, उनके भक्तों का अलग धर्म न बनाएं. भगवान से रिश्ते दैहिक नियमों से नहीं तय हो सकते. सभी भक्तों को मंदिर में जाने और पूजा करने का अधिकार है. न्यायालय ने कहा, जब पुरुष मंदिर में जा सकते हैं तो औरतें भी पूजा करने जा सकती हैं. महिलाओं को मंदिर में पूजा करने से रोकना महिलाओं की गरिमा का अपमान है.
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